Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019''परीक्षा करीब है, बिखरते घरों में कहां खोजें किताब?'' जोशीमठ के बच्चों का दर्द

''परीक्षा करीब है, बिखरते घरों में कहां खोजें किताब?'' जोशीमठ के बच्चों का दर्द

Joshimath Crisis: अस्पतालों में मनोचिकित्सक नहीं हैं, जो आज जोशीमठ को चाहिए-रिटायर्ड मनोचिकित्सक कर्नल जीत सिंह

मधुसूदन जोशी
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<div class="paragraphs"><p>Joshimath Crisis Ground Report:&nbsp;जोशीमठ के बच्चों का दर्द</p></div>
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Joshimath Crisis Ground Report: जोशीमठ के बच्चों का दर्द

(Photo- PTI)

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Joshimath Crisis Ground Report: जोशीमठ भू-धंसाव से प्रभावित लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं. अपने घर को खाली करते समय हर कोई भावुक है, जिस घर की दीवार के सहारे चलने की पहली कोशिश की, आज उन्हीं चार दीवारों को छोड़ने की मजबूरी है. जोशीमठ के वाशिंदो ने कभी सोचा नहीं होगा कि पाई पाई कर जमा की गयी पूंजी से बनाया अपना आशियाना एक दिन छोड़ना पड़ेगा.

"पाई-पाई जमा कर बनाए थे दो कमरे"

शुक्रवार, 13 जनवरी को अपने घर के सामान को इकट्ठा करने में जुटीं सिंहधार की राजेश्वरी ने क्विंट को बताया कि "मेरे परिवार की माली हालत बेहद खराब थी. तब मैंने एक भैंस के लिए सहकारी समिति से पचास हजार रूपए का लोन लिया और दूध बेचने का काम किया. जो आमदानी हुई उसमें बैक की किश्तें दीं. इसके बाद जो बचा उसे बचत खाते में जमा कराती रही, तब जाकर 2 कमरे बन पाए."

जोशीमठ में सिंहधार की राजेश्वरी

(फोटो: क्विंट हिंदी)

बेशक प्रशासन हमें नया घर या जमीन देगा, घरों मे आईं दरारें भर जायेंगी लेकिन जो दरारें दिल और दिमाग पर आ गई हैं, उसे कैसे भरा जाएगा? जिस आंगन में मेरे बच्चों ने चलना सीखा, उसकी याद ताउम्र आती रहेगी और मुझे और मेरे परिवार को दुख देती रहेगी.
क्विंट से सिंहधार की राजेश्वरी

उन्होंने आगे बताया कि अभी प्रशासन उन्हें राहत शिविर में जाने को कह रहा है. "हमें मुआवजा और नया ठौर बसाने के लिए जमीन मिल पाएगी? इस पर प्रशासन के लोग चुप हैं."

85 वर्षीय इंद्रा देवी का भी यही दर्द है. क्विंट से बातचीत में वह भावुक हो गईं. उन्होंने बताया -

मैंने पहले कभी इस तरह की दरारें नहीं देखी थी और न ही सुनी थी, शायद हमारे रक्षक देवता नृसिंह नाराज हो गये. मेरा बेटा फौज में है तथा उसके बच्चे भी उसी के साथ हैं. यहां बर्फ पड़ती है तो मुझे भी उनके पास दो तीन महीने के लिए जाना था, लेकिन तब तक हमारे घर में दरार आने लगी और जमीन धंसने लगी, बेटे को फोन किया तो उसका नंबर नहीं लग रहा है, वह नेफा में है."

85 वर्षीय इंद्रा देवी कहती हैं लगता है हमारे रक्षक देवता नृसिंह नाराज हैं

(फोटो: क्विंट हिंदी)

तनाव से गुजर रहे हैं छात्र

इस आपदा से पीड़ित एक छात्र ने क्विंट को बताया कि अब हम डिप्रेशन के दौर से गुजरने वाले हैं, क्योंकि कुछ दिनों बाद शासन -प्रशासन के नुमाइंदे वापस चले जाएंगे, कुछ बचेगा तो हमारे खंडहर घर, होटल, जिसे देखकर हम खून के आंसू रो रहे होंगे. अब हमें मनोचिकित्सक की आवश्यकता होगी.

धीरे धीरे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ- मीडिया ने भी जोशीमठ से वापसी की तैयारी शुरू कर ली है. अब इन कंद्राओं में सिर्फ प्रभावित ही एक दूसरे का सहारा बनेंगे.
क्विंट से एक छात्रा

भू-धसाव से प्रभावित अमन राणा ने क्विंट को बताया कि अभी स्कूलों मे ठंड की छुट्टी चल रही है. सोमवार को स्कूल खुल जाएंगे. ऐसे में अपनी किताबों को भी ढूंढ पाना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

जोशीमठ की पार्वती देवी अपने छूटते घर को लेकर बहुत दुखी हैं

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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बोर्ड परीक्षा होने वाली है शुरू

दसवीं कक्षा के छात्र पपेन्द्र नेगी ने क्विंट को बताया कि "15 मार्च से उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षा शुरू होने वाली है. जनवरी महीने से स्कूल में प्रैक्टिकल परीक्षा शुरू हो जाती है, जिस कारण पढ़ाई घर पर ही अधिक करनी होती है. लेकिन अब हम दो कमरे में रह रहे हैं. हमारे घर हर आये दिन रिश्तेदार हमारा हालचाल पूछने आते हैं. इस समय मेरी मानसिक स्थिति बेहद खराब हो रही है. मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि इस अवसाद से कैसे निकलूं."

इस संबंध मे जब क्विंट ने सेना के रिटायर्ड मनोचिकित्सक कर्नल जीत सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि इस समय पूरे जोशीमठ के युवाओं, मातृशक्ति पर मनोवैज्ञानिक कुप्रभाव पड़ा है. आज भी पहाड़ों के अस्पतालों में मनोचिकित्सक तैनात नहीं हैं. लोग घर खाली करने के कारण डिप्रेशन की स्थिति में है. जो युवा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, उनकी पढ़ाई छूट गयी है. इस समय शासन को क्षेत्र में प्रभावितों का मनोबल बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.

वहीं, जोशीमठ राजकीय इंटर कालेज में मनोविज्ञान के प्रवक्ता रहे डाक्टर नौटियाल ने क्विंट को बताया -

''अभी तो जोशीमठ में मीडिया और अधिकारियों का जमावड़ा हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये वापस होंगे तो उस समय इनकी मनोस्थिति बेहद खराब होगी. क्योंकि उस समय ये अपने को अकेला महसूस करेंगे तथा इन पहाड़ों से टकराती हुई इनकी आवाज इन्हें झकझोर देगी. जिसका प्रभाव इनपर पड़ेगा.''

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Published: 14 Jan 2023,08:33 PM IST

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