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तस्वीरों में देखिए: कितना धंसेगा जोशीमठ-मंदिर, हेलीपैड समेत क्या-क्या प्रभावित?

Joshimath की सैटेलाइट तस्वीरें में साफ-साफ देखा जा सकता है कि जोशीमठ का कौन सा हिस्सा धंसने वाला है.

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<div class="paragraphs"><p>तस्वीरों में देखिए: कितना धंसेगा जोशीमठ-मंदिर, हेलीपैड समेत क्या-क्या प्रभावित?</p></div>
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तस्वीरों में देखिए: कितना धंसेगा जोशीमठ-मंदिर, हेलीपैड समेत क्या-क्या प्रभावित?

(फोटो- Altered by Quint)

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जोशीमठ (Joshimath) में भू-धंसाव के बाद घरों और सड़कों में जो दरारें पड़ीं, उस पर देश के वैज्ञानिक अध्ययन मे जुटे हैं. जोशीमठ भू-धंसाव से जुड़ी कुछ सैटेलाइट तस्वीरें पहली बार इसरो (ISRO) यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने जारी की हैं.

सैटेलाइट तस्वीरों में बताया गया है कि जोशीमठ का कौन सा इलाका धंस रहा है. इसरो से जारी जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरों में साफ-साफ देखा जा सकता है कि जोशीमठ का कौन सा हिस्सा धंसने वाला है. यह सभी तस्वीरें कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई हैं.

नरसिंह मंदिर को भी खतरा:- इसरो ने अपने सैटेलाइट से जोशीमठ की तस्वीरें लीं. इसमें जो पीले कलर का मार्क किया है, वो सेंसेटिव जोन है. इस पीले घेरे में पूरा शहर आता है. इसे देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे ये पूरा शहर धंसने वाला है. इसरो ने आर्मी का हेलीपैड और नरसिंह मंदिर को भी मार्क किया है.

इसरो ने तस्वीरों पर जो पीले कलर का मार्क किया है, वो सेंसेटिव जोन है.जोशीमठ शहर के भीतर अप्रैल और नवंबर 2022 के बीच 7 महीने की अवधि में ~ -9 सेमी तक धीमा धंसाव दर्ज किया गया है.

(फोटो- इसरो)

सब्सिडेंस जोन (धंसाव वाला इलाका) का जूम -इन व्यू. यह क्षेत्र कुछ दिनों के अंतराल में ~-5 सेमी के आसपास कम हो गया है और सब्सिडेंस जोन का एरिया बढ़ गया. लेकिन यह जोशीमठ शहर के मध्य भाग तक ही सीमित है. तस्वीरों में जोशीमठ के मध्य भाग यानी शहर के सेंटर को लाल रंग को गोले में दिखाया गया है, जिससे पता चलता है कि ये हिस्सा सबसे ज्यादा भू-धंसाव से प्रभावित है. इस धंसाव का ऊपर हिस्सा जोशीमठ-औली रोड पर मौजूद है.

(फोटो- इसरो)

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27 दिसंबर 2022 से लेकर 8 जनवरी 2023 तक यानी 12 दिनों तक जमीन धंसने की तीव्रता -5.4 सेंटीमीटर हो गई. यानी की 12 दिनों में जोशीमठ को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है.

तस्वीर: तेजी से दर्ज किया गया घटाव: अधिकतम– 12 दिनों में 5.4 सेमी.

(फोटो- इसरो)

रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल से नवंबर 2022 तक जमीन धंसने का मामला धीमा था. इस सात महीनों में जोशीमठ-8.9 सेंटीमीटर धंसा है. सैटेलाइट तस्वीरों ने जो लाल रंग की धारियां दिख रहीं है, वो सड़कें हैं. वहीं नीले रंग का जो बैकग्राउंड है, वह जोशीमठ शहर के नीचे का ड्रेनेज सिस्टम है. यह प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों हो सकते हैं.

(फोटो- इसरो)

इसरो ने आर्मी का हेलीपैड और नरसिंह मंदिर को भी मार्क किया है. ये रिपोर्ट इसरो के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने जारी किया है. (जोशीमठ के नरसिंह मंदिर की तस्वीर)

(फोटो-  क्विंट हिंदी)

जोशीमठ धंसावः उपग्रह आधारित प्रारंभिक परिणाम

(फोटो- इसरो)

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