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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
कैमरापर्सन: ऐश्वर्या एस अय्यर
हिंदू एकता मंच के उपाध्यक्ष कांत कुमार पिछले साल सुर्खियों में थे. उन्होंने 2018 के कठुआ रेप केस के दौरान पुलिस की ओर से कुछ हिंदुओं पर कार्रवाई करने पर आंदोलन किया था. वो मानते हैं कि उनका आंदोलन कामयाब नहीं हुआ.
कुमार ने क्विंट से कहा, “हम असफल हो गए क्योंकि हम अपने आंदोलन के जरिए अपने लोगों को न्याय नहीं दिला पाए. उन्होंने कूटा मोड़ पर खड़े होकर अपने आंदोलन के बारे में बातचीत की, जहां हिंदू एकता मंच ने पिछले साल महीनों तक विरोध प्रदर्शन किया था.
वो उन 7 'लोगों' का जिक्र कर रहे हैं, जो जनवरी 2018 में 8 साल की गुर्जर-बकरवाल लड़की के साथ हुए बलात्कार और हत्या के आरोपी हैं. इस मामले की शुरुआती जांच पर शक जताते हुए, हिंदू एकता मंच का गठन किया गया था, जिसने मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, सितंबर 2018 में उनकी याचिका खारिज कर दी.
जिस जगह पर हिंदू एकता मंच ने विरोध किया था, वहां अब बड़े, चमकीले लाल अक्षरों में 'डोगरा एकता मंच ’लिखा है. ये पूर्व सांसद/विधायक और बीजेपी कैबिनेट मंत्री चौधरी लाल सिंह का बनाया गया एक राजनीतिक संगठन है. सिंह ने पिछले साल कठुआ में हिंदू अभियुक्तों के समर्थन में हिंदू एकता मंच की रैली में भाग लेने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.
जब क्विंट ने कठुआ रेप मामले के मुख्य आरोपी सांझी राम की बेटी से मुलाकात की, तो उसने जोर देकर कहा कि हिंदू एकता मंच तो अब डोगरा एकता मंच बन गया है.
कांत ने कहा कि उन्होंने मंच को भंग कर दिया है. उन्होंने कहा- “हिंदू एकता मंच अब कहीं नहीं है. इसे कुछ लोगों ने बनाया था. मैंने जाकर कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है. ये लड़की एक बकरवाल की बेटी है, एक मुस्लिम की बेटी है, वो हमारी बेटी है, आप इसे हिंदू एकता मंच नहीं कह सकते. हमने इसे भंग कर दिया और कहा कि हम इसे डोगरा एकता मंच कहते हैं जहां मुस्लिम और हिंदू एक साथ बैठते हैं."
दूसरी तरफ, ऐसे कई लोग हैं जो इसके खत्म होने के बावजूद मंच को बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं.
हिंदू एकता मंच के अध्यक्ष विजय कुमार ने बताया “हिंदू एकता मंच के कार्यकर्ता चौधरी लाल सिंह के कार्यकर्ता नहीं थे, वो तो आखिर में जुड़े थे. चौधरी लाल सिंह का संगठन डोगरा स्वाभिमान संगठन है. पहले इसे डोगरा एकता मंच कहा जाता था, अब ये डोगरा स्वाभिमान संगठन है. पहले उन्होंने कहा कि ये गैर-राजनीतिक था, और फिर, उनके कार्यकर्ताओं ने हाल ही में पंचायत चुनाव लड़ा."
कुमार आगे कहते हैं कि मंच अभी भी मौजूद है और "हमारे लोगों" पर अत्याचार हुआ तो ये फिर से सक्रिय होगा.
एक साल के अंदर ही मंच के सुर्खियों में आने से लेकर लगभग गायब होने तक 2 बातें साफ हैं: 8 साल की लड़की की रेप-हत्या मामले में सहानुभूति की कमी और हिंदू अभियुक्तों के लिए उनका निंदनीय समर्थन.
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