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(वीडियो एडिटर - विवेक गुप्ता)
"जब मेरे खिलाफ UAPA लगाया गया तो उसके अगले दिन मैं पुलिस स्टेशन गई और जांच अधिकारी से मिली. मैंने उनसे कहा कि ये मेरा काम है और मैं इसे अस्वीकार नहीं करूंगी."
कश्मीर की फ्रीलान्स फोटोजर्नलिस्ट मसरत जहरा पिछले चार सालों से घाटी में कवरेज कर रही हैं. 18 अप्रैल को मसरत पर एक कथित 'एंटी-नेशनल सोशल मीडिया पोस्ट' को लेकर UAPA लगा दिया गया.
कश्मीर साइबर सेल के SP ताहिर अशरफ ने डेक्कन हेराल्ड को बताया, "उसकी पोस्ट कानून-व्यवस्था के लिए खतरा हैं और गलत जानकारी फैलाते हैं."
अशरफ ने ट्विटर पर मसरत के सोशल मीडिया पोस्ट का स्क्रीशॉट शेयर करते हुए लिखा कि 'इसी के लिए UAPA लगाया गया है.' स्क्रीनशॉट में लिखा हुआ है, "कश्मीर के शिया मुस्लिमों को हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की तस्वीर ले जाते हुए देखा गया."
UAPA लगाए जाने की निंदा करते हुए मसरत ने क्विंट से कहा, "मेरा कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. मैं कोई सोशल एक्टिविस्ट नहीं हूं. मैं सिर्फ एक पत्रकार हूं. इससे ज्यादा और कम कुछ नहीं."
मसरत ने कहा कि कश्मीर में पत्रकार का काम आसान नहीं है.
पीरजादा आशिक पर 'द हिंदू' में छपी एक रिपोर्ट के सिलसिले में केस दर्ज हुआ है. वहीं गिलानी पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है.
FIR पर बात करते हुए मसरत ने कहा, "हम सब अपनी प्रोफेशनल ड्यूटी कर रहे हैं. हम पत्रकार हैं और सच बता रहे हैं, कश्मीर का असली चेहरा दिखा रहे हैं. हम कुछ गलत नहीं कर रहे."
कश्मीर में फोटोजर्नलिस्ट जैसे खतरनाक प्रोफेशन को अपनाने से लेकर FIR से लड़ने तक, मसरत का कहना है कि उन्हें परिवार का हमेशा साथ मिला है. मसरत ने कहा कि UAPA के बारे में सुनकर वो सन्न रह गई थीं और सोच रही थीं कि परिवार किस तरह प्रतिक्रिया देगा.
UAPA के तहत केस दर्ज होना मसरत के लिए पहली मुश्किल नहीं है.
18 मई 2018 को उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट पर अपनी एक फोटो अपलोड की. वो शोपियां के कचडूरा में सुरक्षाबलों का एक ऑपरेशन कवर कर रही थीं और उनके दोस्त ने ये फोटो ली थी. कुछ घंटों में वो फोटो वायरल हो रही और उन्हें धमकी और गालियां मिलने लगीं.
मसरत को एक मुखबिर के तौर पर पेश करते हुए उनकी फोटो वायरल कर दी गई.
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