Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जिस शारदा चिट फंड घोटाले पर बवाल मचा है, आखिर वो मामला है क्या?

जिस शारदा चिट फंड घोटाले पर बवाल मचा है, आखिर वो मामला है क्या?

ममता ने एक साथ CBI, PM मोदी, अमित शाह और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजीत डोभाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया

वैभव पलनीटकर
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने CBI Vs Police और Center Vs State का जो सवाल खड़ा किया है उसके पीछे है शारदा चिट फंड घोटाला. मैं आपको बताता हूं कि वो घोटाला आखिर था क्या?


शारदा चिट फंड एक इकोनॉमिक फ्रॉड का केस है. आरोप है कि बिजनेस और पॉलिटिक्स के इस सोचे-समझे नेक्सस ने जनता को मूर्ख बनाया और करोड़ों रूपये का गबन किया. शारदा चिट फंड एक पोंजी स्कीम थी मतलब ये किसी भी इन्वेस्टमेंट मॉडल पर नहीं टिकी थी बल्कि ये स्कीम निवेशकों के पैसे के दम पर ही चल रही थी. शारदा ग्रुप में करीब 239 कंपनियां शामिल थीं.

कंपनी ने लोगों को उनके निवेश पर उटपटांग रिटर्न देने का वादा किया. कम वक्त में बेतहाशा रिटर्न के लालच में लोगों ने इसमें पैसा भी लगाया.

शुरुआत में इस पोंजी स्कीम के तहत कुछ लोगों को वादे के मुताबिक रिटर्न भी दिया गया. जिससे इस स्कीम की लोकप्रियता बढ़ने लगी. शारदा चिट फंड घोटाले की जद में पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, झारखंड के 15 लाख से ज्यादा लोग आए. शारदा ग्रुप ने इसी पैसे के दम पर पूरा साम्राज्य खड़ा कर लिया. शारदा ग्रुप ने महज 4 सालों में पश्चिम बंगाल के अलावा भी झारखंड, उड़ीसा और नॉर्थ ईस्ट राज्यों में अपने 300 ऑफिस खोल लिए. कंपनी ने करीब 40 हजार करोड़ रुपए जुटाए. शारदा ग्रुप ने बंगाली फिल्म इंडस्ट्री में पैसा लगाया, लोकल टेलीविजन चैनल और न्यूजपेपर को खरीद लिया. कंपनी ने रियल एस्टेट सेक्टर में भी अपने पांव जमाए.


लेकिन इस इन्वेस्टमेंट मॉडल का खोखलापन ज्यादा दिन तक छिपा न रह सका. दिसंबर 2012 में इस फर्जीवाड़े का खुलासा होना शुरू हुआ. अप्रैल 2013 में शारदा ग्रुप के 600 से ज्यादा कलेक्शन एजेंट TMC ऑफिस के बाहर इकट्ठे होकर एक्शन की मांग करने लगे. ठीक उसके बाद मार्केट रेगुलेटर सेबी ने आदेश जारी किया कि कंपनी को तत्काल प्रभाव से पैसे जुटाने की स्कीम बंद करनी होगी और 3 महीने के अंदर लोगों को उनके पैसे लौटाने होंगे. तभी शारदा ग्रुप के हेड सुदीप्तो सेन और देबजानी मुखर्जी को गिरफ्तार कर लिया. 2013 में इस केस की जांच SIT को सौंपी गई.

अभी के कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार जो पूरे मामले के सेंटर में हैं ये तब इस चिट फंड घोटाले की जांच कर रही SIT का नेतृत्व कर रहे थे. राजीव कुमार पर भी इस केस की जांच ठीक से न करने और सबूतों को मिटाने के आरोप लगे

साथ ही इस घोटाले में कुछ टीएमसी के नेताओं का भी नाम आने लगा.


इसके बाद मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पूर्वी भारत में शारदा समेत सभी पोंजी स्कीमों की जांच CBI करे. CBI कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से गुम फाइलों और दस्तावेजों के बारे में पूछताछ करना चाहती है. आम लोगों के हजारों करोड़ डूबने के मामले में CBI ने अब तक 80 चार्जशीट फाइल की हैं जबकि एक हजार करोड़ से ज्यादा रुपए रिकवर कर लिए गए हैं.


3 फरवरी, 2019 को सीबीआई की कार्रवाई ने मामले को हाई वोल्टेज ड्रामे में तब्दील कर दिया. पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से पूछताछ करने कोलकाता पहुंची सीबीआई टीम के खिलाफ खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठ गई और एक साथ CBI, PM मोदी, अमित शाह और  National security Advisorअजीत डोभाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

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Published: 05 Feb 2019,02:32 PM IST

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