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वीडियो प्रोड्यूसर: अनुभव मिश्रा
वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद
बल्ला या अंग्रेजी में कहें तो बैट क्रिकेट के ग्राउंड पर चौके छक्के के रूप में हल्ला तो खूब मचाता है लेकिन इसके बनाने वालों की आवाज धीमी पड़ गयी है. आईपीएल, वर्ल्ड कप और तमाम तरह के राजनीतिक वादों के बाद भी क्यों इस स्पोर्ट्स इंडस्ट्री की हालत खस्ता है. यही जानने के लिए क्विंट की टीम पहुंची मेरठ. मेरठ देश में सबसे ज्यादा बल्ला या कहें स्पोर्ट्स से जुड़े सामान बनाने वाली जगहों में से एक है.
लोकसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है और उत्तर प्रदेश के मेरठ में 11 अप्रैल को चुनाव होने हैं. हर तरफ चुनावी रैली और प्रचार का दौर है. लेकिन मेरठ के विक्टोरिया पार्क और उमर रोड जैसे इलाकों में मौजूद स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में खामोशी है खामोशी है.
बैट और बॉल बनाने वाली कंपनी हीरा स्पोर्ट्स के मालिक हर्ष महाजन बताते हैं,
बैट बनाने वाले राजेश कपूर बताते हैं कि जीएसटी ने सिर्फ चीजें महंगी ही नहीं की बल्कि इससे बिक्री भी कम हो गई है. जो प्रोडक्ट तैयार है वो ही बिक जाए तो काफी है. अब बिक्री होगी नहीं, नया सामान बनेगा नहीं तो मजदूर को पैसे कहां से देंगे. पहले कई लोग हमारी फैक्ट्री में काम करते थे लेकिन अब उन्हें हटाना पड़ा. अब कम से कम लोगों में काम चला रहे हैं. सिर्फ मेरा ही नुक्सान नहीं हुआ है, मजदूरों का नुक्सान भी हुआ है. बेरोजगार हुए हैं लोग."
विक्टोरिआ पार्क के रहने वाले एक और स्पोर्ट्स मैन्युफैक्चरर राकेश खन्ना बताते हैं कि सरकार ने स्पोर्ट इंडस्ट्री से दो वादे किये थे. बैंक लोन पर 10% सब्सिडी साथ ही स्पोर्ट्स फैक्ट्री के लिए सस्ते दरों पर जमीन. लेकिन दोनों में कुछ भी नहीं हुआ.
जेडी स्पोर्ट्स के मालिक मोहम्मद नसीर से जब चुनाव और नेताओं के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा,
अब 2019 लोकसभा चुनाव में किसका बल्ला बोलेगा, कौन सत्ता की कुर्सी पर पहुंचने से पहले ही रन आउट हो जाएगा और कौन खुद की गलती से हिट विकेट. ये तो कैंडिडेट की फीलडिंग और थर्ड अंपायर मतलब वोटरों के आखिरी फैसले पर निर्भर है.
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