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‘राजपथ’ में गडकरी-‘सभी भगवाधारियों का बिल हमारे नाम पर मत फाड़िए’

केंद्रीय मंत्री गडकरी क्विंट के खास कार्यक्रम ‘राजपथ’ में ‘भगवा’ के नाम पर आतंक फैलाने वालों पर खासा नाराज नजर आए. 

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‘राजपथ’ में गडकरी-‘सभी भगवाधारियों का बिल हमारे नाम पर मत फाड़िए’
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‘राजपथ’ में गडकरी-‘सभी भगवाधारियों का बिल हमारे नाम पर मत फाड़िए’
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी क्विंट के खास कार्यक्रम 'राजपथ' में 'भगवा' के नाम पर आतंक फैलाने वालों पर खासा नाराज नजर आए. गडकरी का कहना है कि जैसे ही कोई शख्स ऐसे किसी सांप्रदायिक घटना में शामिल होता है, लोग इसका बिल बीजेपी और आरएसएस के नाम से फाड़ने लगते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जा सकती. क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से बातचीत में गडकरी ने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी.

सभी को पता है कि आप संघ के स्वयंसेवक हैं. कमिटेड हैं बावजूद इसके बहुत से लोगों को एक चिंता है कि जिस प्रकार का जनता का विमर्श अब चला है, जिस प्रकार की कर्कशता है और कुछ चीजों पर शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी है उसे हम मामूली घटनाएं कह कर खारिज नहीं कर सकते. कश्मीर के लोगों की पिटाई, लव जिहाद के नाम पर गुंडागर्दी का दौर चला है. ये ऑर्गेनाइज्ड क्राइम है, ये लोग अपना करियर बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. सत्ता के मौन से क्या इन्हें स्वीकृति नहीं मिलती है, क्या इनपर सख्त से सख्त कार्रवाई नहीं करनी चाहिए?

देखिए पहले तो मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं. ये पूरी घटनाएं दुखद हैं, निषेध हैं और ऐसे करने वाले कोई भी हों, उनपर कठोर कार्रवाई करने की हमारी सरकार की नीति है. इसलिए कोई सवाल ही नहीं उठता, इसे सपोर्ट करने का या मौन रूप से उसे सहमति देना. पर मैं आपसे दूसरा सवाल पूछना चाहता हूं.

क्या ऐसी घटना करने वालों का संबंध बीजेपी या आरएसएस के साथ है? मैं मीडिया के कुछ सेक्शन से एक सवाल पूछना चाहता हूं-इन घटनाओं का बिल हमारे नाम से क्यों फाड़ते हैं? कोई भी भगवा कपड़ा पहन कर आता है उसको टीवी पर खड़ा कर देते हैं और वो उल्टा-सीधा बोलता है और हमारे नाम पर चला देते हैं. ये कौन सा न्याय है जबकि हमारा इसके साथ कोई संबंध ही नहीं है न आरएसएस का है, न बीजेपी का है, न किसी का है. हम इन घटनाओं का पूरी तरह विरोध करते हैं, इसके विरोध में खड़े हैं.

कश्मीर हो या गुवाहाटी, अपना देश-अपनी माटी. यही बात हम कहते हुए आगे आए हैं.

लेकिन मैं आपसे एक सवाल पूछता हूं कि ‘क्या 50-60 साल कांग्रेस का राज रहा तब ऐसी घटना नहीं हुई?’ ऐसी घटनाएं आज से नहीं हो रही हैं. पिछले कई साल से देश में हो रही हैं. प्रतिक्रिया देते हैं लोग, ये अच्छी बात नहीं है. लेकिन इसका बिल बीजेपी और आरएसएस के नाम से फाड़ना और हमारे गले में लटका कर जातिवाद और सांप्रदायिकता के आगे जाकर कहना कि इनके राज में ये असुरक्षित है, ये असुरक्षित है , ये असुरक्षित है. ऐसे हमारे खिलाफ एक राजनीतिक एजेंडा तैयार करना ये कौन सी बात है?

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विपक्ष और मीडिया को इतना षड़यंत्र करने के लिए बहुत ज्यादा क्रेडिट तो नहीं दे रहे हैं? इनके बस की कहां ये सब करना?

ये सब होता है. जब मैं बीजेपी का अध्यक्ष था, कोई भी टीवी पर आता था. मैं कहता था ये कौन है, भगवा कपड़े पहने हुए थे. ‘इसका हमारा कोई संबंध नहीं’. आपके लोग बाहर बाजार में ढूंढते रहते हैं किसी ऐसे ही उट-पटांग व्यक्ति को पकड़ते हैं, भगवा कपडा पहना कर खड़ा कर देते हैं. एक घंटे चर्चा में वो उल्टा-सीधा कुछ बोलता है.

जैसा आपने कहा, इसका निषेध करना ये ज्यादा जरूरी होता है

मैं आपको ओपचारिक तौर पर बता रहा हूं. ये पूरी घटनाएं निषेध है, ऐसा जो करेंगे. उनके ऊपर कठोर कार्रवाई करने की नीति सरकार की है. किसी के साथ कोई सहानुभूति नहीं रखी जाएगी और तीसरी बात इन घटनाओं के साथ बीजेपी का, आरएसएस का, कोई संबंध नहीं है. हम बिलकुल इस बात को पसंद नहीं करते हैं.

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