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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा
चुनाव आयोग लगातार कहता रहा है कि चुनावी प्रक्रिया में किसी निजी फर्म को शामिल नहीं किया गया. लेकिन द क्विंट की पड़ताल कहती है कि ये दावा सरासर गलत है.
द क्विंट के पास 2017 के एक RTI का जवाब मौजूद है. इसके मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) – जो EVM और VVPAT बनाने वाली एक कंपनी है, उसने बताया था कि उन्होंने M/s T&M सर्विसेज कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड नाम की मुंबई की एक निजी कम्पनी के इंजीनियरों की सेवाएं "कंसल्टेंट" यानी सलाहकार के तौर पर ली थीं.
द क्विंट को जानकारी मिली कि इनमें कई निजी इंजीनियरों की सेवाएं लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान ली गई थीं. उनका काम बेहद संवेदनशील था, जिनमें EVMs और VVPATs की जांच और रख-रखाव भी शामिल थे. उनकी सेवाएं First Level Checking (FLC) से लेकर वोटों की गिनती खत्म होने तक ली गई थीं.
हैरानी की बात है कि जब द क्विंट ने पिछले हफ्ते चुनाव आयोग से लिखित पूछा कि क्या ECIL ने EVMs और VVPATs की जांच के लिए निजी कंपनी और निजी सलाहकारों की सेवाएं ली थीं? तो चुनाव आयोग का जवाब था – नहीं.
(BEL का पूरा नाम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड है. ये सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी कम्पनी है, जिसे सरकार ने EVMs और VVPATs बनाने का काम दिया था)
साफ है कि चुनाव आयोग सच्चाई छिपा रहा है और जनता को गुमराह कर रहा है. आखिर क्यों?
2017 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के सिलसिले में अमित अहलूवालिया नाम के एक वकील ने RTI दाखिल की थी.
हम आपको बताते हैं कि उस वक्त उन्होंने RTI के तहत ECIL से क्या सवाल किया था और उन्हें क्या जवाब मिला:
कृपया इस बात की जानकारी दें कि क्या किसी एजेंसी ने ECIL को सलाहकार मुहैया कराई है? अगर हां, तो कृपया उस कंपनी के बारे में सूचना उपलब्ध कराएं. साथ ही ये भी बताएं कि सलाहकार उपलब्ध कराने के क्या पैमाने हैं?
ECIL निजी कुशल/अर्धकुशल “सलाहकारों” की सेवाएं ले रहा है. हां, मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए इकलौती अधिकृत कम्पनी M/s T&M सर्विसेज कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड (मुंबई के पते के साथ) है.
इस RTI में दी गई सूचना के आधार पर द क्विंट ने कुछ ‘सलाहकार’ इंजीनियरों से बातचीत की, जिनकी सेवाएं 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान ली गई थीं. उनमें से कुछ ने इस बात की पुष्टि की कि 2019 में लोकसभा चुनाव के अलावा कई विधानसभा चुनाव के दौरान भी EVMs और VVPATs के संचालन के लिए उनकी सेवाएं ली गई थीं. इनमें 2018 में मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव भी शामिल हैं.
इस बारे में द क्विंट ने पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि 2017 में उत्तराखंड चुनाव के कुछ महीनों बाद ECIL पर आरोप लगे थे कि उसने EVMs और VVPATs की जांच के लिए बाहरी कंपनियों की सेवाएं ली थीं. लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें बताया कि चुनाव के दौरान सिर्फ इनहाउस इंजीनियरों की सेवाएं ली गई थीं.
भरोसा देने के लिए चुनाव आयोग ने कुरैशी को नए दिशा-निर्देश की कॉपी भी दी, जिसका उन्होंने अपने ट्वीट में इस्तेमाल किया था. दिशा-निर्देश के मुताबिक, “सिर्फ BEL/ECIL के इंजीनियर, जो उनके पेरोल पर हैं, उन्हें FLC (First Level Checking) के काम में लगाया गया है.”
RTI पर ECIL के जवाब के मुताबिक M/s T&M सर्विसेस कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड ने 2017 में ECIL को इंजीनियर उपलब्ध कराए थे. सवाल है कि इसके बाद चुनाव आयोग ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को गुमराह क्यों किया?
कुरैशी ने अपनी किताब, An Undocumented Wonder: The Making of the Great Indian Election में चुनाव प्रक्रिया में निजी कंपनियों से परहेज के बारे में लिखा था.
ये दलील दी जा सकती है कि चुनाव के दौरान काम करने के लिए ECIL के पास पर्याप्त संख्या में इंजीनियर नहीं हैं. जानकारों का कहना है कि 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान दो अलग-अलग EVM बनाने वाली कम्पनियों ECIL और BEL ने लगभग 2,200 इंजीनियरों को काम पर लगाया था. इनमें ECIL ने अकेले ही 1,000 से ज्यादा इंजीनियर उपलब्ध कराए थे.
RTI के जबाव में ECIL ने स्वीकार किया कि उसने निजी कम्पनी के सलाहकारों की सेवाएं ली थीं, लेकिन चुनाव आयोग इससे इनकार कर रहा है.
द क्विंट ने पूछा – जवाब में ये विरोधाभास क्यों है? आम जनता को ये क्यों नहीं बताया जा रहा कि EVMs की जांच जैसे अत्यंत संवेदनशील कार्य के लिए किस आधार पर किसी विशेष फर्म को चुना गया? क्या चुनाव आयोग ने इस फर्म और उसके ‘सलाहकार’ इंजीनियरों की पूरी पड़ताल की थी?
ये बात आश्चर्यजनक, लेकिन सच है. 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान EVMs की जांच के लिए करीब 50 प्राइवेट सलाहकार इंजीनियरों का इस्तेमाल किया गया.
लेकिन चुनाव आयोग का कहना है कि उसे ये बात नहीं मालूम है. ECIL के तैनात किये गए ‘सलाहकारों’ के बारे में चुनाव आयोग में एक RTI दाखिल की गई, लेकिन आयोग ने जवाब दिया कि उन्हें जानकारी नहीं है.
कृपया बताएं कि क्या चुनाव आयोग को 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान EVMs के संचालन और खामियां दूर करने के लिए ECIL के नियुक्त किये गए सलाहकारों के बारे में जानकारी है?
आपको जानकारी दी जा रही है कि आपके द्वारा मांगी गई सूचना किसी सामग्री के रूप में उपलब्ध नहीं है. लिहाजा RTI अधिनियम 2005 की धारा 2(f) के तहत ये सूचना प्रदान नहीं की जा सकती. ये सूचना BEL अथवा ECIL के पास उपलब्ध हो सकती है.
एक और RTI में ये सामने आया कि ECIL ने 2017 में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान करीब 60 इंजीनियरों को तैनात किया था. इनमें सिर्फ 8 ही ECIL के कर्मचारी थी. बाकी इंजीनियर M/s T&M सर्विसेज कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड से सलाहकार के रूप में लिये गए थे.
ECIL ने RTI में ये भी सूचना दी कि 2017 में उत्तराखंड चुनाव के दौरान निजी सलाहकार और ECIL के इंजीनियर – दोनों ही पोलिंग और गिनती के दौरान EVMs की “First Level Checking” में शामिल थे.
RTI के खुलासों के बाद चुनाव और प्रशासन में पारदर्शिता लाने की कोशिश कर रहे जानकार और एक्टिविस्ट सकते में हैं.
RTI में कुछ इंजीनियरों के नाम और मोबाइल नम्बरों का भी पता चला, जिन्होंने ECIL के साथ ‘सलाहकार’ के तौर पर काम किया था. उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने M/s T&M सर्विसेस कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड में आवेदन किया था, जिसने ECIL का ठेका दिलाने में उनकी मदद की.
उसने ये भी बताया कि चुनाव में ECIL के बेहद कम इंजीनियर शामिल थे, ज्यादातर इंजीनियर सलाहकार थे.
द क्विंट RTI में मिली जानकारी के मुताबिक दूसरे ‘सलाहकारों’ के नाम और मोबाइल नम्बर की पड़ताल कर रहा है. आगे के आर्टिकल्स में हम आपको उनके बारे में विस्तार से बताएंगे.
क्या किसी तीसरी पार्टी को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने से बाहरी दबाव का खतरा नहीं बढ़ जाता?
आखिर चुनाव आयोग को कैसे मालूम नहीं हो सकता है कि ECIL एक प्राइवेट कंपनी को शामिल कर रहा है या नहीं? स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव कराने की अपनी भूमिका निभाने में उन्हें निश्चित रूप से ये जानकारी राष्ट्रहित में मालूम होनी चाहिए.
ये कैसे हो सकता है कि चुनाव आयोग को ये मालूम न हो कि ECIL चुनाव के पहले और चुनाव के दौरान EVM और VVPAT की जांच के लिए निजी सलाहकारों की मदद ले रहा है?
ECIL और M/s T&M सर्विसेस कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड से जवाब मिलने पर हम आपको भी बताएंगे.
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