Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019शिवराज सिंह चौहान के करियर का ये सबसे कठिन चुनाव क्यों है?

शिवराज सिंह चौहान के करियर का ये सबसे कठिन चुनाव क्यों है?

सबसे ज्यादा विधानसभा चुनाव जीतने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान इस बार प्रेशर में हैं.

वैभव पलनीटकर
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सबसे ज्यादा विधानसभा चुनाव जीतने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान इस बार प्रेशर में हैं.
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सबसे ज्यादा विधानसभा चुनाव जीतने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान इस बार प्रेशर में हैं.
(फोटो: क्विंट)

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शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा विधानसभा चुनाव जीतने वाले मुख्यमंत्री हैं, फिर भी चौथी बार वो दबाव में हैं. अब तक उनकी जो ताकत थी, वही अब कमजोरी लग रही है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि नए SC/ST एक्ट के बाद गजब जातिगत ध्रुवीकरण हो गया है. बीजेपी के कोर वोटर रहे लोगों के नए संगठनों का उदय हो गया है, जो बीजेपी के हिस्से के वोट काटने का दावा कर रहे हैं.

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सवर्णों में गुस्सा - सपाक्स बनाया

मध्य प्रदेश में सवर्णों में नाराजगी नए SC/ST एक्ट और प्रमोशन में आरक्षण के ऐलान से हुई है. नाराज होकर सवर्ण और पिछड़ों ने मिलकर सपाक्स नाम की पार्टी बना ली है. सपाक्स मतलब सामान्य पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था. इस पार्टी की सभाओं में बहुत भीड़ आ रही है, जिससे उत्साहित होकर इन्होंने 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.

प्रदेश में करीब 15% सवर्ण वोट है, जो करीब 30 सालों से बीजेपी के कोर वोटर रहे हैं. इसके अलावा राज्य में पिछड़े वर्गों के 37% वोट हैं. मतलब सपाक्स बीजेपी के कोर वोट में सेंध लगा सकती है.

दलितों में BJP को लेकर नाराजगी

मोदी सरकार के 4 साल में रोहित वेमुला से लेकर ऊना तक की घटनाओं से दलित नाराज हैं. और यही बात राज्य सरकार के भी खिलाफ जाती है. मध्य प्रदेश में करीब 16% एससी वोट हैं. 2 अप्रैल के दलितों के भारत बंद में भी मध्य प्रदेश के ग्वालियर और आसपास के इलाकों में जमकर प्रदर्शन देखने को मिला था. दलितों की नाराजगी BJP के लिए चिंता का बड़ी वजह है.

आदिवासियों के संगठन 'जयस' का उदय

मध्य प्रदेश में युवा आदिवासियों के संगठन 'जयस' ने मध्य प्रदेश के आदिवासी इलाकों में अच्छी पकड़ बनाई है. आदिवासियों का मध्य प्रदेश में करीब 23% वोट है. हालांकि जयस की कांग्रेस के साथ गठबंधन पर बातचीत चल रही है. जयस ने ऐलान किया है कि अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं भी होता है, तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. लेकिन अगर कांग्रेस का जयस से गठबंधन हो जाता BJP के लिए मुश्किल हो सकती है.

इसके अलावा किसानों की दिक्कत भी किसानों का फैक्टर भी शिवराज की राह में रोड़ा हैं. यूं तो शिवराज सिंह किसानों के बीच काफी लोकप्रिय नेता माने जाते थे, लेकिन पिछले साल मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान 6 किसानों की मौत हो गई. इसके बाद से ही किसानों का सरकार के खिलाफ गुस्सा देखने को मिला है. कांग्रेस ने भी किसानों के लिए कर्जमाफी करने का वादा किया है.

इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने चुनाव प्रचार के लिए आशीर्वाद यात्रा निकाली. लेकिन पूरी यात्रा में शिवराज ने ज्यादातर अकेले ही मोर्चा संभाला. BJP के एकाध केंद्रीय मंत्रियों के अलावा BJP के केंद्रीय नेतृत्व में ज्यादा किसी ने शिरकत नहीं की. साथ ही साथ आशीर्वाद यात्रा में वैसी भीड़ न जुटने और सीटें और पंडाल खाली रह जाने की भी काफी खबरें आईं.

2013 की तरह इस बार मोदी लहर का साथ नहीं

2013 विधानसभा में शिवराज की जीत का एक बड़ा कारण मोदी लहर और तब की केंद्र सरकार की एंटी इनकंबेंसी थी. लेकिन इस बार मोदी का जलवा उस तरह से नहीं है और केंद्र की 4 साल की एंटीइनकंबेंसी शिवराज के खिलाफ काम कर सकती है.

तो कुल मिलाकर इस तो इस बार शिवराज की डगर आसान नहीं है.

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