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वीडियो एडिटर: विवेक कुमार
महाराष्ट्र का महासमर सज चुका है. विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो गया है. महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे, और नतीजों का ऐलान 24 अक्टूबर को होगा. एक तरफ शिवसेना बीजेपी ताल ठोक रहे हैं तो दूसरी तरफ एनसीपी-कांग्रेस ने बिसात बिछाई है और इन सबका खेल बिगाड़ने के लिए हैं वंचित बहुजन अघाड़ी.
महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटे हैं 2014 के चुनाव में बीजेपी 122 सीटों पर जीत कर सबसे बड़ी पार्टी बनी और पहली पर महाराष्ट्र में बीजेपी को अपना सीएम बनाने का मौका मिला जबकि शिवसेना 63 विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर रही तो कांग्रेस के 42 और एनसीपी के 41 विधायक जीत हासिल कर सके थे. लोकसभा चुनाव में मिली भारी सफलता के बाद सत्ताधारी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के हौसले बुलंद हैं तो वही एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन भी पूरी ताकत से मैदान में उतरता दिख रहा है
प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA ) भले की लोकसभा चुनाव में 48 में से 47 सीट हार गई हो पर VBA को लोकसभा चुनाव में 8% वोट मिले, प्रकाश आंबेडकर ने जिस सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग कर उम्मीदवारों को टिकट दिया उसने कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचाया, राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर VBA के उमीदवारों को 1 लाख से ज्यादा वोट मिले. कांग्रेस के कई दिगज्ज नेता भी अपनी सीट नहीं बचा सके जिसमे अशोक चव्हाण और सुशील कुमार शिंदे का नाम शामिल है.
दलित और मुस्लिम को कांग्रेस का ट्रडीशनल वोट माना जाता है लेकिन VBA और AIMIM के गठबंधन ने इसे अच्छा खासा प्रभावित किया.
सत्ताधारी बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन जो कुछ महीनों पहले तक दोनों ही पार्टियों के नेताओं के बयान सुनकर आसान लग रहा था, वहां फिलहाल सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ये साफ हो गया है सीटों के बंटवारे से लेकर दूसरे कई मुद्दों तक दोनों पार्टियों के नेताओं में मतभेद खुलकर सामने आने लगे है.
सूत्र बताते हैं की आधी-आधी सीटों पर शिवसेना चुनाव लड़ने को तैयार है, वहीं आरे मेट्रो कारशेड के मुद्दे पर भी आदित्य ठाकरे और फडणवीस आमने सामने खड़े दिखाई दे रहे है. उधर कांग्रेस - एनसीपी का गठबंधन तय माना जा रहा है. ऐसे में वोटों का बंटवारा टालना है तो छोटे मोटे विवाद भूलकर बीजेपी-शिवसेना को साथ आना होगा.
2014 में कांग्रेस और एनसीपी ने अलग अलग चुनाव लड़ा था और इसका नुकसान दोनों पार्टियों को उठाना पड़ा था लेकिन इस बार इससे बचने के लिए दोनों दलों के प्रमुख नेताओं ने विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ने का फैसला किया है. जानकारी के मुताबिक 125 -125 सीटों पर दोनों पार्टिया लड़ेंगी, जबकि बची 38 सीट छोटे सहयोगी दलों के लिए छोड़ी जाएगी. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन महाराष्ट्र में कुछ खास नहीं कर सका था. एनसीपी को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि कांग्रेस को एक सीट पर.
लोकसभा चुनाव ना लड़ने वाली राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना का विधानसभा चुनाव लड़ना भी तय नहीं माना जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज ठाकरे ने मुंबई में पार्टी नेताओ की बैठक में देश के आर्थिक हालात का मुद्दा सामने रखा. पार्टी के लिए उम्मीदवारों को फंड देना भी मुश्किल हो रहा है. पिछले कुछ सालो में एमएनएस के प्रदर्शन को देखते हुए पार्टी का मोरल गिरा हुआ दिखाई देता है.
राज भले ही चुनाव ना लड़ने की वकालत कर रहे हो लेकिन उनकी पार्टी के कई नेता उनपर चुनाव लड़ने को लेकर दवाब बना रहे है. कुछ दिनों में राज ठाकरे अपना फैसला सार्वजनिक करेंगे.
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