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महाराष्ट्र की राजनीति में जो उलटफेर हुआ है, उसको लेकर इस वक्त सबकी जुबान पर सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या अजित पवार ने एनसीपी से बगावत की है या फिर इस पूरे सियासी सर्कस में शरद पवार भी शामिल हैं?
22 नवंबर की रात तक हेडलाइन यही थी कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के सीएम होंगे और इसको लेकर एनसीपी-कांग्रेस-शिवसेना में सहमति बन गई है. लेकिन सुबह होते-होते हेडलाइन बदल गई.
अब हेडलाइन है - देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने ली डिप्टी सीएम पद की शपथ.
अजित पवार ने बगावत की है, सबसे पहले इसके पक्ष में जो तथ्य हैं वो क्या हैं?
सबसे बड़ी बात तो यही है कि शरद पवार ने कहा है कि बीजेपी को समर्थन देने का फैसला पार्टी नहीं अजित पवार का है... शरद पवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो विधायकों ने बताया कि किस तरह उन्हें अजित पवार ने धोखे से बुलाया और वो राजभवन पहुंच गए तब पता चला कि शपथ ग्रहण है.
शरद पवार ने ये भी बताया,
शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने वॉट्सऐप पर स्टेटस लगाया है कि पार्टी और परिवार टूट गया. मुंबई में एनसीपी कार्यकर्ताओं ने अजित पवार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है.
सबूत और भी हैं...ये समझने के लिए जरा पीछे जाइए
फिर 22 नवंबर को शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच जो बैठक हुई, उसके बारे में शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि अजित पवार नजरें नहीं मिला पा रहे थे...उनकी बॉडी लैंग्वेज भी बदली हुई थी.
संजय राउत ने ये भी कहा,
और ऐसा भी नहीं है कि अजित पवार ने पहली बार बगावती तेवर दिखाए हों. सुप्रिया सुले से उनकी प्रतियोगिता की चर्चा होती रहती है. 2019 लोकसभा चुनाव में अजित के बेटे पार्थ के लड़ने की बात आई तो शरद पवार को चुनाव मैदान से हटना पड़ा.
2012 में पृथ्वीराज चौहान सरकार में डिप्टी सीएम के पद से अचानक इस्तीफा देकर अजित ने हड़कंप फैला दिया था. बाद में शरद पवार की दखल से बात बनी
लेकिन सियासी शतरंज में खाने आड़े-तीरछे होते हैं...कोई सीधी लकीर नहीं...ये जानते हुए मान लेते हैं कि अंदरखाने शरद पवार भी शिवसेना और कांग्रेस के पैरों तले जमीन खिसकाने में शामिल हैं तो क्या सबूत मिलते हैं?
याद कीजिए संजय राउत का बयान - शरद पवार को सौ जनम में भी समझना मुश्किल है. शरद पवार इस तरह की पलटी मारेंगे तो ये पहली बार नहीं होगा...
जरा पांच साल पीछे जाइए...2014 में भी बीजेपी को बहुमत नहीं मिला था. और शिवसेना साथ आने को तैयार नहीं थी...
तो शरद पवार की पार्टी NCP फ्लोर टेस्ट में गायब हो गई थी. सदन की संख्या कम हुई और बीजेपी की सरकार बन गई. बाद में शिवसेना भी साथ आ गई.
1978 में शरद पवार ने कांग्रेस के 7 एमएलए को साथ लेकर जनसंघ की सरकार बनवाई थी. तब कांग्रेस के वसंत दादा पाटिल सीएम थे. अब मौजूदा वक्त में लौटिए...
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन खुद पीएम मोदी ने NCP की तारीफ की...जब ये हुआ तो सब चौंके थे...क्या उस तारीफ और महाराष्ट्र में समीकरण बदलने के बीच कोई संबंध है?
फिर शरद पवार ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की. सामने से तो यही बताया गया कि किसानों को मुआवजे पर बात हुई लेकिन सवाल तो उठेंगे ही क्या उस मुलाकात में महाराष्ट्र का सियासी समीकरण सेट हुआ?
और आखिर में सबसे बड़ी बात, जब शरद साफ-साफ कह रहे हैं कि अजित ने बगावत की है, अनुशासन तोड़ा है तो अब अनुशासन समिति में मामला डालने का क्या मतलब है? क्यों शरद पवार ने अजित पवार को पार्टी से नहीं निकाला है?
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