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बीजेपी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने में सफल होकर भी असफल हो गई और अब पार्टी के भीतर भी नाराज नेताओं की लगता है झड़ी सी लग गई है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से की नाराजगी किसी से छिपी नहीं है लेकिन उनके बाद पंकजा मुंडे की नाराजगी ने महाराष्ट्र बीजेपी के हाथ पांव फुला दिए हैं. तो सवाल ये है कि आखिर महाराष्ट्र बीजेपी में क्या चल रहा है और पंकजा के बागी तेवरों के पीछे क्या है?
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पहली बार जन सभा को संबोधित करने पहुंची पंकजा मुंडे ने बीजेपी को राम-राम करने की अटकलों पर भले ही विराम लगा दिया हो लेकिन उन्होंने कहा कि वो अब महाराष्ट्र बीजेपी कोर टीम की सदस्य नहीं रहेंगी. ये भी कह दिया कि उन्हें पार्टी में रखना है कि नहीं, इसका फैसला बीजेपी करे?
गोपीनाथ मुंडे की जंयती के मौके पर आयोजित सभा में हिस्सा लेने प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, एकनाथ खड़से, पूर्व मंत्री प्रकाश महेता भी आए थे. एकनाथ खड़से ने अपने भाषण में पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस को जमकर आड़े हाथों लिया. खड़से ने कहा कि देवेंद्र फडणवीस को हमने मुंडे साहब के कहने पर प्रदेश अध्यक्ष बनाया था, उन्होंने आज मेरे साथ क्या किया ? खड़से यहीं नहीं रुके, उन्होंने पंकजा मुंडे और अपनी बेटी रोहिणी खड़से की हार के पीछे बीजेपी के कुछ नेताओं को जिम्मेदार बताया.
लेकिन क्या वाकई में पंकजा मुंडे की हार के पीछे बीजेपी के कुछ नेता है? क्योंकि पंकजा की जीत हो इसके लिए पीएम मोदी से लेकर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने उनके चुनाव क्षेत्र में प्रचार किया. पंकजा मुंडे फडणवीस सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री थीं, लेकिन इन सब के बावजूद उन्हें 32 हजार वोटों से अपने चचेरे भाई धनंजय मुंडे से हार का सामना करना पड़ा.
तो सवाल उठता है कि पंकजा ये बागी तेवर क्यों दिखा रही हैं?
क्या पंकजा ने फडणवीस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है? जानकार बताते हैं कि पंकजा हार के बावजूद पार्टी को अपनी ताकत दिखाना चाहती हैं और विधान परिषद में नेता विपक्ष का पद या प्रदेश अध्यक्ष का पद चाहती हैं? बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने क्विंट को बताया अगर ये सब पद को हासिल करने के लिए हो रहा है तो मोदी और शाह के राज में इस तरह के दबाव से पंकजा को कुछ ज्यादा हासिल होगा ऐसा लगता नहीं है.
वैसे पंकजा पार्टी के साथ ही अपने वोटर को भी साधने की कोशिश कर रही हैं. पंकजा ने 27 जनवरी को किसानों के मुद्दों को लेकर एक दिन का सांकेतिक अनशन करने का ऐलान किया है. वो महाराष्ट्र का दौरा भी करने वाली हैं. जानकार बताते हैं कि पंकजा राज्य में बड़े ओबीसी नेता की भूमिका में आना चाहती हैं.
शायद उनकी इसी मंशा को देखते हुए पूर्व मंत्री और ओबीसी नेता चंद्रशेखर बावनकुले कह रहे हैं कि नेता जाति से नहीं काम से बड़ा होता है. टिकट विनोद तावड़े का भी टिकट कटा था, वो पार्टी से अब भी सफाई चाहते हैं हालांकि वो पंकजा की सभा में नहीं दिखे.
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