Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019CAA प्रदर्शन: मृतकों के परिवार कोर्ट गए, लेकिन फिर भी नहीं हुई FIR

CAA प्रदर्शन: मृतकों के परिवार कोर्ट गए, लेकिन फिर भी नहीं हुई FIR

मेरठ में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान 5 लोगों की मौत हो गई थी.

ऐश्वर्या एस अय्यर
वीडियो
Published:
मेरठ में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान 5 लोगों की मौत हो गई थी.
i
मेरठ में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान 5 लोगों की मौत हो गई थी.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

जब CAA और NRC का पूरे देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहा था तो उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी इसका असर दिखा था. मेरठ में इस विरोध प्रदर्शन के दौरान 5 लोगों की मौत हो गई थी. जब क्विंट ने दिसंबर 2019 की इस खूनी हिंसा में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में मरने वाले पांच लोगों के न्यायिक मामलों को संभालने वाले वकील रियासत अली से इस बारे में पूछा तो उन्होंने मेरठ पुलिस पर आरोप लगते हुए कहा, “न्याय दिलाने वाली पुलिस कहती है कि इस विरोध प्रदर्शन में उन्हें ही निशाना बनाया गया था. लेकिन ताज्जुब की बात है कि मेरठ पुलिस का कोई भी आदमी न तो जख्मी हुआ है, न ही उसे गोली लगी हैं. तो क्या प्रदर्शनकारियों ने खुद को ही गोली मार दी? क्या ऐसा भला कोई कर सकता है क्या?”

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
जिन पांच लोगों के बारे में हम बात कर रहे हैं उनके नाम हैं आसिफ, मोहसिन, अली, शाहिद और आसिफ. इन पांचों लोगों की 20 दिसंबर को CAA कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस के साथ हुई हिंसक झड़प में गोली लगने से मौत हो गई थी.

अगर हम CAA कानूनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई खूनी झड़पों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में ये आंकड़ा 23 तक पहुंच जाता है. क्विंट की इस खास सीरीज में CAA-NRC कानूनों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बारे में ग्राउंड रिपोर्टिंग की है. इस खास सीरीज में इस बार हम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में पहुंचे. जहां क्विंट की रिपोर्टर उन पांचों परिवारों से मिली, जिन्होंने इस विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी अपने को खोया है. इसके साथ ही हमने इन पांचों लोगों की न्यायिक मामले को संभालने वाले वकील से भी बात की. हमने मेरठ जिले के एसएसपी और कलेक्टर से भी बात करनी चाही , लेकिन कई कोशिशों के बावजूद उनकी तरफ से कोई भी जवाब नहीं मिला.

हमने इस सीरीज के दौरान प्रदेश उत्तर के कई जिलों में- जैसे बिजनौर , कानपुर से ग्राउंड रिपोर्टिंग की, जहां अल्पसंख्यक समुदाय अपनी दुख भरी कहानी बताने में थोड़ा घबरा रहा थे , वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में लोगों ने बेखौफ अपने दिल के दर्द बयां किए. मेरठ यूपी का वो पहला जिला बना जहां पुलिस प्रशासन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए अलग-अलग परिवारों ने अदालत में एक साथ आवेदन किया था.

परिवार वाले कहते हैं कि उनके बच्चे पुलिस की गोलियों से मरे हैं. वहीं पुलिस अपनी चार्जशीट में बताती है कि जिन 5 लोगों की मौत हुई है वो हिंसक प्रदर्शन के दौरान आपस में चली गोलियों से मरे हैं.

जब हमने इस मामले में वकील रियासत अली से पूछा कि पुलिस ने किस आधार पर ये चार्जशीट दायर की है तो उन्होंने कहा कि, जिस एविडेंस केस डायरी में पुलिस ने ये बताया है कि प्रदर्शनकारियों ने आपस में ही गोली चलाई है.ऐसी बातें कोर्ट में किसी भी तरह से टिक नहीं पाएंगी, क्योंकि पुलिस की इन बातों में जरा भी दम नहीं है.

अलीम के भाई सलाउद्दीन का दावा है कि उसके पास, भाई अलीम पर की गई पुलिस कार्रवाई के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं.

जब रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि, क्या आपने ये सबूत किसी पुलिस या अन्य सरकारी विभाग को दिखाकर उनसे मदद मांगने की कोशिश की है? तो उन्होंने कहा की अगर हम अपने सबूत लेकर पुलिस के पास जाएंगे तो वो हमारे सबूत भी हमसे छीन लेगी और जिस तरह से उन्होंने बाकी बेकसूर लोगों को जेल में डाल रखा है वो हमें भी जेल में बंद कर देगी और कार्रवाई बाधित हो जाएगी.

मरने वाले 5 लोगों में से एक, शाहिद जिनके भाई जहीर, दिल्ली में जैकेट बनाने का काम करते हैं उन्होंने बताया कि, CAA कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कई प्रदर्शनकारियों ने उन्हें बताया था कि उनके भाई को पुलिस ने ही गोली मारी थी.

जब उनसे रिपोर्टर ने पूछा कि , क्या ये सारे चश्मदीद सामने आकर आपकी मदद नहीं कर सकते? तो जवाब में उन्होंने कहा कि, कोई सामने आकर गवाही देने को तैयार नहीं है, सब पुलिस से डरते हैं और पुलिस को अपना दुश्मन नहीं बनाना चाहते.

इस बारे में वकील रियासत अली का कहना है कि वो चश्मदीदों के बारे में जानते हैं और सही समय आने पर वो उनसे गवाही देने के लिए कहेंगे. उन्होंने कहा-

अभी कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है, इसलिए हम अदालत से चश्मदीदों के लिए सुरक्षा की मांग नहीं कर सकते हैं .एक बार जब एफआईआर दर्ज हो जाएगी तो हम इन चश्मदीदों के लिए कानून में बनाएं प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए इनकी सुरक्षा की भी मांग करेंगे.

मेरठ में हुई इस हिंसा के बाद भले ही बाकी परिवार शांत हों, लेकिन मोहसिन की मां नफीसा बेगम और आसिफ की सासू मां शमीन अभी भी कहती हैं की वो कोर्ट में लड़कर अपने बेटों को इंसाफ दिलाएंगी.

आसिफ की सासू मां शाहीन कहती हैं, कि उनका बेटा उस दिन बाहर काम ढूंढने के लिए निकला था. आसिफ के पास कोई अपना नहीं था, ना ही उसके मां-बाप थे और ना भाई-बहन, जो कुछ था उसके लिए वो उसकी बीवी और बच्चे ही थे और अब वो दोनों भी अनाथ हो गए हैं. इन्हीं सब कारणों की वजह से आसिफ कभी लड़ाई-दंगों में नहीं पड़ता था. वो हमेशा बच के रहता था .उस दिन भी वो इसीलिए बाहर निकला था क्योंकि कई दिनों से मार्केट बंद था. उसके पास कोई काम नहीं था तो उसने सोचा कि बाहर जाकर कुछ काम करके ₹100 -200 कमा लिए जाएं.

मोहसिन की मां नफीसा का कहना है कि उनका बेटा पशुओं के लिए चारा लेने बाहर गया था और उसे भी मार डाला गया. मोहसिन की मां बार-बार ये कहती हैं कि उनके बच्चे को न्याय मिलना चाहिए, जब रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि उनके लिए न्याय क्या है ? तो उन्होंने कहा कि मेरा बेटा बेगुनाह था, तो उसको किसी ने कैसे गोली मारी ?

आसिफ के पिता ईद-उल -हसन ने कहा कि मेरे बेटे को गए हुए 1 साल हो गया है. कोई रिपोर्ट नहीं आई है ? ना कहीं कुछ लिखा गया है ? कोई गवाह नहीं है. ये हमारे लिए सोचने वाली बात है कि ये मामला आगे बढ़ेगा भी या नहीं. जब रिपोर्टर ने उनसे पूछा कि आप ने पुलिस से बात की है? तो उन्होंने कहा कि उनसे बात करने का तो कोई मतलब ही नहीं है. उन्होंने कहा- मैं उस सरकार से क्या कहूं जो इस बीते 1 साल में हमें देखने भी नहीं आई, किसी सरकारी आदमी ने भी हमसे हमारा हाल नहीं पूछा.

सभी पांचों पीड़ितों के परिवार वाले धारा 156 (3) के तहत पहले ही अपने आवेदन दे चुकें हैं. इस धारा के तहत अगर पुलिस उनकी एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है तो वो सीधा कोर्ट जाकर अपनी एफआईआर. लिखवा सकते हैं. इस मामले में वकील रियासत अली का कहना है कि,मोहसिन की प्रारंभिक याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था और संशोधिन याचिका अदालत में लंबित है. मोहसिन की तरह ही जहीर की भी याचिका अदलात ने खारिज कर दी है .सलाउद्दीन (अलीम) के मामले में 156/3 याचिका अदालत में लंबित है, ईद-उल-हसन (आसिफ) के मामले में हम जल्द ही याचिका दायर करेंगे और दूसरे आसिफ के मामले में हम 156/3 याचिका जल्द ही अदालत में दायर करेंगे .

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT