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कैमरा: शिव कुमार मौर्य
वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
किसान मोदी सरकार के पेश किए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध (Farmers Protest) जारी रखे हुए हैं, काफी संख्या में महिलाएं भी न केवल इन प्रदर्शनों में भाग ले रही हैं, खराब मौसम का सामना भी बहादुरी से कर रही हैं. आंदोलन अब तीसरे महीने में प्रवेश कर चुका है, इसे दुनिया के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक माना जा रहा है. आइये इस आंदोलन की कुछ महिलाओं नेताओं से मिलते हैं.
खालिस्तानी विद्रोह के दौरान 90 के दशक में अपने पिता को खोने के बाद हरिंदर ने अपनी जिंदगी एक्टिविज्म और किसानों के अधिकारों के लिए समर्पित कर दी. टिकरी में विरोध प्रदर्शन स्थल पर उनके रोजमर्रा के काम में प्रेस से बात करना, यूनियन नेताओं द्वारा अन्य प्रदर्शनकारियों को भेजे गए संदेश भेजना और ऐसे लोगों से मिलना शामिल है, जो इस वजह से फंड देने आते हैं. कौर ने हमें बताया, "मैं सुबह 5 बजे उठती हूं और रात 11 बजे के बाद ही सो पाती हूं"
पैंसठ साल की जसबीर कौर नट 30 से ज्यादा सालो से किसान और मजदूर अधिकार कार्यकर्ता हैं. वो पंजाब किसान यूनियन की राज्य समिति की सदस्य हैं और उनकी पहचान कम्युनिस्ट के रूप में है. हम टिकरी बॉर्डर पर मुख्य मंच के पास उनसे मिले, जहां स्टीयरिंग कमेटी के प्रमुख के रूप में, वो बोलने वालों और भीड़ को संभालने के लिए जिम्मेदार है. जसबीर ने हमें बताया- “एक किसान नेता होने के अलावा, मैं एक कम्युनिस्ट भी हूं. मैं 1986 से कई संगठनों से जुड़ी हुई हूं.
उम्र में छोटी नवकिरण नट ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और रिवोल्यूशनरी यूथ एसोसिएशन (RYA) के साथ एक छात्र युवा कार्यकर्ता है. वो नवंबर 2020 से किसान प्रदर्शन का हिस्सा रही हैं. नट का मानना है कि पंजाब की रहने वाली और इन सबसे ऊपर, एक कृषि परिवार से संबंधित होने के कारण उनके लिए विरोध से दूर रहना असंभव था.
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