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कैमरा: सुमित बडोला
वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकी हमला हुआ जिसमें CRPF के 40 जवान शहीद हो गए. पाकिस्तान, जैश-ए-मोहम्मद या मसूद अजहर के अलावा इस हमले ने हमें कई नए दुश्मन दिए.
फेक न्यूज ने हमले की उस आग में जमकर घी डाला. सीआरपीएफ को बाकायदा एडवाइजरी जारी करनी पड़ी, “नफरत फैलाने के लिए कुछ लोग शहीदों की झूठी तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं. हमें ऐसे लोगों के खिलाफ एकजुट रहना है.”
फेक न्यूज की फैक्ट्री चलाने वालों ने पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी तक और शहीद जवानों से लेकर उनके परिवारों तक के नाम पर अपना धंधा चमकाया.
फेसबुक पर राहुल गांधी की आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार से मुलाकात की कुछ तस्वीरें वायरल हो गईं. ये तस्वीरें फेक थीं. वायरल हुई एक तस्वीर पीएम नरेंद्र मोदी की भी थी, जिसमें वो शहीदों को श्रद्धांजलि देने की बजाय कैमरे की तरफ मुखातिब दिखे. इस तस्वीर से झूठी कहानी बनाने के लिए इसका गलत इस्तेमाल किया गया.
सोशल मीडिया पर शहादत का मजाक उड़ाते लोगों ने भी नफरत फैलाई.
हमले के बाद एक अजीब ट्रेंड देखने को मिला. आतंक और आतंकवादियों के खिलाफ नफरत तो दिखा लेकिन साथ-साथ हमारी नफरत की तलवार चली उन निर्दोष कश्मीरियों पर जो पढ़ाई, रोजगार या किसी और वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे थे.
देहरादून से लेकर हरियाणा और बिहार से लेकर बंगाल तक से कश्मीरियों के साथ बदसलूकी की खबरें आने लगीं.
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में एक कश्मीरी शॉल व्यापारी पर हमला करने को लेकर 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई.
सोशल मीडिया पर नफरत की आग कुछ शरारती तत्व लगा रहे थे लेकिन करेले पर नीम तब चढ़ा जब सियासतदान इसमें शामिल हो गए.
मेघालय के राज्यपाल तथागत रॉय ने पुलवामा हमले के बाद कश्मीर के लोगों और कश्मीर का बहिष्कार करने की अपील की है. इन्होंने एक पूर्व फौजी की बातों का समर्थन करते हुए ट्विटर पर लिखा है-
देश के एक राज्य का गवर्नर अपने ही देश के दूसरे राज्य का बहिष्कार करने की अपील कर रहा है. भारत का संविधान बताता है कि हम सब एक हैं. कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है. गवर्नर तथागत राॅय देश की एकता और अखंडता को सुरक्षित रखने की शपथ लेकर ही पद पर बैठे हैं.
नफरत की आंधी में सियासत की पतंगें उड़ाने वाले भला क्यों पीछे रहते ?
अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक गुजरात के बीजेपी नेता और प्रवक्ता भरत पंड्या ने पुलवामा का जिक्र करते हुए एक सम्मेलन में कहा -”पूरा देश राष्ट्रवाद की भावना के साथ एकजुट है. ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस एकता को वोट में बदलें”
शहादत की जमीन पर भड़काऊ भावनाओं के बीज डालकर नेताजी वोट की फसल काटना चाहते हैं.
सवाल ये है कि निर्दोष कश्मीरियों से बदसलूकी का लाइसेंस कौन बांट रहा है?
हम ‘WhatsApp यूनिवर्सिटी’ में देशभक्ति के सर्टिफिकेट बांटने वालों को तो दोषी ठहरा देते हैं लेकिन इस माहौल में ऐसी बयानबाजी करने वाले ये माननीय भी उतने ही बड़े दोषी नहीं हैं? फेक न्यूज, कश्मीरियों के साथ मारपीट की घटनाएं और अब राजनीतिक बयानबाजी हालात को और बुरा बना रहे हैं.
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