Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मेवात के मुसलमानों के लिए क्या बदला है, दर्द के दो गानों से समझें

मेवात के मुसलमानों के लिए क्या बदला है, दर्द के दो गानों से समझें

महात्मा गांधी के अाने से बदल गया इस गांव का इतिहास

वत्सला सिंह
वीडियो
Updated:
(फोटो: The Quint)
i
(फोटो: The Quint)
आम गांव नहीं है हरियाणा का घासेड़ा

advertisement

वीडियो: कुणाल मेहरा
कैमरा: अथर राथर
कैमरा असिस्टेंट: राहुल नायर
वॉयस-ओवर स्क्रिप्ट: प्रबुद्ध जैन

हरियाणा में, दिल्ली से 60 किलोमीटर दूर, एक गांव हैं घासेड़ा. ये कोई आम गांव नहीं है. ये खास इसलिए है क्योंकि 1947 में यहां गांधी जी एक मकसद से आए थे और ये बात गांव का हर छोटा बड़ा जानता है.

यासीन चौधरी के कहने पर, महात्मा गांधी दंगों वाले मेवात गांव आए थे और पाकिस्तान जा रहे मुसलमानों को रोका था. एक मेव मुस्लिम और मिरासी गायक लियाकत अली बताते हैं महात्मा गांधी ने कहा था कि मुस्लिम भारत की रीढ़ की हड्डी हैं.

(फोटो: The Quint/Athar Rather)  मेवात में जहां मुस्लिमों को समझाने 1947 में महात्मा गांधी आए थे, वहां आज स्कूल बना है.

मेव, मेवात के रहने वाले हैं. जो दिल्ली, आगरा और जयपुर के बीच का क्षेत्र है. इनमें से ज्यादातर राजपूत परिवारों से हैं और चार सदियों पहले इस्लाम को गले लगा चुके हैं. मेव समाज अभी भी पाल और गोत्र में बंटा है और वंश के हिसाब से शादियां होती हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

लोक गायक, मिरासी मेव मुस्लिमों की छोटी जाति से आते हैं. एक समुदाय जिसके पास कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं है लेकिन उन लोगों को काफी कुछ याद है जैसे गांधीजी का मेवात आना, यहां के इतिहास का एक अहम अध्याय है. इसे ये लोक गायक काफी गर्व से गाते हैं.

बापू घासेड़ा आयो
हिंदू मुस्लिम सब समझायो
अंग्रेजों ने फूट गेर दी
आज उनके मूंद लगा देओ ताला

घासेड़ा में आने के कुछ हफ्तों बाद ही गांधीजी की हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या के साथ सांप्रदायिक तनाव से मुक्त भारत का सपना भी मर गया.

मेवात मुस्लिम बहुल इलाका है, जिसने पिछले कुछ सालों में बहुत से विवाद देखे. पहला विवाद मेवाती बिरयानी में बीफ पर हुआ, उसके बाद डिंगरहेड़ी गांव में दो महिलाओं से गैंगरेप हुआ. और फिर पहलू खान को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला.

इन अत्याचारों के बाद लियाकत अली ने कलम उठाई और गाना लिखा. ये गाना भारत की अलग ही तस्वीर पेश करता है. ये बापू के गीत से बिल्कुल अलग है जो उनके चाचा ने लिखा था. गाने के बारे में बात करते हुए लियाकत कहते हैं, ''मैं जो देखूंगा वही लिखूंगा. जो भारत हम देखते हैं, वो बापू के भारत से काफी अलग है.''

पहला दुख डिंगरहेड़ी
दूजा पहलू मार दिया
जुनैद खान चलती गाड़ी में
कुछ गुंडों ने मार दिया

घर से कॉलेज गया था पढ़ने
आज तक नहीं आया
मां की अंखिया तरस गई
नजीब लाल नहीं आया

कैसे कैसे जुल्म हो चुके
बिगड़ा भाईचारा
भारत था सोने की चिड़िया
नरक बना दिया सारा

हिुंद मुस्लिम सिख इसाई
बिगड़ा भाई चारा
भारत था सोने की चिड़िया
नरक बना दिया सारा

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 02 Apr 2018,08:20 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT