ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुलभ इंटरनेशनल के फाउंडर बिंदेश्वर पाठक का सफरनामा

बिंदेश्वर पाठक ने साल 1970 में की थी सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना

Updated
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 2 अप्रैल 1943 में बिहार के वैशाली जिले के रामपुर गांव में हुआ था. पाठक ने साल 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की थी. आज सुलभ इंटरनेशनल पूर देश में शौचालय उपलब्ध करा रहा है. इसमें करीब 50 हजार वॉलेंटियर्स काम करते हैं. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से 1964 में समाजशास्त्र से ग्रेजुएशन की.

अपने ही घर में नहीं था शौचालय

बिंदेश्वर पाठक का बचपन जिस घर में बीता, वहां 9 कमरे थे, लेकिन एक भी शौचालय नहीं था. उन्होंने बचपन में महिलाओं की परेशानी को देखा था कि किस तरह दिनभर शौच रोकने से उन्हें परेशानी होती थी. उन्होंने चार स्कूलों में पढ़ाई की, लेकिन उनमें भी शौचालय नहीं था.

साल 1968 में पाठक बिहार गांधी जन्म शताब्दी समारोह समिति में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करने लगे. यहां उन्होंने 1968 में एक खास तरह का डिस्पोजल कंपोस्ट शौचालय बनाया.

सुलभ इंटरनेशनल बनने के बाद उन्होंने 1974 में 'पे एंड यूज' टॉयलेट की शुरुआत की. 1980 में जब इस संस्था का नाम सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन हुआ तब तक इसका नाम विदेशों में भी पहुंच चुका था.

इस दौरान भी पाठक की पढ़ाई जारी रही. उन्होंने 1980 में पोस्ट ग्रेजुएशन और 1985 में पीएचडी की. उन्हें 1991 में पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा गया. उनको एनर्जी ग्लोब, इंदिरा गांधी, स्टॉकहोम वॉटर जैसे तमाम पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. 2009 में अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा संगठन (आईआरईओ) का अक्षय उर्जा पुरस्कार भी मिला.

इतना ही नहीं रेल मंत्रालय ने पाठक को 2016 में‘स्वच्छ रेल मिशन’ का ब्रांड एंबेसडर भी नियुक्त किया.

यह भी पढ़ें: फेसबुक के बिना कैसे कटेगी लाइफ? जवाब सुनकर तुरंत LIKE कर देंगे आप

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×