Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Mexico में इस साल 15 पत्रकारों की हो चुकी हत्या, ये क्यों बना ‘कलम का कब्रगाह’?

Mexico में इस साल 15 पत्रकारों की हो चुकी हत्या, ये क्यों बना ‘कलम का कब्रगाह’?

मैक्सिकों में 22 अगस्त को एक स्थानीय पत्रकार की गोली मारकर हत्या हुई, हत्या के पहले FB पोस्ट में किया था 'खुलासा'

आशुतोष कुमार सिंह
वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>Mexico में इस साल 15 पत्रकारों की हो चुकी हत्या, ये क्यों बना ‘कलम का कब्रगाह’?</p></div>
i

Mexico में इस साल 15 पत्रकारों की हो चुकी हत्या, ये क्यों बना ‘कलम का कब्रगाह’?

(फोटो- क्विंट)

advertisement

मैक्सिको में सोमवार, 22 अगस्त को ऑनलाइन न्यूज प्रोग्राम चलाने वाले एक स्थानीय पत्रकार की गोली मारकर हत्या (Journalist murders in Mexico) कर दी गई. चिंताजनक आंकड़ा यह है कि इस साल, 2022 में मैक्सिको के अंदर अबतक 15 मीडियाकर्मियों की हत्या हो चुकी है.

साउथ मैक्सिको में स्थित राज्य ग्युरेरो की राजधानी चिलपेंसिंगो में फ्रेडिड रोमन नाम के पत्रकार की गोली मारकर हत्या की गई. रोमन “The Reality of Guerrero” नाम का प्रोगाम चलाते थे, जिसमें मुख्यतः राज्य की राजनीति पर ही फोकस था.

सवाल है कि अपने ड्रग क्राइम और गैंग वॉर के कारण खबरों में रहने वाला मैक्सिको युद्ध क्षेत्र के बाहर पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश क्यों बनता दिख रहा है?

Mexico: फ्रेडिड रोमन की हत्या क्यों हुई?

मैक्सिको में होने वाली पत्रकारों की मौत की वजह वहां सरकार से लेकर सड़को तक व्यापक स्तर पर फैले क्राइम वर्ल्ड से जुड़ी है. फ्रेडिड रोमन की हत्या पर अधिकारियों ने तुरंत कोई वजह नहीं बताई, लेकिन लोकल मीडिया में इसके तार फ्रेडिड रोमन के आखिरी पोस्ट से जोड़े जा रहे हैं.

अपनी हत्या से कुछ समय पहले ही फ्रेडिड रोमन ने पास के एक शहर- इगुआला में साल 2014 में लापता हुए 43 छात्रों पर ऑनलाइन पोस्ट डाला था. कुछ दिन पहले ही एक सरकारी कमीशन ने पाया था कि इस घटना से जुड़े सच को छिपाने में सरकार के सभी स्तरों की भागीदारी और लापरवाही शामिल थी.

एक लंबे फेसबुक पोस्ट में रोमन ने छात्रों के लापता होने के समय चार अधिकारियों के बीच हुई एक कथित बैठक का उल्लेख किया था, जिसमें पूर्व अटॉर्नी जनरल जीसस मुरिलो करम भी शामिल थे.

Mexico: यहां पत्रकारों की जान सस्ती है

रोमन की हत्या से एक हफ्ते पहले ही स्वतंत्र पत्रकार जुआन अर्जोन लोपेज की मैक्सिको के उत्तरी सीमावर्ती राज्य सोनोरा में गोली मारकर हत्या की गयी थी. जहां साल 2021 में मैक्सिको के अंदर 7 पत्रकारों की हत्या हुई, वहीं इस साल अगस्त बीता नहीं और 15 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है.

मैक्सिको में अक्सर पत्रकारों की हत्याओं में क्राइम सिंडिकेट/संगठित अपराधियों का हाथ होता है, लेकिन कई बार छोटे शहर के अधिकारी या राजनीतिक या आपराधिक मंशा वाले राजनेता भी हत्याओं को अंजाम देते हैं. मेक्सिको में छोटे-छोटे समाचार आउटलेट चलाने वाले पत्रकारों को अक्सर निशाना बनाया जाता है.

मैक्सिको में 1980 के दशक से पहले पत्रकारों के खिलाफ हिंसा के इतिहास पर बहुत कम डेटा है. 2006 में जब मैक्सिकन सरकार ने संगठित अपराध के खिलाफ युद्ध की घोषणा की और सेना को तैनात किया, उसके बाद देश भर में हिंसा तेजी से बढ़ी. गैंग्स ने उन पत्रकारों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया, जिन्होंने इस संघर्ष पर रिपोर्ट करने का साहस किया.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मैक्सिको में प्रेस की स्वतंत्रता की त्रासदी, विशेष रूप से पत्रकारों के बीच, तीन मोर्चे पर साफ दिखती है- मीडिया कंपनियां, जो पत्रकारों को दासता की हद तक काम कराती हैं, राजनीतिक शक्ति, जो उन्हें आलोचना न करने की धमकी देती है और संगठित अपराध राजनीतिक सत्ता के साथ मिलकर पत्रकारों पर हमला करता है.

मानवाधिकार संगठन ‘आर्टिकल 19’ के आंकड़े के अनुसार साल 2000 से लेकर अबतक - मैक्सिको में 140 से अधिक पत्रकारों की हत्या हो चुकी है.

पत्रकारों के लिए घर चलाना भी मुश्किल

मैक्सिकों में पत्रकारों के सामने मौजूद चुनौतियों सबसे खतरनाक उनके काम करने की स्थिति है, जो पत्रकारों को अत्यधिक असुरक्षित बनाती है. ज्यादातर मामलों में उनकी आमदनी इतनी कम होती है कि उन्हें राजनेताओं और यहां तक ​​​​कि क्रिमिनल्स पर भी निर्भर होना पड़ता है.

ओपनडेमोक्रेसी की रिपोर्ट के अनुसार मैक्सिकों में फ्रीलांस पत्रकारों को अक्सर एक स्टोरी के लिए 50 पेसो (लगभग $2.46) मिलते हैं, जबकि क्रिमिनल और नेताओ के हाथ बिकने वालों को हर महीने लगभग 5,000 पेसो ($245) मिलते हैं. इसका मतलब है कि सच्चाई से काम कर अपना घर चलाने के लिए, पत्रकारों को तीन या चार मीडिया आउटलेट्स में काम करना होता है.

यही कारण है कि पत्रकार राजनीतिक और आपराधिक शक्तिओं पर अत्यधिक निर्भर हो जाते हैं और सरकार-क्रिमिनल्स के खिलाफ कुछ भी नहीं लिखने-बोलने का आरोप लगता है. दूसरी तरफ अपना काम करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जाता है.

दिसंबर 2018 में राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर के सत्ता में आने के बाद से तीन वर्षों में प्रेस पर हमलों में 85% की वृद्धि हुई है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 24 Aug 2022,09:43 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT