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नोटबंदी के चार साल बाद मुंबई में आज फिर लंबी कतारों में लोग खड़े नजर आए. मुंबई में दो तरह की कतारें देखने को मिलीं. पहली थी शराब की दुकानों के बाहर, दूसरी कतार थी उन मजदूरों की, जो अपने घर जाने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट लेने के लिए लंबी कतारों में दिखाई दिए. लॉकडाउन के बीच घर जाने को बेबस इन मजदूरों को डॉक्टर से सर्टिफिकेट लेना है, जिसमें ये बताया जाएगा कि वो ठीक हैं. ऐसे में सर्टिफिकेट लेने के लिए, बड़ी संख्या में मजदूर डॉक्टरों के क्लीनिक के बाहर खड़े दिखाई दिए.
इससे बड़ी समस्या उन्हें डॉक्टरों से मेडिकल सर्टिफिकेट लेने में झेलनी पड़ रही है. मेडिकल सर्टिफिकेट लेने के लिए मजदूरों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा है. मुंबई के कांदीवली इलाके में डॉक्टरों से सर्टिफिकेट लेने के लिए मजदूरों से 100 रुपये वसूले जा रहे हैं. चौंकने वाली बात ये है कि डॉक्टर सभी मजदूरों का टेस्ट भी नहीं कर रहे हैं. ग्रुप का लीडर को बाकी सभी लोगों का सर्टिफिकेट डॉक्टर बिना चेक करे ही दे रहे हैं.
बीएमसी ने अपने सर्कुलर में कहा था की मेडिकल सर्टिफिकेट निजी अस्पताल से भी लिया जा सकता है. डॉक्टर इसकी जांच करेगा कि कोई लक्ष्ण तो नहीं है. लेकिन सवाल ये है कि अगर आज सर्टिफिकेट मिल गया तो ट्रेन कितने दिनों बाद चलेगी इसका कोई भरोसा नहीं है. अगर इस बीच कोई व्यक्ति संक्रमित हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? महाराष्ट्र के स्वस्थ मंत्री कह चुके है की मुंबई के अधिकतर COVID-19 मरीजों में लक्ष्ण नहीं हैं. ऐसे में लोगों की सही तरीके से जांच होना जरूरी है. सरकार को इस मामले को गंभीरता से निपटना होगा. छोटी सी भुल बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है.
नांदेड़ की घटना से सबक लेना जरूरी है. कुछ दिन पहले, श्रद्धालु महाराष्ट्र के नांदेड़ से पंजाब भेजे गए, जहां बाद में वो संक्रमित पाए गए. इस पर कई तरह के सवाल उठ रहे है. ऐसी घटना रोकने के लिए सरकार को अभी से कदम उठाने पड़ेंगे, क्योंकि अगर कोरोना वायरस का संक्रमण गांव पहुंच गया, तो बड़ी समस्या पैदा हो सकती है.
महाराष्ट्र सरकार ने रेड जोन में भी शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दे दी है, जिसके बाद आज दुकानों के बाहर लंबी लाइनें देखने को मिलीं. शराब के चक्कर में लोग सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए दिखे. इसे देखते हुए, मुंबई पुलिस ने कई जगहों पर दुकानों को खुलने नहीं दिया. एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे ने कुछ दिनों पहले अपने लेटर में सरकार से शराब की दुकान खोलने की मांग की थी. उनका कहना था की राजस्व की कमी से जूझ रही सरकारों को राजस्व बढ़ाने के लिए शराब की दुकानें खोलना चाहिए. शायद यही कारण है कि रेड जोन में होते हुए भी मुंबई में शराब की दुकान खोलने के लिए सरकार ने इजाजद दी.
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