advertisement
14 जुलाई 2020 को कर्नल बी संतोष बाबू ने अपने परिवार से आखिरी बार बात की थी, दुसरे ही दिन गलवान घाटी में चीनी सेना से हुई झड़प में संतोष बाबू अपने साथी सैनिकों के साथ शहीद हो गए.
संतोष बाबू की बीवी संतोषी का कहना है कि उनके मेसेज आज भी उनके फोन में हैं, वो कहते थे कि ड्यूटी सबसे पहले है, वो कहते थे- 'मैं अपने देश से प्यार करता हूं'
16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर संतोष बाबू का प्रमोशन 37 साल की उम्र में दिसंबर 2019 को कर्नल रैंक पर हुआ था, अक्टूबर में संतोष बाबू घर जाने का प्लान बना रहे थे.
संतोष बाबू की बीवी ने हमें बताया कि - वो अक्टूबर में घर जाने का सोच रहे थे उनकी नई पोस्टिंग के लिए हमने कई प्लान बना लिए थे परिवारवालों, बच्चों के साथ मिलकर साथ ही उनकी यूनिट के साथ भी हमने उनके आने वाले कार्यकाल को लेकर पूरी प्लानिंग कर ली थी कि हमें माता-पिता और परिवार यूनिट को लेकर कैसे सब करना है, हम उस बारे में बात करते थे, चर्चा होती थी.
संतोष बाबू जब 2004 में आर्मी में शामिल हुए तो उनकी पहली पोस्टिंग कश्मीर में हुई, जिसके 5 साल बाद उनकी शादी हुई. उनकी बीवी कहती हैं.
संतोष बाबू के बच्चे उन्हें बहुत याद करते हैं, उनकी बड़ी बेटी अभिग्ना 9 साल की है जिसे हर रात रोना आता है कि कहीं वो अपने पिता को भूल न जाए. वो कहती है- पापा हमारे साथ बहुत खेलते थे, कई बार साथ में न्यूज देखते थे, वो रात को खाने के बाद हमारे साथ खेलते थे...
संतोष बाबू के परिवार को उनके त्याग के लिए देशभर से हजारों खत मिले हैं, साथ ही संतोष बाबू के गांव सूर्यापेट के कुछ सदस्यों ने वहां देश कि पहली डिजिटल टेक्नोलॉजी से उनकी मूर्ति बनाई है
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)