‘लाखों लोग गरीब हो जाएंगे’: चिदंबरम EXCLUSIVE

‘सरकार के पास कंपनियों के लिए पैसा है,गरीब के लिए नहीं?’- चिदंबरम से संजय पुगलिया की बातचीत

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‘सरकार के पास कंपनियों के लिए पैसा है,गरीब के लिए नहीं?’- चिदंबरम से संजय पुगलिया की बातचीत
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‘सरकार के पास कंपनियों के लिए पैसा है,गरीब के लिए नहीं?’- चिदंबरम से संजय पुगलिया की बातचीत

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  • 'सरकार के पास पैसा नहीं है ये बात काल्पनिक है'
  • 'दो सालों में जो हुआ वो मानव-निर्मित त्रासदी है'
  • 'हम सरकार पर महामारी के मैनेजमेंट को लेकर उंगली उठा रहे हैं'
  • 'आउटपुट में 23.9% गिरावट लाखों लोगों को गरीबी रेखा से नीचे धकेल देगी'
  • ‘सरकार ने GDP के लुढ़कने की वजह को 'एक्ट ऑफ गॉड' से जोड़ा’
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देश की GDP लुढ़कने के बाद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने द क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से खास चर्चा में ये बात कही, उन्होंने आगे कहा है कि सरकार कोरोना को रोकने में असफल हुई.

इस महामारी का असर पूरी दुनिया पर हुआ, लेकिन मिस मैनेजमेंट के लिए सिर्फ सरकार पर उंगली उठाना ठीक?

कोई महामारी के लिए सरकार को दोषी नहीं बता रहा है,’महामारी के मैनेजमेंट को लेकर हम सरकार पर उंगली उठा रहे हैं, आउटपुट में 23.9% गिरावट लाखों लोगों को गरीबी रेखा से नीचे धकेल देगी, ट्रंप बदतर तो मैं दूसरे नंबर पर हूं. अगर ट्रंप महामारी के मैनेजमेंट को लेकर सबसे बुरे साबित हुए हैं तो पीएम मोदी क्या दावा करते- ट्रंप के बाद वही हैं.

सरकार के पास पैसे नहीं हैं, आपने उसे मॉनिटाइज करने की सलाह दी है...

‘सरकार के पास पैसे नहीं हैं ये बात काल्पनिक है’ कॉरपोरेट टैक्स काट कर सरकार कॉरपोरेट सेक्टर को बड़ा फायदा कैसे पहुंचा सकती है?’ देश में कॉरपोरेट टैक्स कम हो सकते हैं लेकिन ये उन्हें कम करने का समय नहीं है सरकार के पास पैसे थे लेकिन उसने कॉरपोरेट्स को कॉरपोरेट टैक्स कट के तौर पर करीब 1.7 बिलियन डॉलर दे दिए. पेट्रोल के दामों में भारी बढ़ोतरी हुई पिछले 12-15 महीने में डीजल के दाम भी बढ़ गए. ‘पेट्रोल-डीजल पर भारी टैक्स वसूला गया वो पैसा कहां है? आप उन पैसों का इस्तेमाल क्यों नहीं करते?

क्या हम रेपो रेट में कटौती की तरफ बढ़ सकते हैं? क्या हम रेपो रेट में 100-200 BPS कट कर सकते हैं और घर और कार खरीदने के लिए लोन को बढ़ावा दे सकते हैं?

सामान्य वक्त में देश की अर्थव्यवस्था में खपत की 60 फीसदी हिस्सेदारी होती है, अगर खपत में भारी गिरावट आती है तो रेट कट से मदद नहीं मिलेगी, आउटपुट में 23.9% की गिरावट का मतलब है कि नौकरियों में भी गिरावट होगी. 15-20% की गिरावट में ही ये होगा कि कई परिवार अचानक गरीबी की तरफ बढ़ जाएंगे, आप लोगों के हाथों में पैसे दो ताकि वो खरीदारी शुरू करें.

जिस तरह से देश में इकनॉमिक गवर्नेंस काम करती है क्या उसमें GST इश्यू एक बड़ा टर्निंग पॉइंट था?

केंद्र और राज्यों के बीच भरोसे का संबंध टूट गया, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने GST काउंसिल को बताया था और पहले वित्त सचिव ने कहा था कि हमारे पास पैसे नहीं हैं और न ही हमें पैसे देने की जरूरत है, हमारे अटॉर्नी जनरल ने हमें बताया कि भुगतान करने की कोई बाध्यता नहीं है ये कैसी बकवास बात है? भरपाई के लिए कानूनी और नैतिक बाध्यता होगी

इस साल GDP ग्रोथ के लिए -10% का अनुमान लगाया गया यानी अगर हम क्वार्टर 2-3 में रिकवरी देखेंगे तो वो असल में रिकवरी नहीं, बल्कि स्थिति खराब हालत में ही रहेगी?

अगर पहली तिमाही में आंकड़ा -23.9% है और दूसरे क्वार्टर में ये -20% के आस-पास रहता है तो क्या ये रिकवरी होगी? इसका मतलब है कि आप फिसले ही हैं. रिकवरी तो तब हो सकती है जब आप - 23.9% से उबरें और पॉजिटिव ग्रोथ नजर आए, RBI की रिपोर्ट पढ़ें तो दिखता है कि ये आज-कल या आने वाले क्वार्टर में नहीं होगा. मुझे नहीं लगता है कि 2020-2021 में रिकवरी होगी. पिछले दो सालों में जो हुआ वो मानव-निर्मित त्रासदी है. 2020-2021 में प्राकृतिक त्रासदी है, जिसमें इंसानी गलतियां भी शामिल हैं.

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