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2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगा दिया था. कोर्ट ने सिर्फ ग्रीन पटाखे छोड़ने की इजाजत दी थी. साथ ही पटाखे छोड़ने का समय भी दो घंटे निर्धारित कर दिया. लेकिन इसके बावजूद दिल्ली-एनसीआर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया.
दिवाली पर लोगों ने तय समयसीमा के बाद भी पटाखे छुड़ाए. इसका असर ये हुआ कि दिवाली के अगले दिन एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 'बहुत खराब' स्तर पर पहुंच गया. हालांकि ये पता लगाने का कोई पैमाना नहीं है कि लोगो ने ग्रीन पटाखे छुड़ाए थे या पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले पटाखे छुड़ाए थे.
दिवाली के अगले दिन द क्विंट ने सुबह 5:00 बजे से 8:00 बजे के बीच दिल्ली और नोएडा में कई स्थानों पर एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) और PM 2.5 के स्तर की जांच की. दिवाली की अगली सुबह हम पांच स्थानों की प्रदूषण स्थिति आपको बता रहे हैं, जहां AQI 300 से ज्यादा था. एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 300 से ज्यादा होने का मतलब है 'बहुत खराब स्थिति'.
AQI: 431 ; PM 2.5: 390
AQI:410 ; PM 2.5: 344
AQI: 360 ; PM 2.5: 303
AQI: 360 ; PM 2.5: 300
AQI: 412 ; PM 2.5: 348
साल 2018 में दिवाली के बाद दिल्ली में AQI 600 से ज्यादा दर्ज किया गया था. इस साल दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पहले से बहुत बेहतर रहा है, लेकिन शहर को साफ हवा में सांस लेने के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है.
बता दें, दिल्ली में एयर क्वॉलिटी के खतरनाक स्तर पर जाने के लिए पटाखों के अलावा हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली भी जिम्मेदार है. किसान लगातार पराली जला रहे हैं, जिसका धुआं हवा के जरिए दिल्ली-एनसीआर तक पहुंच रहा है.
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