advertisement
ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री(Rishi Sunak New UK PM) बने तो चर्चा चल रही है कि देखिए ब्रिटेन (Britain) कहां से कहां आ गया है. अपने उपनिवेश से आए एक शख्स को पीएम बनाया है. ऐसे शख्स को पीएम बनाया है जिसके समुदाय की कुल आबादी ब्रिटेन में सिर्फ 7.5 फीसदी है. कहा जा रहा है कि भेदभाव से भरा ब्रिटेन अब जाति, नस्ल और धर्म के आधार पर नहीं बल्कि टैलेंट के आधार पर अवसर दे रहा है. और ये बात सही भी है. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था. आज समलैंगिक रिश्तों को दुनिया भर के देश और खुद ब्रिटेन भी मान्यता दे रहा है लेकिन कभी ऐसे रिश्ते के लिए एक महान वैज्ञानिक को ब्रिटेन ने प्रताड़ित किया था और आखिर में उनकी जान चली गई. एक ऐसा वैज्ञानिक जिसने दूसरे वर्ल्ड वार में ब्रिटेन की जीत में अहम भूमिका निभाई, जिसके कारण सेकंड वर्ल्ड वार दो साल पहले ही खत्म हो गया, जिसने लाखों जिंदगियां बचाईं...
ये कहानी है एलन ट्यूरिंग(Alan Turing) की, एक महान कंप्यूटर वैज्ञानिक, बेहतरीन क्रिप्ट एनालिस्ट और मैथेमेटिशियन.
एलन ट्यूरिंग ने ही दुनिया को एल्गोरिदम और कम्प्यूटेशन के कॉन्सेप्ट्स दिए थे जो आज की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आधार हैं. थोड़ा विस्तार से बताते हैं उन्होंने ऐसा क्या किया था.
तब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था. एक तरफ ब्रिटेन और उसके सहयोगी… दूसरी तरफ हिटलर का जर्मनी और उसकी नाजी सेना. युद्ध में जर्मनी की सेना काफी मजबूत लग रही थी. जर्मन सेना रोज इंग्लैंड के अलग-अलग सैन्य ठिकानों पर हमले करती और इंग्लैंड कुछ नहीं कर पाता. फिर इंग्लैंड को पता चला कि जर्मन सेना अपने निर्देश कोड के रूप में भेजती है, मतलब एक गुप्त सांकेतिक भाषा में और ये सब होता है एनिग्मा नाम की मशीन से. इन संदेशों में मौसम की जानकारी, जहाजों की स्थिति से लेकर कहां हमला करना है, ये सब जानकारी होती थी. तब इंग्लैंड को समझ आया कि जितनी तेजी से हम इन सन्देशों को डीकोड करेंगे उतने बेहतर फैसले ले सकेंगे.
टीम के सभी सदस्य पेन पेपर लेकर दिनभर अपना दिमाग चलाते लेकिन एनिग्मा के कोड को तोड़ नहीं पाते थे. अगले दिन फिर नया सिग्नल आ जाता और यही चलता रहता. दूसरी ओर ट्यूरिंग का मानना था एक मशीन को मशीन ही समझ सकती है.
इस मशीन से ब्रिटेन को जर्मन सेना के खुफिया सन्देश समझ आने लगे और अब बेहतर रणनीति बनने लगी. इस तरह ब्रिटेन और उसके सहयोगी जर्मन सेना को मात दे पाए थे और लाखों जिंदगियां बच सकी थीं. वर्ल्ड वॉर के बाद एलन ट्यूरिंग ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में कई काम किए. ट्यूरिंग ने शुरुआती कंप्यूटरों को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.
उनकी जिंदगी का एक पहलू और भी था, जो कई लोगों को पसंद नहीं था. ट्यूरिंग समलैंगिक थे. ब्रिटेन में उस समय समलैंगिक होना एक अपराध था. उन्हें विक्टोरियन कानूनों के तहत दोषी माना गया. ट्यूरिंग के खिलाफ केस चला. उनके सामने दो रास्ते थे या तो जेल जाएं या फिर ''केमिकल ट्रीटमेंट'' करवा लें.
चूंकि ट्यूरिंग उस वक्त किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे इसलिए उन्होंने केमिकल ट्रीटमेंट को चुना. साल 1954 में अपने 42वें जन्मदिन से 16 दिन पहले ट्यूरिंग की खुदकुशी से मौत हुई थी. कई लोगों का मानना है कि उनकी समलैंगिकता पर हुए केस के कारण ट्यूरिंग की जान गई थी.
साल 2009 में एक ऑनलाइन पेटीशन चला, जिस पर हजारों लोगों ने साइन किए. इससे दबाव में आकर तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने ट्यूरिंग के साथ किए गए व्यवहार के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी और साल 2014 में क्वीन एलीजाबेथ-II ने उनको मौत के बाद दी जाने वाली माफी भी दी.
साल 2019 में बैंक ऑफ इंग्लैंड ने 50 पाउंड का नया नोट जारी किया. इस नोट में उन्होंने एलन ट्यूरिंग की तस्वीर का इस्तेमाल किया.
नोट जारी करते हुए बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर मार्क कार्ने ने कहा था-
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)