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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
अम्पन तूफान ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भारी तबाही बचाई है. तूफान के कहर से पश्चिम बंगाल में अब तक 12 लोगों के मरने की खबर है. इस तूफान के बीच, क्विंट की रिपोर्टर इशाद्रिता लाहिड़ी ने भी पूरी रात डर के साए में बिना कुछ खाए-पिए बिताई.
मैं कोलकाता की एक अच्छी सोसायटी के 41वें फ्लोर पर रहती हूं. इस तरह के हालातों के लिए हमारी सोसायटी में 'डिजास्टर मैनेजमेंट टीम' है. तो मुझे लगा कि ज्यादा से ज्यादा क्या हो जाएगा? लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हो गया कि जब बात प्रकृति की आती है, तो प्रिविलेज ज्यादा नहीं चलता.
शाम होते-होते जैसे तूफान कोलकाता की ओर बढ़ने लगा, वैसे ही तेज बारिश और हवाएं डराने लगीं.
अब तक, हमारे अपार्टमेंट में गैस सप्लाई, इंटरनेट, केबल टीवी को बंद कर दिया गया था. हवाएं इतनी तेज हो गईं कि हम खिड़की-दरवाजे भी नहीं खोल पा रहे थे. हमारी सोसायटी के WhatsApp ग्रुप में लोगों की शिकायतें आ रही थीं कि नीचे प्लोर पर पहने वाले लोगों के घरों में खिड़कियां तक उड़ गई हैं.
शाम करीब 6:30 बजे, जब तूफान कोलकाता में पहुंचने वाला था, तभी बिजली भी बंद कर दी गई. अंधेरे में जब हम मोमबत्तियां जला रहे थे, तभी इतनी जोर से हवा का झोंका आया. मैंने देखा कि हमारे कमरे में खिड़की टूट गई थी. इसके बाद, एक पड़ोसी की मदद से, हमने सभी खिड़कियों को बंद रखने के लिए मजबूत सामान रखा.
मेरा पूरा परिवार शॉक में था. हम में से किसी ने आज तक इस तरह के हालात नहीं देखे थे.
सरकार का कहना है कि पश्चिम बंगाल में कभी इस तरह का चक्रवात नहीं आया है. नॉर्थ 24 परगना और साउथ 24 परगना पूरी तरह से बर्बाद हो गए हैं.
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