Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News videos  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019किसान को डर है कि जो थोड़ा-बहुत है, वो भी छिन जाएगा: योगेंद्र यादव

किसान को डर है कि जो थोड़ा-बहुत है, वो भी छिन जाएगा: योगेंद्र यादव

योगेंद्र यादव ने कहा कि महामारी के बीच किसान सड़क पर उतरकर कुछ नया नहीं मांग रहे हैं

क्विंट हिंदी
न्यूज वीडियो
Published:
(फोटो: Quint Hindi)
i
null
(फोटो: Quint Hindi)

advertisement

किसान एक बार फिर सड़कों पर हैं. इस बार देश के 'अन्नदाताओं' के प्रदर्शन की वजह बने हैं तीन कृषि संबंधित बिल (farm bills), जिन्हें काफी हंगामे के बीच केंद्र ने संसद से पास करा लिया है. किसानों को डर है कि इन बिलों के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था खत्म करने की कोशिश हो रही है. पंजाब और हरियाणा में पिछले कई दिनों से किसान विरोध-प्रदर्शन (farmers protest) कर रहे हैं. 25 सितंबर को किसानों ने भारत बंद (Bharat Bandh) बुलाया है. किसान किस बात पर परेशान हैं और असल में मुद्दा क्या है, क्विंट ने स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव से जानने की कोशिश की.

योगेंद्र यादव ने कहा कि महामारी के बीच किसान सड़क पर उतरकर कुछ नया नहीं मांग रहे हैं, बल्कि उन्हें डर है कि जो थोड़ा बहुत उनके पास है वो भी नहीं रहेगा.

किसान दाल नहीं मांग रहा है, उसे सिर्फ दाम चाहिए. वो सिर्फ अपनी फसल का उचित दाम चाहता है. और सरकार ने क्या किया, महामारी के बीच अध्यादेश के रास्ते तीन ऐसे बिल ले आई, जो किसान ने कभी मांगे ही नहीं. जिस पर किसानों से कभी परामर्श नहीं किया गया, बात नहीं की और जिन बिलों का देश के सभी किसान संगठन विरोध कर रहे हैं.  
योगेंद्र यादव

बिल क्या हैं?

योगेंद्र यादव ने बताया कि एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में बदलाव कर स्टॉक की सीमा खत्म कर दी गई है, जिस पर किसानों को डर है कि स्टॉक बहुत ज्यादा हो जाने पर स्टॉकिस्ट अपने मन से दाम बढ़ाएगा-घटाएगा. यादव ने कहा, "इससे किसानों की मोल-भाव करने की ताकत और कम हो जाएगी और उपभोक्ता को नुकसान होगा."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
दूसरा बिल है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का. इसमें किसान को डर है कि कॉन्ट्रैक्ट ऐसे लिखे जाएंगे कि उनकी मोल-भाव की क्षमता कम हो जाएगी. इसके अलावा केंद्र ने इसमें किसानों के कोर्ट जाने का प्रावधान खत्म कर दिया है.  
योगेंद्र यादव

तीसरे बिल को योगेंद्र यादव ने 'सबसे खतरनाक' बताया. उन्होंने कहा कि इस बिल के जरिए केंद्र APMC यानी कि किसानों की मंडी के पैरेलल एक प्राइवेट मंडी बनाना चाहती है और APMC को बायपास करना चाहती है.

किसानों को डर है कि कुछ साल में ये सरकारी मंडी खत्म हो जाएगी और ये जो किसान के सर पर छत है, चाहें टूटी-फूटी हो, लीक कर रही हो, जैसी भी हो, चली जाएगी. लेकिन सरकार कह रही है कि छत ही हटा दो. इससे किसानों को आजादी नहीं मिलेगी, बल्कि वो एक्सपोज हो जाएंगे. अभी जो कुछ MSP मिलती है, वो भी चली जाएगी.  
योगेंद्र यादव

यादव ने कहा कि डरने की बात इसलिए है क्योंकि पिछले छह साल से सरकार बार-बार अपने डॉक्युमेंट्स में कह रही है कि MSP कम करने की जरूरत है.

किसानों की मांग क्या है?

योगेंद्र यादव ने कहा, "सारे किसान संगठन एक ही मांग पर राजी हैं कि MRP की ही तरह MSP को भी कानूनी अधिकार बनाया जाए. मतलब कि MSP के नीचे फसल खरीदने को गैरकानूनी बना दो. एक गारंटी दे दो."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT