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भूमिहार- 142, यादव-165, कुर्मी-24, ब्राह्मण-126, राजपूत-169. ये बिहार (Bihar) में जातियों (Caste Code) का नया कोड है. बिहार में जातियां अब एक खास कोड से पहचानी जाएंगी. जाति आधारित गणना (Caste Census) के लिए राज्य सरकार ने सभी जातियों के लिए नंबर निर्धारित कर दिए हैं. लेकिन इस पर विवाद भी शुरू हो गया है. आरोप लग रहे हैं कि कुछ जातियों को कमजोर करने की कोशिश हो रही है.
बिहार में जातिगत जनगणना के लिए 214 जातियों की पहचान की गई है. सभी को एक खास कोड नंबर दिया गया है और जो इसके दायरे से बाहर हैं उनके लिए खासतौर पर कॉमन कोड 215 रखा गया है. यानी अब जातियों की पहचान उनके कोड संख्या के जरिए होगी. अब कोड से ही पता चल जाएगा कि कौन किस जाति का है.
सरकार का कहना है कि इसके जरिए वह जातियों के वास्तविक आंकड़े पता कर रही है. इसके आंकड़े बजट और योजनाएं तैयार करने में सहायक होंगे, जिससे विकास को और गति मिलेगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इसे लोगों की तरक्की और आर्थिक विकास के लिए जरूरी मानते हैं. उनका कहना है कि इससे सभी जाति-धर्म के लोगों की स्थिति अच्छी होगी और तभी राज्य आगे बढ़ेगा. लेकिन क्या ऐसा होगा?
यहां एक सवाल और उठता है कि क्या विकास जातियों के आधार पर ही होना चाहिए. जिन जातियों को आरक्षण नहीं प्राप्त है क्या उनमें गरीब और वंचित नहीं है? इस सवाल के जवाब में प्रोफेसर डीएम दिवाकर कहते हैं कि जातिगत जनगणना के बिना भी लोगों का विकास किया जा सकता है. लेकिन जो आज भी सबसे निचले पायदान पर खड़े हैं उनके लिए अगर अलग से आंकड़ें नहीं होंगे तो उनका विकास कैसे होगा?
इसको वो इस तरह से समझाते हैं. बिहार में पमरिया जाति है. लेकिन उसके बारे में कोई पुख्ता आंकड़े नहीं है. ऐसे में उनके उद्धार की बात कैसे होगी? इसी तरह डोम, मुसहर हैं- इनके भी अनुमानित आंकड़े ही हैं. ऐसे में उनका विकास कैसे होगा? उनके लिए टारगेटेड प्लान कैसे बनाया जाएगा?
वहीं वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि,
प्रवीण बागी का मानना है कि इससे कोई बहुत ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है.
सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि जातियों के संख्या बल को कम करने की कोशिश की जा रही है. इसको ऐसे समझा जा सकता है. यादव का कोड-165 है. इसके अंदर ग्वाला, अहीर, गोरा, घासी, मेहर, सदगोप, लक्ष्मी नारायण गोला आएंगे. वहीं कुर्मी का कोड 24 है. कुछ लोग कुर्मी में धानुक और सैंथवार को भी जोड़ते हैं. उनका कहना है कि जब यादव में सारी उपजातियां जोड़ दी गई हैं तो फिर ऐसा कुर्मी से जुड़ी जातियों के साथ भी किया जा सकता था. लेकिन सरकार ने इनकी अलग कोडिंग की है. धानुक का कोड-91 है जबकि सैंथवार का 192.
वहीं मैथिल, कान्यकुब्ज और अन्य ब्राह्मणों की उपश्रेणियों को ब्राह्मण नामक एक सामाजिक इकाई में मिला दिया गया है जिसका जाति कोड 126 होगा. इसकी उपश्रेणियों की कोई अलग गणना नहीं की जाएगी.
किन्नर यानी ट्रांसजेंडर का कोड 22 है. लेकिन इसको लेकर भी विरोध हो रहा है. कहा जा रहा है कि क्या लिंग के आधार पर किसी की जाति तय की जा सकती है. क्या पुरुष या महिला को जाति के रूप में माना जा सकता है. इसी तरह ट्रांसजेंडर को जाति के रूप में कैसे माना जा सकता है? ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग किसी भी जाति के हो सकते हैं.
बहरहाल, इन सवालों के बीच एक और सवाल है कि क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक मकसद भी है. दरअसल, बिहार और देश की राजनीति में जाति फैक्टर हावी रहा है. बीजेपी, आरजेडी से लेकर जेडीयू सहित तमाम पार्टियों की नजर अन्य पिछड़ा वर्ग यानी OBC पर रहती है. 1990 में जब मंडल कमीशन की सिफारिश लागू की गई, तब उस समय 1931 की जनगणना के अनुसार देश में OBC की जनसंख्या 52 फीसद होने का अनुमान लगाया गया था. अब कहा जा रहा है कि उनका दायरा बढ़ा है. और इसका सही पता जनगणना से ही लग पाएगा. चुकी 1951 से जनगणना में केवल SC-ST का आंकड़ा ही प्रकाशित हो रहा है, ऐसे में ओबीसी और अन्य जातियों का आंकड़ा नहीं उपलब्ध है.
अब जरा चुनौतियों की भी बात कर लेते हैं. बिहार से पहले केंद्र की यूपीए सरकार ने 2011 में सामाजिक-आर्थिक सर्वे के साथ जातिगत जनगणना करवाई थी. साल 2016 में SECC के सभी आंकड़े प्रकाशित हुए. लेकिन जातिगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हुए. इसके बाद कर्नाटक में साल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जाति आधारित जनगणना कराने का फैसला किया. 2017 में कंठराज समिति ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी. लेकिन उसे भी जारी नहीं किया गया. ऐसे में सवाल है कि क्या जनगणना के बाद बिहार सरकार जातियों का डेटा जारी करेगी?
बहरहाल, 15 अप्रैल से बिहार में जातिगत जनगणना का दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है, जो 15 मई तक चलेगा. राज्य सरकार ने इस काम के लिए 500 करोड़ के फंड का प्रावधान किया है. गणना में कुल 17 सवाल पूछे जाएंगे. जाति, धर्म के अलावा नौकरी-पेशा, आर्थिक स्थिति, सहित शिक्षा, जमीन की जानकारी भी जुटाई जाएगी.
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