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क्या बिहार (Bihar) के महागठबंधन में गांठ पैदा हो रही है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि दो-दो घटनाएं एक साथ हुई हैं. नीचे के सिपाही एक दूसरे पर बाण चला रहे हैं और सिपहसालार चुप हैं. इस चुप्पी के पीछे क्या है? वो बोलकर मामले को बढ़ाना नहीं चाहते या फिर चुप रहकर अपने सिपाहियों को शह दे रहे हैं?
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरित मानस के एक हिस्से को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहा तो सियासी सूरमा आक्रमण और बचाव दोनों मोड में आ गए. एक तरफ RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उनका समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि पूरी पार्टी चंद्रशेखर के साथ खड़ी है. घबराने की जरूरत नहीं है. वहीं इस मुद्दे पर RJD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने सार्वजनिक रूप से असहमति जाहिर की है.
चलिए अब इस बयान और पिछले कुछ राजनीतिक घटनाक्रम से बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और महागठबंधन पर इसका क्या असर होगा उसको समझने की कोशिश करते हैं.
रामचरित मानस पर टिप्पणी का महागठबंधन में साइड इफेक्ट दिख रहा है. घटक दल इसको लेकर RJD पर हमलावर है. JDU के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि RJD के मंत्री और विधायक BJP के एजेंडे पर काम कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रामचरित मानस जैसे विषयों पर यदि चर्चा होगी तो किस पार्टी को फायदा होगा सबको पता है. वहीं JDU MLC नीरज कुमार के नेतृत्व में उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पटना में मानस पाठ किया. कांग्रेस भी चंद्रशेखर के बयान पर सवाल उठा चुकी है.
इन बयानों का महागठबंधन पर क्या असर होगा इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि,
ये पहला मामला नहीं है जब RJD के किसी विधायक के बयान पर तेजस्वी ने चुप्पी साधी हो. सुधाकर सिंह मामले को लेकर भले ही तेजस्वी ने इशारों-इशारों में चेतावनी दी थी, लेकिन JDU के विरोध के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं इस मामले में वो खामोश हैं.
महागठबंधन सरकार के गठन के बाद से RJD के दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा है. बिहार में 10 अगस्त, 2022 को महागठबंधन सरकार बनी थी. ठीक 22 दिन बाद ही कार्तिकेय सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद सुधाकर सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया. उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि, "अगर RJD ने इस मुद्दे पर तुरंत कोई पहल नहीं कि तो मामला बहुत गंभीर हो सकता है. ये भी हो सकता कि मुख्यमंत्री एक तरफा कार्रवाई करते हुए चंद्रशेखर को मंत्रिमंडल से बाहर कर दें. इससे दोनों दलों में और दरार बढ़ेगी."
नीतीश कुमार बिहार में समाधान यात्रा निकाल रहे हैं. लेकिन इसमें सहयोगी दलों की सहभागिता न के बराबर दिख रही है. इसे भी महागठबंधन में मनमुटाव की तरह देखा जा रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि, "ये सिर्फ नीतीश कुमार और उनकी पार्टी की समाधान यात्रा बनकर रह गई है. बेशक वो कह रहे हैं कि ये सरकारी यात्रा है. फिर तो सरकारी यात्रा में कैबिनेट के अन्य सहयोगियों को भी होना चाहिए."
महागठबंधन सरकार बनने के बाद से नीतीश कुमार बैकफुट पर नजर आ रहे हैं. वो लगातार आलोचकों के निशाने पर हैं. छपरा शराबकांड के बाद बक्सर में किसानों का मुद्दा. BSSC पेपर लीक और फिर अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज. इन मुद्दों पर नीतीश कुमार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा है. लेकिन, नीतीश कुमार के पास इन सबका कोई जवाब नहीं है.
ये तो हो गई महागठबंधन की बात. अब जरा आपको बता दें कि मुख्य विपक्षी दल बीजेपी क्या कर रही है. उसे तो बैठे-बिठाए सरकार को घेरने का एक बड़ा मुद्दा मिल गया है. बीजेपी एक तरफ चंद्रशेखर के इस्तीफे की मांग कर रही है तो दूसरी तरफ नीतीश पर भी निशाना साध रही है.
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि, "RJD ने पिच तैयार की दी है. अब भारतीय जनता पार्टी को तय करना है कि वो इसे कैसे कैश करती है और इस मुद्दे पर किस तरह से बैटिंग करती है."
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