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तारीख पर तारीख... तारीख पर तारीख... सन्नी देओल के डायलॉग को BPSC ने इतना सीरियस ले लिया कि तारीख पर तारीख तो देता ही था अब परीक्षा कम पीड़ा ज्यादा दे रहा है. कहीं ये न हो कि लोग बीपीएससी को बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के जगह बिहार 'पीड़ा' सर्विस कमीशन बोलने लगें.
बीपीएससी पास करना पहले कैंडिडेट के लिए पहाड़ था लेकिन इसमें अब आयोग का भी सांस फुल रहा है. हर साल परीक्षा का डेट अनाउंस होता है और विवाद खड़ा हो जाता है. बीपीएससी 67वीं प्रीलिम्स परीक्षा के साथ भी कुछ ऐसने हुआ है. कई बार टलने और पेपर लीक के बाद आयोग ने किसी तरह परीक्षा तो करवा लिया. लेकिन रिजल्ट आने के बाद विवाद का नया जिन्न बाहर आ गया. इस नए विवाद के बारे में भी बताएंगे, लेकिन पहले इन तारीखों पर जरा गौर फरमाइए.
BPSC 67वीं प्रीलिम्स परीक्षा पिछले साल ही आयोजित होनी थी, लेकिन अलग-अलग वजहों से ये टलती रही. 24 सितंबर 2021 को परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी हुआ. परीक्षा की पहली संभावित तारीख 12 दिसंबर, 2021 थी, लेकिन उसी दिन बिहार में पंचायत चुनाव का 11वां चरण पड़ गया. दोनों तारीखें एक ही दिन पड़ने से इस परीक्षा को टाल दिया गया.
परीक्षा की नई तारीख 7 मई निर्धारित की गई, लेकिन इसी दिन सीबीएसई के इंटर्नल एग्जाम के चलते अगले दिन पर टाल दिया गया. अगले दिन यानी 8 मई को परीक्षा शुरू होने से पहले ही पेपर लीक हो गया. जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद आयोग ने परीक्षा को रद्द कर दिया.
इसके बाद 20 और 22 सितंबर को परीक्षा होनी थी. लेकिन दो सीटिंग में परीक्षा लेने के आयोग के फैसले का विरोध शुरू हो गया. छात्रों ने जमकर हंगामा किया, पुलिस ने भी लाठियां भांजी. बवाल बढ़ने के बाद परीक्षा फेर डिले हुई. आयोग ने अपना फैसला वापस ले लिया और आखिरकार परीक्षा 30 सितंबर को संपन्न हुई.
लटकते-झटकते किसी तरह 17 नवंबर को परीक्षा का परिणाम भी जारी हो गया. लेकिन विवाद खत्म नहीं हुआ. BPSC अभ्यर्थियों ने आयोग पर आरोप लगाया है कि बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन की 67वीं प्रीलिम्स परीक्षा में जबरदस्त धांधली हुई है. अभ्यर्थियों की 4 प्रमुख मांगें हैं:
67वीं पीटी का संशोधित रिजल्ट दिया जाए
परीक्षा नियंत्रक को हटाया जाए
8 मई को हुई पेपर लीक मामले की CBI से जांच कराई जाए
OMR शीट और PDF में छेड़छाड़ की जांच हो
इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीपीएससी 64वीं परीक्षा में 14 प्रश्न गलत पूछे गए थे. सीटें बेची गई थीं. 1 हजार कॉपी पटना हाई कोर्ट ने मांगा है लेकिन अभी तक कॉपी नहीं दिया गया है. साथ ही उन्होंने 66वीं परीक्षा में भी धांधली का आरोप लगाया है.
कैंडिडेट का जख्म नया नहीं है, अब तो नासूर बनता जा रहा है. बीपीएससी में देरी का इतिहास देखिए. 56 से 59वें बैच का फॉर्म निकला सितंबर 2014 में. मार्च 2015 को प्रीलिम्स की परीक्षा हुई. 21 नवंबर 2015 को पीटी का रिजल्ट आया. जुलाई 2016 में मेन्स परीक्षा हुई. जिसका फाइनल रिजल्ट अगस्त 2018 में आया. सोचिए जब आयोग को एक एग्जाम में करवाने में 4 साल लग गए तो बेचारे अभ्यर्थियों का क्या हुआ होगा?
साफ है कि कैंडिडेट से पहले अब आयोग को ही बीपीएससी की परीक्षा पास करनी होगी. सरकार ने इसे ठीक नहीं किया तो अभ्यर्थियों का गुस्सा फूटेगा, क्योंकि ये वोटर भी हैं.
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