Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News videos  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बजट 2021: बढ़ाना है रोजगार-कारोबार तो ये रहा ‘ब्रह्मास्त्र’ सरकार

बजट 2021: बढ़ाना है रोजगार-कारोबार तो ये रहा ‘ब्रह्मास्त्र’ सरकार

इकनॉमी में फूंकनी है जान तो टैक्स घटाइए, आम आदमी को कैश दीजिए, डिमांड बढ़ाइए

राघव बहल
न्यूज वीडियो
Updated:
बजट 2021 पर राघव बहल की खास सीरीज
i
बजट 2021 पर राघव बहल की खास सीरीज
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

https://www.youtube.com/watch?v=-lY3y8rPrBY&feature=youtu.be

आपने अर्थशास्त्रियों (Economists) के बारे में ये जोक तो सुना ही होगा. अगर एक कमरे में 5 अर्थशास्त्री मौजूद हैं, तो उनके 6 ओपिनियन होंगे, मतलब ये कि वो हमेशा दुविधा में रहते हैं, लेकिन एक ऐसी बात है, जिसमें अगर कमरे में 5 अर्थशास्त्री भी होंगे, तो उनकी राय केवल एक ही होगी, और वो ये कि अगर देश को आर्थिक संकट से निकालना है तो हमें अर्थव्यवस्था को वित्तीय मदद (Fiscal Stimulus) देनी पड़ेगी.

लेकिन अगर वित्तीय मदद का मतलब है कि सरकार का खर्च बढ़ा दिया जाए, तो मेरा मानना है कि ये सबसे गलत है और ये वित्तीय मदद देने का सबसे दकियानूसी विचार होगा. हमारी सरकार की आर्थिक क्षमता बहुत ही लिमिटेड है.

उदाहरण

  • एयरलाइन्स- 5 साल से हम एयर इंडिया को बेचने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हम अब तक ऐसा नहीं कर पाए हैं
  • एयरपोर्ट- इतने साल हो गए हैं और हम ये कह रहे हैं कि मुंबई और दिल्ली-NCR में एक दूसरा एयरपोर्ट होना चाहिए, लेकिन हम नहीं बना पाए
  • बुलेट ट्रेन- हम लंबे समय से बुलेट ट्रेन की बात कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उसे पटरी पर नहीं ला पाए
  • फ्राईट कॉरिडोर- दशकों से बात हो रही है कि मुंबई और दिल्ली के बीच एक बड़ा फ्राईट कॉरिडोर बनेगा, वो भी अभी तक लटका ही है
  • गिफ्ट सिटी- अहमदाबाद में हमने कहा था कि हम गिफ्ट सिटी बनाएंगे, जो लंदन के कैनेरी वार्फ जैसा होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ ये अभी सिर्फ रंग-बिरंगे ब्रोशर में ही दिखता है

इतने बड़े एसेट्स की बातें छोड़ देते हैं, लेकिन हम मामूली शेयर भी नहीं बेच पा रहे हैं क्योंकि पिछले 12 साल में 10 ऐसे साल हैं जिसमें हमने पब्लिक सेक्टर शेयर बेचने के अपने टारगेट को मिस किया है, खासकर इस साल हमने सबसे बड़ा टारगेट मिस किया है. ये तब हुआ है जब हमारा शेयर मार्केट सबसे ज्यादा स्तर तक पहुंच गया है और जो हमारा निजी क्षेत्र है, उसने 1 लाख 70 हजार करोड़ स्टॉक मार्केट से उठाया है उसने तो इतना पैसा उठा लिया, लेकिन हमारी सरकार इस साल हर टारगेट बहुत ही बुरी तरह मिस कर चुकी है

मेरा ये डर है कि अगर हम सरकार का खर्च बढ़ा कर इकनॉमी के लिए वित्तीय मदद करेंगे, तो मुझे लगता है कि बहुत ज्यादा लालफीताशाही हो जाएगी बहुत ज्यादा पेपर, रेडटेप बनागी, फाइलें बनेंगी, बड़े-बड़े टेंडर खोले जाएंगे, बोलियां लगाई जाएंगी, लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं होगा 

मुझे लगता है कि ऐसा करने से हम अर्थव्यवस्था की वित्तीय मदद नहीं कर पाएंगे. हमें ये दोनों चीजें करनी होंगी, और अर्बन कंजप्शन और इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट पर पूरा फोकस रखना होगा.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अगर हम ऐसा करते हैं, तो ये सबसे बढ़िया वित्तीय मदद होगी हमारी अर्थव्यवस्था के लिए. मैं उदाहरण देता हूं,

हर शख्स जो इनकम टैक्स देता है, उसे एक 'स्पेशल वाउचर' दिया जाए, कहिए 10 लाख रुपये तक का. इसे आप किसी भी चीज पर खर्च कर सकते हैं, लेकिन शर्त ये है कि इसे 31 मार्च 2022 से पहले खर्च करना है. और अगर आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो ये रकम आपके इनकम टैक्स से काटी जाएगी. इससे इनकम टैक्स कम हो जाएगा.

इससे लोगों को बाहर जा कर खरीदारी करने का प्रोत्साहन मिलेगा. कुछ लोग घर खरीदेंगे, कोई छुट्टी पर जाएगा, कोई गाड़ी खरीदेगा, कोई नया स्मार्टफोन खरीदेगा... उससे उसको टैक्स डिडक्शन मिलेगा. इससे हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड बढ़ेगी.

बड़े उद्योगों को एसेट राइट-ऑफ करने की इजाजत दी जाए. उनसे कहा जाए कि वो नई मशीनरी खरीदें और इस मशीनरी की उम्र अगर 25 साल है, तो इसे 3 साल में राइट ऑफ करने की इजाजत दी जाएगी.

इससे लोग अगर मौजूदा साल में मशीनरी खरीदेंगे, तो 3 साल में उन्हें पूरा टैक्स डिडक्शन मिल जाएगा. जैसे अगर कोई मशीन 100 करोड़ की है और उन्हें इसका 25 साल में राइट-ऑफ मिलता है, लेकिन इस स्पेशल स्कीम के तहत उन्हें 33-33 करोड़ का हर साल राइट-ऑफ मिल जाएगा, जिससे उनका टैक्स बचेगा. इससे लोग तुरंत निवेश करेंगे.

इनडायरेक्ट टैक्स, यानी कि स्टैम्प ड्यूटी, जीएसटी, एक्साइज ड्यूटी में एक छोटी अवधि के लिए बड़ी कटौती कीजिए. उन्हें 33%, या 50% तक घटा दीजिए. लेकिन ये सिर्फ 6 महीने या ज्यादा से ज्यादा 1 साल के लिए करना होगा.

महाराष्ट्र सरकार ने स्टैम्प ड्यूटी में 60% तक कटौती की. वहां घर या प्रॉपर्टी खरीदने पर 5% की स्टैम्प ड्यूटी लगती थी, जिसे 3 महीने के लिए 2% कर दिया गया और इसका असर ये हुआ कि लोगों ने तुरंत अपने घर और प्रॉपर्टी रजिस्टर कराई. इसने मुंबई के प्रॉपर्टी मार्केट में नई जान फूंक दी. इससे साफ है कि अगर लोगों को कम अवधि के लिए टैक्स इंसेंटिव दिया जाता है, तो उसका असर दिखता है.

मैं मानता हूं कि ये जो उदाहरण मैंने दिए हैं, ये शायद बढ़ा-चढ़ाकर दिए हैं, लेकिन इनके पीछे बात एकदम साफ है. वो ये है कि हमें लोगों की परचेसिंग पावर बेतहाशा तरीके से बढ़ानी होगी. कंज्यूमर को प्रोत्साहन दिया जाए कि वो मार्केट में जाकर जरूरी सामान खरीदे.

और ऐसा हम दो रास्तों से कर सकते हैं- टैक्स घटाकर और सामान की कीमतें कम कर. ये कम समय के लिए होगा, क्योंकि अगर ये कम समय के लिए है तो हमें उसी अवधि में सामान खरीदना होगा. गाड़ी, घर, कंप्यूटर खरीदना होगा. इससे उस लिमिटेड पीरियड के कारण ज्यादा डिमांड बढ़ेगी. इसमें ये तर्क दिया जा सकता है कि इससे सरकार का टैक्स रिवेन्यू गिरेगा. तो हां, ये बिल्कुल गिरेगा और यही सबसे बड़ी वित्तीय मदद होगी हमारी अर्थव्यवस्था के लिए.

राघव बहल क्विंटिलियन मीडिया के को-फाउंडर और चेयरमैन हैं, जिसमें क्विंट हिंदी भी शामिल है. राघव ने तीन किताबें भी लिखी हैं-'सुपरपावर?: दि अमेजिंग रेस बिटवीन चाइनाज हेयर एंड इंडियाज टॉरटॉइस', "सुपर इकनॉमीज: अमेरिका, इंडिया, चाइना एंड द फ्यूचर ऑफ द वर्ल्ड" और "सुपर सेंचुरी: व्हाट इंडिया मस्ट डू टू राइज बाइ 2050"

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 23 Jan 2021,06:14 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT