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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
जातीय जनगणना (Cast Census) पर Bihar में राजनीति तेज हो गई है. केंद्र ने साफ कर दिया है कि वो जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं हैं, जिससे Nitish Kumar की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
नीतीश कुमार कई बार जातीय जनगणना का मुद्दा उठाते रहे हैं, पिछले दिनों पीएम से मुलाकात भी कर चुके हैं. 26 सितंबर को मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार ने अपनी जातीय जनगणना की मांग को जायज ठहराते हुए कहा है कि- जातीय जनगणना से देश के विकास में सहूलियत होगी और ये देशहित में है.
23 सितंबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में बताया है कि - 2021 की जनगणना में ओबीसी जातियों की गिनती इसलिए नहीं हो सकती है क्योंकि ये एक लंबी और कठिन प्रक्रिया है.
जातीय जनगणना पर केंद्र के हलफनामे के बाद लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है-
वहीं तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे पर BJP पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि- ''BJP/RSS को पिछड़ों से इतनी नफरत क्यों? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा. सबकी असलियत सामने आएगी.'' हाल ही में उन्होंने ट्वीट कर लिखा-
बीते मानसून सत्र में पीएम मोदी से नीतीश कुमार ने सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधिमंडल के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की थी, जिसके बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने ये उम्मीद जताई थी कि पीएम उनकी मांगों पर विचार करेंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे के बाद नीतीश कुमार पर विपक्ष दबाव बना रहा है.
हालांकि 26 सितंबर को अपने बयान में नीतीश कुमार ने कहा है कि वो अब भी जातीय जनगणना के पक्ष में हैं और लगातार इसकी मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि- जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी तो पिछड़ी/ अति-पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का न तो सही आकलन हो सकेगा और न ही उनकी बेहतरी और उत्थान सम्बन्धी निति निर्धारित हो पायेगी”
वहीं झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को 26 सितंबर को ज्ञापन सौंपा.
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