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जामिया और JNU में जो कुछ हुआ उसे लोग भूलेंगे नहीं: चिदंबरम

पी चिदंबरम ने CAA पर कहा- ‘मुझे गर्व है कि युवा अपनी असहमति जता रहे हैं’

क्विंट हिंदी
न्यूज वीडियो
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लोग नहीं भूलेंगे कि जमिया और JNU में क्या हुआ: चिदंबरम
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लोग नहीं भूलेंगे कि जमिया और JNU में क्या हुआ: चिदंबरम
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी, मैत्रेयी रमेश

कैमरा: अभिषेक रंजन

देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने क्विंट हिंदी से खास बातचीत में नागरिकता संशोधन कानून पर कहा 'मुझे गर्व है कि युवा अपनी असहमति जता रहे हैं ये अच्छा है, मैं भारत को दिवाली, ईद, क्रिसमस के बिना सोच ही नहीं सकता’

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आप आज देश की हालत पर क्या कहना चाहेंगे क्योंकि हालत बहुत खराब है CAA को लेकर युवा सड़कों पर हैं
प्लीज, आप इन प्रदर्शनों को एंटी-CAA तक ही सीमित ना करें, एंटी CAA तो एक ट्रिगर है लेकिन ये देखकर बहुत अच्छा लगता है बहुत गर्व महसूस होता है कि बहुत से छात्र और युवा धर्म, जाति और भाषा से ऊपर उठकर एक आइडिया के लिए लड़ने के लिए उतरे हैं पहले ट्रेड यूनियन प्रोटेस्ट होता था तनख्वाह बढ़ाने के लिए, हॉस्टल की बढ़ी फीस के खिलाफ प्रदर्शन होते थे, परीक्षा का वक्त बदलने के लिए प्रदर्शन होते थे, ये ऐसे आइडिया हैं जिनमे एक मांग है. लेकिन आज वो भावनाओं के लिए लड़ रहे हैं जैसे बराबरी, कानून को बचाने के लिए, भेदभाव के खिलाफ, धर्मनिरपेक्षता के लिए लड़ रहे हैं, उदार भारत, बहुलतावाद के लिए, वो लोग इसके लिए सड़कों पर उतर गए हैं दिल्ली की इतनी कड़ी सर्दी में पुलिस की लाठी, आंसू गैस का सामना कर रहे हैं.

लेकिन आपको ये क्यों लगता है कि ये विरोध लंबा चलेगा? क्योंकि कई बार आप अपना गुस्सा जाहिर कर देते हैं फिर अपनी-अपनी जिंदगियों में लौट जाते हैं

हां, ये मुमकिन है, वो समझौता भी कर लें, वो माफ भी कर दें, कई मुद्दों पर मान भी जाएं, लेकिन वो ये भूलेंगे नहीं, वो उस दिन को याद रखेंगे जिस दिन पुलिस जामिया मिल्लिया इस्लामिया में घुसी थी वो उस दिन को भी याद रखेंगे जब JNU में गुंडे घुस आए थे, वो दिन कभी नहीं भूलेंगे.

आप तब गृह मंत्री थे और तब भी NPR आने वाला था तो अभी NPR में गलत क्या है?

NPR में कुछ गलत नहीं है लेकिन उसका सार और संदर्भ अलग हैं, NPR 2010 जो था, वो हमारा आइडिया नहीं था उस वक्त सेंसस कमिश्नर 2011 में सेंसस करने वाले थे, वो हमारे पास आए और कहा कि कानून के मुताबिक NPR करना है मुझे अगले साल जनगणना वैसे भी करना है तो हम क्यों न NPR अभी करें और फिर जनगणना में इसका इस्तेमाल करें? क्योंकि आप जो भी NPR से डेटा कलेक्ट करेंगे वो जनगणना के लिए ही काम आएगा तो हमने कहा ठीक है कर लो, पैसे भी बचेंगे UIDAI सिर्फ आधार पर काम कर रहा था UIDAI सिर्फ 5 चीजों का डेटा एक साथ ले रहा था NPR 15 चीजों का डेटा कलेक्ट कर रहा था तो हमने सोचा ठीक है, आधे-आधे राज्यों के हिसाब से काम बांट दिया जाए तो सेंसस कमिश्नर ने सिर्फ आधे राज्यों का NPR किया और इसे सेंसस में शामिल किया गया और जब 2011 में सेंसस का काम हो गया तो हम रुक गए, हम आगे गए ही नहीं हमने NRC नहीं लाया हमने NRC पर बात तक नहीं की. आज इसकी सामग्री इसलिए अलग है क्योंकि वो सिर्फ 15 चीजों की जानकारी नहीं ले रहे हैं, वो और भी ज्यादा चीजों की जानकारी मांग रहे हैं.

आप इसके पहले कहां रहते थे? आपके पिता का जन्मस्थान क्या है? आपकी मां का जन्मस्थान क्या है? आपका पासपोर्ट नंबर क्या है?आपके वोटर आईडी का नंबर क्या है? आपका PAN नंबर क्या है? वो ये सब क्यों पूछ रहे हैं? इससे क्या लेना देना है कि आप कहां रह रहे हैं? तो इसलिए इसकी सामग्री से संदेह होता है और अब आता है संदर्भ, ये और भी बुरा है अभी संदर्भ असम NRC है असम NRC के बाद 19,6,657 लोग बेघर हो गए हम इस सरकार की नीयत पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि यही चीज लोगों को डरा रही हैं एक राज्य में 19,6,657 लोग बेघर हो गए अब सोचिए ये पूरे देश में हो गया, तो क्या होगा? और कौन हैं ये लोग? ये गरीब लोग हैं.

आप बड़ी अच्छी तरह से चीजों को समझा रहे हैं कि हर प्रक्रिया पर सवाल है, कई लोगों का कहना है कि ये बहुत आसान है कि ये शायद वोटरों को दबाने के लिए है

मुझे इसके बारे में तो नहीं पता लेकिन ये साफ है कि असम के 19,6,657 लोगों के पास वोट देने का अधिकार अब नहीं है. अब वो बेघर हो गए हैं अब अगर आप इसे पूरे देश में लागू करेंगे तो ये नंबर 3,4 या 5 करोड़ तक पता नहीं कहां तक बढ़ सकता है, आप इन लोगों के साथ क्या करेंगे? कहां भेजेंगे? क्योंकि असम में आधे मुसलमान हैं हिन्दू-मुसलमान ये अलग बात है, लेकिन ज्यादातर गरीब हैं

देखिए, आज प्रधानमंत्री की डिग्री DU से ट्रेस नहीं हो पा रही है पूर्व HRD मंत्री की डिग्री नहीं ट्रेस हो पा रही है तो आप असम के किसी एक गरीब शख्स से ये उम्मीद कैसे कर सकते हैं जिसे हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है. जिसमें सब बह जाता है वो अपने कागज ढूंढ लेगा? अगर आप आज मुझसे अपने स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट की मांग करेंगे तो मैं कहां जाऊंगा?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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