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Delhi Riots 2022: देश की राजधानी दिल्ली में दो साल पहले 23 से 29 फरवरी 2020 तक हुए दंगों में कई बच्चों ने अपनों को खो दिया था. 53 लोग मारे गए जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे. दंगों को अब 2 साल पूरे हो चुके हैं, मगर इन इन बच्चों की जिंदगी पूरी तरह बदल गई है. दर्द और तकलीफ के बावजूद कुछ कोशिशों से इन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान वापस लौट रही है.
फैज का कहना हैं कि उनके पिता इस्सतमे में गए हुए थे तो वहां से वापस नहीं लौटें. उनके पिता ने उन्हें फोन किया कि उनका हाथ टूट गया है. इसलिए वो अपने दोस्त के घर ही रूकेंगे. वही दंगाइयों ने उनके पिता को ऑटो में रखकर जला दिया. 2 महीने तक फैज का परिवार उनके पिता मोहम्मद फिरोज को ढूंढता रहा. फिर एक दिन उनका मृत शरीर नाले में मिला. फैज बताते हैं कि उनको सपने में पापा का जला हुआ चेहरा दिखता है. वो इस हादसे को कभी नहीं भूल पाएंगे.
खुशी के साथ भी ऐसा ही हुआ. खुशी बताती हैं कि शाम के समय दंगाइयों ने उनके बिल्डिंग में घुसकर हमला किया, तो उन्होंने अपने पिता को बेड में बंद करके छुपा दिया था, लेकिन फिर भी उनके पिता को मार दिया गया. पहले उन्होंने उनके पिता के सिर पर मारा और आग में जलाकर नाले में फेंक दिया. घर में एकमात्र कमाने वाले खुशी के पिता की मौत का मतलब यह भी था कि खुशी अब आगे अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सकेगी.
अनस और उसके तीन भाइयों के साथ भी ऐसा ही हुआ. अनस बताते हैं कि उनके पिता की मौत के बाद घर की स्थिति बहुत खराब हो गई. उनकी मां ने कहा कि अब तो घर का खर्चा चलना मुश्किल है, तो पढ़ाई कहां से हो पाएगी. अनस 7वीं कक्षा में जाने वाले थे लेकिन इस हादसे की वजह से उन्हें 5वीं कक्षा में ही दोबारा पढ़ना पड़ा. इस वजह से उनका 2 साल बर्बाद हो गया.
मामलों में FIR दर्ज हुई और दिल्ली सरकार की ओर से परिवारों को 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया. सांप्रदायिक हिंसा में तबाह हुई, जिंदगी के 2 साल बाद बच्चे फिर से अपने स्कूल लौट आए हैं. जिसका श्रेय MILES2SMILE संस्था द्वारा संचालित स्कूल को जाता है. जो विशेष तौर पर दिल्ली दंगों में प्रभावित हुए बच्चों के लिए शुरू किया गया है. खुशी बताती हैं कि उन्हें वकील बनना है क्योंकि जैसे उनके पिता के साथ हुआ ऐसा किसी के साथ ना हो. हालांकि वो डरे हुए हैं लेकिन बच्चों ने अभी भी उम्मीद नहीं खोई है.
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