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अमेरिका (America) के एयरस्पेस में चीन के संदिग्ध 'जासूसी गुब्बारे' (Chinese Spy Balloon in USA) के घुसने से दोनों देशों के बीच तनातनी बढ़ गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक यह गुब्बारा अमेरिका के मोंटाना सहित कई संवेदनशील जगहों के ऊपर उड़ते देखा गया है. वहीं पेंटागन के मुताबिक, एक और गुब्बारा लैटिन अमेरिका के आसमान में देखा गया है.
चीन की इस हरकत के बाद अमेरिका ने कड़ी नराजगी जताई है.अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस घटना के बाद अपना चीन दौरा रद्द कर दिया है. शुक्रवार को उन्होंने कहा कि "अमेरिकी हवाई क्षेत्र में चीनी निगरानी गुब्बारे की उपस्थिति अमेरिकी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन है."
इससे पहले पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा, ‘‘अमेरिकी सरकार को एक जासूसी गुब्बारे का पता चला है और उस पर नजर रखी जा रही है. यह अभी भी अमेरिका के हवाई क्षेत्र में उड़ रहा है. नोराड (नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड) उस पर करीबी नजर बनाए हुए है."
मोंटाना में चीन के संदिग्ध जासूसी गुब्बारे से अमेरिका की चिंता बढ़ गई है. सुरक्षा की नजर से मोंटाना अमेरिका का बेहद संवेदनशील इलाका है. यहां अमेरिकी एयरफोर्स का स्पेशल बेस है. इसके साथ ही यहां से इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइलें भी ऑपरेट की जाती है. दरअसल अमेरिका में इस तरह के तीन न्यूक्लियर मिसाइल क्षेत्र ही हैं, जिनमें से एक मोंटाना है.
वहीं इस मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी जानकारी दी गई है. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा,
वहीं इस मामले में चीन ने खेद जताया है. चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका हवाई क्षेत्र के ऊपर देखे गए गुब्बारे का इस्तेमाल शोध के लिए किया जाता है. AP की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के विदेश मंत्रालय ने आगे कहा,
इस घटना के बाद चीन और अमेरिका के बीच तल्खी और बढ़ गई है. हालांकि, चीन ने कहा कि वह अप्रत्याशित स्थिति को ठीक से संभालने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संपर्क बनाए रखना जारी रखेगा.
हाई एल्टीट्यूड गुब्बारे क्षेत्र के स्थानीय मौसम में बदलाव की निगरानी के लिए दुनिया भर में तैनात मौसम के गुब्बारे के समान हैं. हालांकि, जब जासूसी गुब्बारों की बात आती है, तो उनका उद्देश्य बदल जाता है. ये गुब्बारे जमीन से 24,000-37,000 मीटर ऊपर काम करते हैं.
यूएस एयर फोर्स के एयर कमांड एंड स्टाफ कॉलेज की 2009 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उपग्रहों के मुकाबले गुब्बारों से निगरानी करना आसान होता है. इसके जरिए करीब से बड़े भू-भाग को स्कैन किया जा सकता है. उपग्रहों के विपरीत इसे लॉन्च करने में बहुत कम खर्चा आता है.
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