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राज्यसभा (Rajya Sabha) में गुरुवार, 27 जुलाई को सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक (Cinematograph (Amendment) Bill-2023) पारित किया गया.
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने विधेयक पारित करते हुए कहा, यह बिल पायरेसी की वजह से होने वाले 20 हजार करोड़ रुपये के नुकसान को रोकने के लिए लाया गया है. यह कानून फिल्म इंडस्ट्री की लंबे वक्त से चली आ रही मांग का भी ख्याल रखता है. केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा जारी प्रमाणपत्र कानून बनने के बाद हमेशा के लिए वैध रहेंगे.
तो बिल में पायरेसी से निपटने के लिए किस तरह के प्रावधान हैं? और क्या ओटीटी पर मौजूद कंटेंट भी इसके दायरे में आएगा? क्या इसमें किसी तरह की सजा का भी प्रावधान है? ऐसे ही सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं.
यह बिल सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्मों को प्रमाणित करने के तरीके को बदलने के साथ-साथ फिल्म चोरी पर रोक लगाता है. इस विधेयक के जरिए 1952 के मूल कानून में संशोधन किया गया है. फिल्मों को अभी तक जो 'UA' सर्टीफिकेट दिया जाता है, उसे अब तीन आयुवर्ग श्रेणियों 'UA7 प्लस', 'UA13 प्लस' और 'UA16 प्लस' में रखा जाएगा.
आईटी रूल, 2021 ने स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लिए इन रेटिंग को लागू किया था. 2004 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद, एडल्ट्स के लिए रेटिंग वाली फिल्मों को टेलीविजन पर बड़े पैमाने पर बैन कर दिया गया है.
विधेयक के तहत सिनेमा थिएटर में दिखाई जाने वाली किसी भी फिल्म को ऑडियो-विजुअल डिवाइसेज की मदद से रिकॉर्ड करने या किसी व्यक्ति को रिकॉर्ड करने में मदद करने पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है. यहां तक कि बिना अधिकार के रिकॉर्डिंग करने का प्रयास भी अपराध होगा.
इस बिल में फिल्म पायरेसी करने पर निम्न सजा का प्रावधान है:
तीन महीने से लेकर तीन वर्ष तक जेल की सजा
3 लाख रुपये से लेकर फिल्म की ऑडिटेड सकल उत्पादन लागत यानी ग्रॉस प्रोडक्शन कॉस्ट का 5 प्रतिशत तक जुर्माना देना होगा
केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट-1995 में कहा गया है कि केवल UA कैटेगरी की फिल्में ही टीवी पर दिखाई जा सकती हैं. नए बदलाव किसी फिल्म की कैटेगरी को A यानी अडल्ट या S यानी स्पेशल ग्रुप से UA में बदलने की छूट देते हैं.
नया विधेयक यह भी स्पष्ट करता है कि केंद्र के पास CBFC सर्टिफिकेट पर कोई रिवीजनल पॉवर नहीं होगा.
राज्यसभा में इस बिल पर बहस के दौरान सांसदों द्वारा एक बड़ी फिक्र OTT प्लेटफार्म पर कंटेंट रेगुलेट करने को लेकर जताई गई. बीजू जनता दल के सांसद और फिल्म डॉयरेक्टर प्रशांत नंदा ने कहा कि OTT प्लेटफॉर्म बार-बार अश्लील भाषा, रेप और हिंसा दिखाते हैं.
बीजेपी के GVL नरसिम्हा राव ने कहा कि
इस पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस मामले पर एक मीटिंग हुई थी, जिसमें ओटीटी प्लेयर्स के साथ सेल्फ-रेगुलेशन सहित मुद्दों पर चर्चा की गई. मैंने उनसे मीटिंग में कहा था कि सेल्फ-रेगुलेश का मतलब है कि जिम्मेदारी आपकी है. अगर आप इस बारे में कुछ नहीं करते हैं, तो हम अन्य तरीकों का उपयोग करने के लिए मजबूर होंगे.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में अनुराग ठाकुर और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के बीच हुई एक मीटिंग में, सरकार ने गुजारिश की कि हिंसा और अश्लीलता के लिए उनके कंटेंट की समीक्षा की जानी चाहिए.
कथित तौर पर अधिकारियों ने इन प्लेटफार्मों से कंटेट की समीक्षा के लिए एक स्वतंत्र पैनल पर विचार करने के लिए कहा जिससे अनुपयुक्त कंटेंट को हटाया जा सके.
सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक-2019 को 12 फरवरी 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था, जिसमें केवल फिल्म पायरेसी से संबंधित बदलावों का प्रस्ताव दिया गया था. इस विधेयक को इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पर स्टैंडिंग कमेटी को भेजा गया, जिसने मार्च 2020 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी.
पैनल की सिफारिशों में सर्टिफिकेशन की आयु-आधारित कैटेगरीज और गैर-जरूरी प्रावधानों को हटाना शामिल था. इसलिए, संशोधित सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक-2021 पब्लिक कमेंट्स की मांग करते हुए 18 जून, 2021 को जारी किया गया था.
2022 में इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स के साथ सलाह-मशवरा किया गया, जिसके आधार पर मंत्रालय ने 2023 विधेयक पेश किया.
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