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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम
ये जो इंडिया है ना.. इसे कोरोनावायरस से निपटने के लिए बड़ी साफ रणनीति बनानी पड़ेगी.. और इसका सबसे अहम पहलू है कोरोनावायरस की टेस्टिंग को लेकर रणनीति... यानी कोरोनावायरस की जांच को लेकर हमारी क्या रणीति है?
आखिर.. ये कई जिंदगियों का सवाल है.
तो कोरोनावायरस की ये आटे में नमक जैसी टेस्टिंग को लेकर भारत का लॉजिक क्या है? इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) का कहना है कि फिलहाल वो ‘Symptomatic Testing’ कर रहे हैं, मतलब वो उन लोगों का टेस्ट कर रहे हैं जो कोरोनावायरस के ज्यादा असर वाले देशों से लौटे हैं (और उन देशों की लिस्ट अब जाहिर तौर पर काफी लंबी हो चुकी है) या फिर वो, जो कोरोनावायरस लोगों के संपर्क में आए हैं. और उनमें से भी पहले उन लोगों की टेस्टिंग होती है जिन्हें सूखी खांसी, बुखार या सांस लेने में तकलीफ जैसे कोरोना के लक्षण हों.
अब क्योंकि हम कम टेस्टिंग कर रहे हैं, तो हो सकता है कि हम सभी पॉजिटिव मामलों की पहचान ही ना कर पा रहे हों और ये खतरनाक क्यों है? ये खतरनाक इसलिए है क्योंकि ये हमें एक और इटली बना सकता है!
लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ दिन पहले- 15 फरवरी को इटली में सिर्फ 3 पॉजिटिव केस थे और दक्षिण कोरिया में 28? कोरिया में आज 9000 से भी कम पॉजिटिव मामले हैं और 100 से भी कम मौत हुई हैं. इटली से बहुत कम. तो फिर कोरिया ने क्या जादू किया जो इटली नहीं कर पाया? वो है ज्यादा से ज्यादा लोगों की टेस्टिंग.
शायद भारत को इससे सीखने की जरूरत है. दक्षिण कोरिया ने फैसला किया कि जिस किसी में भी कोरोनावायरस के लक्षण होंगे, उनकी जांच होगी, चाहे उन्होंने यात्रा की हो या नहीं, चाहे वो किसी पीड़ित के संपर्क में आएं हो या नहीं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी पक्का किया कि उनके पास इतने ज्यादा लोगों की जांच की क्षमता हो. उन्होंने जनवरी से ही अपने यहां टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाना शुरू किया. दूसरी तरफ, इटली ने बड़े पैमाने पर टेस्टिंग में, लोगों को अलग-थलग करने में देरी की और इसकी बड़ी कीमत इटली को चुकानी पड़ रही है.
इसलिए मैं फिर पूछता हूं... क्या भारत को वही नहीं करना चाहिए जो दक्षिण कोरिया ने किया? कुछ लोग कह रहे हैं कि हमारी बड़ी आबादी को देखते हुए महज 150 के करीब मामले ज्यादा नहीं हैं, लेकिन यही तो मुद्दा है कि ये संख्या छोटी इसलिए भी हो सकती है क्योंकि हमें मालूम ही नहीं कि कितने लोग पॉजिटिव हैं और इसकी वजह फिर से वही कि हम शायद पर्याप्त संख्या में टेस्ट ही नहीं कर रहे.
अभी भारत में कोरोनावायरस के कारण 4 लोगों की ही मौत हुई है, इसलिए यही समय है कि हम तय कर लें कि हमें किस-किसकी और कितनी टेस्टिंग की जरूरत है. अभी भारत में कोरोनावायरस की महामारी स्टेज 2 पर है, ये अभी कम ही लोगों को बीमार कर रहा है, इसे लोकल ट्रांसमिशन कहते हैं, लेकिन खुदा न खास्ते एक बार ये स्टेज 3 पर पहुंच गया तो बड़ी तादाद में लोगों को बीमार करेगा.
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