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देखा-अनदेखा हिंदुस्तान: सर्वशिक्षा अभियान छत से टपक रहा, लाठियां खा रहा

लचर शिक्षा व्यवस्था, अस्पताल की बदइंतजामी, बेरोजगारी के बीच पत्रकारों के ट्वीट हटाने की मांग करने में भारत अव्वल

मुकुल सिंह चौहान
न्यूज वीडियो
Published:
<div class="paragraphs"><p>देखा-अनदेखा हिंदुस्तान</p></div>
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देखा-अनदेखा हिंदुस्तान

फोटो: क्विंट हिंदी

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क्या आप कभी छाता लेकर क्लासरूम में बैठे हैं ? क्या आपके स्कूल जाने से कभी खून-खराबा हुआ है? क्या आपको पता है कि देश में एक साल में 1,693 टन अनाज बर्बाद हो गया ? सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन 22 करोड़ ने किया और नौकरी सिर्फ 7 लाख को मिली? क्या आपने देखा कि घिसट-घिसट कर जी रही जनता को कैसे मरने के बाद घसीटा जाता है, ये सारी छपी-छिपी कहानियां इसी हिंदुस्तान की हैं जिन्हें देखा तो गया मगर अनदेखा कर दिया गया, आइए, ये देखा-अनदेखा हिंदुस्तान हम आपको दिखाते हैं.

मध्यप्रदेश के सिवनी का एक सरकारी स्कूल ऐसा है जिसकी हालात देखकर आप इस बात का अंदाजा खुद भी लगा सकते थे कि वह सरकारी स्कूल है. मॉनसून, मासूमों के ऊपर टपक रहा है, मास्टर जी पढ़ा रहे हैं और देश का भविष्य हाथ में छाता लिए बैठा है.और सर्वशिक्षा अभियान छत से रिस रही बूंदों से टपक रहा है.

सर्व शिक्षा अभियान छत से टपकता हुए देह से रिसने लगा. एमपी के बावलियाखेड़ा की एक नाबालिग दलित लड़की स्कूल पढ़ने जाती थी. अब इसी बात से गांव के कुछ लड़के नाराज थे. उनका कहना था कि जब गांव की कोई लड़की स्कूल नहीं जाती तो तुम क्यों जाती हो? इसी बात पर बावलियाखेड़ा में बवाल हो गया, खूब लाठी डंडे चले और 5 लोग घायल हो गए, एक तरफ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा है, इसकी उपलब्धियों के कसीदे हैं और दूसरी तरफ बेटी के कलम पकड़ने से क्लेश हो रहा है.

स्वस्थ्य लोकतंत्र की शिक्षा व्यवस्था की झलकियों के बाद जीवित लोकतंत्र में मरे लोगों के साथ हुआ बर्ताव देखिए. ये दृश्य मध्य प्रदेश के शहडोल के बिरसा मुंडा शासकीय मेडिकल महाविद्यालय का है, महाविद्यालय मृत जयमंत्री यादव को एम्बुलेंस नहीं दे पाया, महाविद्यालय का प्रशासन मजबूर करता है मृत जयमन्त्री यादव के बेटों को 100 रुपये की पटिया खरीदने के लिए और 80 किलोमीटर मां के शव को बाइक पर ले जाने के लिए.

जीवित लोकतंत्र में मरे लोगों के साथ बर्बरता यही नहीं रुकती बिहार के बेगूसराय में सड़क किनारे मिले अज्ञात शव को रस्सी से बांधकर घसीटते हुए अस्पताल ले जाया गया. ये दृश्य किसी काल्पनिक कहानी के नहीं हैं मगर बार-बार हर बार देखकर अनदेखे किए जाते रहे हैं.

कुपोषण इस अनदेखे हिंदुस्तान में उठा बड़ा सवाल है मीना मुसहर और झारखंड की भात मांगने वाली संतोषी भूख से काल के गाल में समा गईं मगर एक RTI से पता चला है कि साल 2021-22 में प्राकृतिक आपदाओं और खराब रखरखाव के कारण करीब 1,693 टन अनाज बर्बाद हो गया. मगर इसमें खबर ये नहीं है बल्कि खबर तो ये है कि इन गोदामों में जमा अनाज चूहे या किसी भी दूसरे जानवर से जरा भी खराब नहीं हुआ है ऐसा कहा जा रहा है, है ना चौकाने वाली बात? वरना यहां तो शराब भी चूहे पी जाते हैं.

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गोदाम में अनाज सुरक्षित नहीं है और जेल में कैदी. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने खुद बताया है की बीते दो सालों में पुलिस हिरासत में 4,484 मौतें हुईं और मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप पर है. साल 2020 में हिरासत में मौत के 1,940 और साल 2021 में 2,544 मामले देश में दर्ज किए गए.

हिरासत में हुई मौतों के आंकड़े के बाद एक और भयावह आंकड़ा सुनिए बीते आठ सालों में सरकारी नौकरियों के लिए 22 करोड़ आवेदन किए गए और नौकरी पता है कितनों को मिली ? मात्र 7.22 लाख लोगों को यानी एक फीसदी से भी कम मतलब महज़ 0.33 प्रतिशत. रिपोर्ट्स तो ये भी आ रही हैं कि बीते आठ सालों में केंद्र सरकार के विभागों में दी जाने वाली सरकारी नौकरियों की संख्या में साल दर साल गिरावट आई है. और जब हम रोजगार पर बात कर ही रहे हैं तो ये भी जान लीजिए कि विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में 84,405 पद ख़ाली हैं. जिसमें CRPF में 29,985 पद, BSF में 19,254, ASB में 11,402 पद, CISF में 10,918, असम राइफल्स में 9,659 और ITBP में 3,187 पद खाली पड़े हुए हैं.

आखिर में बस एक और बात बता दूं इसी हफ्ते जब ये सब हिंदुस्तान में हो रहा था ना तभी ट्विटर ने अपनी ट्रांसपेरेंसी यानी पारदर्शिता रिपोर्ट जारी कर दी और इस रिपोर्ट ने हमें बताया कि मीडिया संस्थानों, पत्रकारों के ट्वीट हटाने की मांग करने वाले देशों में भारत अव्वल है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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