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Electoral Bonds Data Analysis: देश की राजनीतिक पार्टियों को प्राइवेट कंपनियों से मिले चुनावी चंदे का पिटारा खुल गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े आंकड़ों को चुनाव आयोग ने सार्वजनिक कर दिया है. SBI ने 12 मार्च को यह आंकड़े चुनाव आयोग को मुहैया कराए थे और अब सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन से एक दिन पहले चुनाव आयोग ने यह आंकड़ें अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिए हैं.
चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर दो लिस्ट जारी की हैं. पहली 337 पेज की लिस्ट कंपनियों की है कि उन्होंने कब कितने का बॉन्ड खरीदा. दूसरी 426 पेज की लिस्ट राजनीतिक दलों की है कि उन्होंने कब-कब कितने का बॉन्ड भुनाया.
चलिए आपको बताते हैं कि सबसे अधिक चुनावी चंदा देने वाली 10 कंपनियां कौन सी हैं.
फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज पीआर- ₹1,368 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड- ₹966 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड- ₹410 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
वेदांता लिमिटेड- ₹400 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
हल्दिया एनर्जी लिमिटेड- ₹377 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड- ₹224 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी- ₹220 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
भारती एयरटेल- ₹198 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
केवेंटर फूडपार्क इंफ्रा लिमिटेड- ₹195 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
मदनलाल लिमिटेड- ₹185.5 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
चुनावी बॉन्ड योजना, 2018 को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने SBI को 6 मार्च तक चुनाव आयोग को डेटा देने का आदेश दिया था, चुनाव आयोग को आदेश दिया गया कि 13 मार्च तक वह इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर डाले.
हालांकि, फिर SBI सुप्रीम कोर्ट पहुंची और कहा कि उसे 30 जून तक अतिरिक्त समय दिया जाए. उसने तर्क दिया कि पार्टियों को मिले हर चंदे का मिलान करने के काम में समय लगता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मांग खारिज कर दी. सोमवार को कोर्ट ने SBI को बॉन्ड खरीदने वाली पार्टी का नाम, बेचे गए हर बॉन्ड की तारीख और उसकी राशि, किस पार्टी ने उसे कब भुनाया (रीडीम)- सारी जानकारी 12 मार्च तक चुनाव आयोग को भेजने का निर्देश दिया.
फिर SBI ने 12 मार्च को चुनावी बॉन्ड से संबंधित डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया. अब 14 मार्च को चुनाव आयोग ने यह पूरा डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है.
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