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Electoral Bond Data Analysis: राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिले चुनावी चंदे से जुड़ा नया डेटा सामने आ गया है. चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा वह डेटा अब सार्वजनिक किया है जिसे पार्टियों ने सीलबंद कवर में चुनाव आयोग के पास जमा किया था.
खास बात है कि नए आंकड़ों में 12 अप्रैल, 2019 से पहले की अवधि में राजनितिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये मिले चुनावी चंदे के भी डिटेल हैं. इस तरीख के बाद के आंकड़े 14 मार्च को चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिए थे.
इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि राजनीतिक पार्टियों ने सीलबंद कवर में इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी चुनाव आयोग को क्यों जमा किए थे? ये कौन सी ऐसी पार्टियां हैं जिन्होंने यह भी बताया है कि उनको किन प्राइवेट कंपनियों से चुनावी चंदा मिला है?
पहले जवाब देते हैं पहले सवाल का.
चुनाव आयोग ने एक बयान में बताया है कि राजनीतिक पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के अनुसार सीलबंद कवर में चुनावी बॉन्ड से जुड़ा डेटा जमा किया था.
गुरुवार को, चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 तक जारी किए गए चुनावी बॉन्ड पर डेटा जारी किया था. साथ ही उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इससे पहले की अवधि के डेटा को वापस करने के लिए कहा ताकि इसे भी सार्वजनिक किया जा सके.
बता दें कि चुनाव आयोग ने 12 अप्रैल, 2019 और 2 नवंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के अनुसार 12 अप्रैल, 2019 से पहले बेचे गए और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड का डेटा सुप्रीम कोर्ट में जमा किया था.
सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों में से 3 ने चंदा देने वाली कंपनियों के नाम भी सार्वजनिक किए हैं. ये पार्टियां हैं- AIDMK, DMK और जेडीएस.
AIDMK (अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम)
AIDMK ने सीलबंद लिफाफे में जो आंकड़े जमा किये थे उसके अनुसार उसे 2 अप्रैल 2019 से लेकर 4 अप्रैल 2019, यानी 3 दिन में कुल 6 करोड़ 5 लाख रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदा मिला था.
पार्टी को चंदा देने वालों में लक्ष्मी मशीन वर्क्स लिमिटेड शामिल है, जिसने 2019 में 1 करोड़ रुपये का दान दिया था. साथ ही टीवी कैपिटल फंड्स के सीएमडी गोपाल श्रीनिवासन ने 2019 में 5 लाख रुपये का चंदा दिया था.
AIDMK ने 2019 से पहले चुनावी बॉन्ड के संबंध में कोई डेटा नहीं किया है. आंकड़ों के अनुसार, पार्टी को 2019 के बाद कोई चंदा भी नहीं मिला.
DMK (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम)
चंदादाताओं का नाम सार्वजनिक करने वाली दूसरी पार्टी DMK है. पार्टी ने जो आंकड़े सीलबंद लिफाफे में दिए थे, उसके अनुसार DMK को 'फ्यूचर गेमिंग एंड होटल प्राइवेट लिमिटेड' की ओर से 2020-21 से 10-4-23 के बीच 509 करोड़ रुपए मिले थे.
इसके अलावा DMK को 2020-21 से 10-4-23 के बीच मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड से 105 करोड़ रुपए का चंदा मिला. मेघा इंजीनियरिंग सबसे अधिक चंदा देने वाली कंपनियों में दूसरे नंबर पर है. उसने 12 अप्रैल, 2019 से लेकर 11 जनवरी 2024 के बीच बॉन्ड खरीदकर ₹966 करोड़ का चुनावी चंदा दिया.
पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाली दूसरी कंपनियां हैं: इंडिया सीमेंट्स (14 करोड़ रुपये), एलएमडब्ल्यू (1.5 करोड़ रुपये), रैमको सीमेंट्स (5 करोड़ रुपये), अपोलो (1 करोड़ रुपये), त्रिवेणी (8 करोड़ रुपये), बिड़ला (1 करोड़ रुपये), आईआरबी (2 करोड़ रुपये), और सन नेटवर्क (10 करोड़ रुपये).
पार्टी को 2019 से कुल मिलाकर 656.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड मिले. हालांकि, पार्टी ने साल 2018-19 के लिए कोई डेटा नहीं बताया है.
2019-20 में 45.5 करोड़ रुपये
2020-21 में 80 करोड़ रुपये
2021-22 में 306 करोड़ रुपये
2022-23 में 185 करोड़ रुपये
2023 से अब तक 40 करोड़ रुपये
JDS/ जनता दल (सेक्युलर)
जेडीएस ने भी उन कंपनियों के नाम सार्वजनिक किए हैं जिन्होंने उसे चुनावी चंदा दिया है. जेडीएस को सबसे अधिक चंदा मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड से मिला है. 19 मार्च 2019 से लेकर 18 अप्रैल 2023 के बीच इस कंपनी की ओर से जेडीएस को कुल 50 करोड़ रुपए का चुनावी चंदा मिला है.
जेडीएस को चंदा देने वाली कंपनियों में एक नाम नारायण मूर्ति की इंफोसिस टेक्नोलॉजीज का भी. इस कंपनी में पार्टी को 1 करोड़ का चंदा दिया है.
पार्टी ने सीलबंद लिफाफे में बताया है कि उसे 20 मार्च 2018 से लेकर 18 अप्रैल 2023 के बीच कुल 89.75 करोड़ रुपए का चुनावी चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये मिला है.
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