advertisement
England Cricket Team ने Pakistan का अपना दौरा रद्द कर दिया है. इंग्लैंड की पुरुष और महिला टीम दोनों को अगले महीने सीरीज खेलने के लिए पाकिस्तान जाना था. इससे पहले जब New Zealand की सरकार ने अपनी क्रिकेट टीम को सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान से वापस बुला लिया तो Pakistan Cricket Board के अध्यक्ष रमीज राजा ने न्यूजीलैंड से पूछा- आप किस दुनिया में जी रहे हैं?
लेकिन रमीज राजा को ये सवाल अपने देश और प्रधानमंत्री इमरान खान से भी पूछना चाहिए. इसी घटना पर शोएब अख्तर ने कहा- 'न्यूजीलैंड ने पाकिस्तान क्रिकेट की हत्या की है.' लेकिन अख्तर को ये आरोप पाकिस्तान सरकार और इमरान खान पर भी लगाना चाहिए.
आपको बताएंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं. लेकिन पहले समझ लीजिए कि पाकिस्तान क्रिकेट के साथ कितनी बुरी बात हुई है.
श्रीलंका की टीम पाकिस्तान में थी. बस से जा रही टीम पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया. कुछ खिलाड़ी जख्मी हुए. सुरक्षाकर्मी भी मारे गए.
उस हमले के बाद किसी विदेशी टीम ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया. न्यूजीलैंड की टीम आई तो उम्मीद बंधी कि अब पाकिस्तान क्रिकेट के दुर्दिन दूर होंगे. लेकिन अब न्यूजीलैंड और इंग्लैंड की टीमों के दौरे रद्द होने के बाद पाकिस्तान क्रिकेट बड़ी मुसीबत में नज आ रहा है.
एक ऐसा देश जिसकी अर्थव्यवस्था ऐसे ही खस्ताहाल है, वहां की सरकार क्रिकेट को कितना ही सपोर्ट कर सकती है. ऐसे में अगर बड़े टूर्नामेंट आयोजित न हों तो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की माली हालत आप समझ सकते हैं. वैसे तो भारत से कोई तुलना ही नहीं है लेकिन फिर भी समझने के लिए ये जान लीजिए कि बीसीसीआई जहां अपने ग्रेड ए खिलाड़ियों को सालाना 7 करोड़ और ग्रेड बी के खिलाड़ियों को सालाना 5 करोड़ देता है. वहीं पाकिस्तान में ग्रेड A के खिलाड़ियों को महज 46 लाख रुपये मिलते हैं जबकि ग्रेड बी के खिलाड़ियों को सिर्फ 28 लाख.
विडंबना देखिए इस वक्त पाकिस्तान का प्रधानमंत्री वो शख्स है जो एक नामी क्रिकेटर रहा है. यानी पाकिस्तान क्रिकेट की ये फजीहत तब हो रही है जब पाकिस्तान का पीएम एक पूर्व क्रिकेटर है.
अब हम वापस रमीज राजा के बयान पर आते हैं-आप किस दुनिया में जी रहे हैं? ये सवाल इमरान से है, पाकिस्तान से है.
आतंकवाद को पनाह और बढ़ावा देंगे तो परिणाम तो भुगतना ही होगा. पाकिस्तान क्रिकेट की तबाही तो इसका सिर्फ एक साइडइफेक्ट है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)