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वीडियो: पूर्णेंदु प्रीतम/विवेक गुप्ता
“मैंने एक सोसाइटी से फ्लैट खरीदा तो इसमें किसी तरह से धर्म वाली बात नहीं आती है, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने मेरा नाम इस केस में डाल दिया. हमने घर ले लिया है पर हमारे कागजात अब भी पुलिस के पास हैं.” ये कहना है ऐजाज अंसारी का जिन्होंने अहमदाबाद के ‘वर्षा फ्लैट’ में घर लिया है.
ऐजाज ने पाल्दी के ‘वर्षा फ्लैट’ में जो घर लिया है वो इलाका ‘अशांत क्षेत्र’ में आता है. यानी डिस्टर्ब एरिया एक्ट के तहत ये क्षेत्र ‘अशांत’ है और यहां कभी भी सांप्रदायिक हिंसा होने का खतरा है.
ऐजाज का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि ये इलाका डिस्टर्ब एरिया में आता है.
इस प्रावधान के मुताबिक अशांत क्षेत्र में न तो कोई मुस्लिम किसी हिंदू को और न ही कोई हिंदू किसी मुस्लिम को अपनी संपत्ति बेच या लीज पर दे सकता है. सिर्फ जिला कलेक्टर की मंजूरी से ऐसा किया जा सकता है.
‘वर्षा फ्लैट’ में घर खरीदने वाले और पेशे से सामाजिक कार्यकर्ता दानिश कुरैशी का कहना है कि-
दानिश कुरैशी ने पिछले साल DAA को खत्म करने को लेकर याचिका दायर की थी, जिसमें उनका कहना है कि- “वर्षा अपार्टमेंट ऐसा पहला अपार्टमेंट नहीं है जो माइनॉरिटी डॉमिनेंट स्कीम हो. लेकिन इसके पुनर्विकास के चलते जो लोकल भू माफिया हैं, उनका रोल काफी संदिग्ध है. जो भी लोग वहां रह रहे हैं, वो भू माफिया नहीं हैं, वो लोग व्यापारी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी की पूंजी से संपत्ति खरीदी है.”
DAA ने अहमदाबाद की RTI एक्टिविस्ट पंक्ति जोग को रजिस्ट्रेशन करने से रोका, क्योंकि वो और उनके दोस्त अलग धर्म के हैं. वो भी प्रॉपर्टी के को-ओनर हैं. पंक्ति का कहना है कि-
वर्षा फ्लैट के किरायदारों का सवाल है कि “कैसे एक ही राज्य एक ही समय में ‘जीवंत’ और ‘अशांत’ हो सकता है? दानिश का कहना है- “मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या ये राज्य जीवंत है या अशांत है? अगर अशांत है तो जीवंत कैसे हुआ? और अगर जीवंत है तो अशांत कैसे है? क्या दोनों एक साथ हो सकते हैं?”
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