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कश्मीर की तरह ही गुजरात में भी जमीन से जुड़ा एक कानून विवादों में

1991 में गुजरात के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के रहते ‘अशांत क्षेत्र’ प्रावधान लागू हुआ था

राहुल नायर
न्यूज वीडियो
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(फोटो: क्विंट हिंदी)
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(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो: पूर्णेंदु प्रीतम/विवेक गुप्ता

“मैंने एक सोसाइटी से फ्लैट खरीदा तो इसमें किसी तरह से धर्म वाली बात नहीं आती है, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने मेरा नाम इस केस में डाल दिया. हमने घर ले लिया है पर हमारे कागजात अब भी पुलिस के पास हैं.” ये कहना है ऐजाज अंसारी का जिन्होंने अहमदाबाद के ‘वर्षा फ्लैट’ में घर लिया है.

ऐजाज ने पाल्दी के ‘वर्षा फ्लैट’ में जो घर लिया है वो इलाका ‘अशांत क्षेत्र’ में आता है. यानी डिस्टर्ब एरिया एक्ट के तहत ये क्षेत्र ‘अशांत’ है और यहां कभी भी सांप्रदायिक हिंसा होने का खतरा है.

ऐजाज का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि ये इलाका डिस्टर्ब एरिया में आता है.

1991 में गुजरात के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के रहते ‘अशांत क्षेत्र’ प्रावधान लागू हुआ था. जिसका असल नाम है ‘Gujarat Prohibition of Transfer of Immovable Property and Provisions for Protection of Tenants from Eviction from Premises in Disturbed Areas Act’ और आम भाषा में इसे ‘अशांत क्षेत्र प्रावधान’ कहा जाता है. 
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इस प्रावधान के मुताबिक अशांत क्षेत्र में न तो कोई मुस्लिम किसी हिंदू को और न ही कोई हिंदू किसी मुस्लिम को अपनी संपत्ति बेच या लीज पर दे सकता है. सिर्फ जिला कलेक्टर की मंजूरी से ऐसा किया जा सकता है.

‘वर्षा फ्लैट’ में घर खरीदने वाले और पेशे से सामाजिक कार्यकर्ता दानिश कुरैशी का कहना है कि-

“एक तरफ तो आप (सरकार) आर्टिकल 370 और 35 A को खत्म करने की बात कर रहे हो ताकि लोग, वहां (जम्मू-कश्मीर) जा कर जमीन और घर खरीद सकें और दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी (बीजेपी सरकार) का जो मॉडल स्टेट है, उसमें ‘अशांत क्षेत्र एक्ट’ जैसा काला कानून है, तो शायद ये दोहरा मापदंड है.”
दानिश कुरैशी, सामाजिक कार्यकर्ता

दानिश कुरैशी ने पिछले साल DAA को खत्म करने को लेकर याचिका दायर की थी, जिसमें उनका कहना है कि- “वर्षा अपार्टमेंट ऐसा पहला अपार्टमेंट नहीं है जो माइनॉरिटी डॉमिनेंट स्कीम हो. लेकिन इसके पुनर्विकास के चलते जो लोकल भू माफिया हैं, उनका रोल काफी संदिग्ध है. जो भी लोग वहां रह रहे हैं, वो भू माफिया नहीं हैं, वो लोग व्यापारी हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी की पूंजी से संपत्ति खरीदी है.”

DAA ने अहमदाबाद की RTI एक्टिविस्ट पंक्ति जोग को रजिस्ट्रेशन करने से रोका, क्योंकि वो और उनके दोस्त अलग धर्म के हैं. वो भी प्रॉपर्टी के को-ओनर हैं. पंक्ति का कहना है कि-

“पुलिस स्टेशन से लेकर DCP, ACP, पुलिस कमिश्नर तक अलग-अलग जगह अपना रिकमेंडेशन देते हैं कि ये दो लोग जो संपत्ति खरीद रहे हैं, उससे कोई सांप्रदायिक तनाव होगा या नहीं. ये अपने आप में एक अपमानजनक प्रक्रिया भी है.”

वर्षा फ्लैट के किरायदारों का सवाल है कि “कैसे एक ही राज्य एक ही समय में ‘जीवंत’ और ‘अशांत’ हो सकता है? दानिश का कहना है- “मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या ये राज्य जीवंत है या अशांत है? अगर अशांत है तो जीवंत कैसे हुआ? और अगर जीवंत है तो अशांत कैसे है? क्या दोनों एक साथ हो सकते हैं?”

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