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कर्नाटक हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Row) केस में सुप्रीम कोर्ट के जजों की एक राय नहीं बना पाई. एक जज ने कर्नाटक हाई कोर्ट के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया है. दूसरे जज ने कहा कि, मैं कर्नाटक हाई कोर्ट के खिलाफ जाता हूं. इसलिए अब ये मामला बड़ी बेंच के पास जाएगा.
हिजाब मामले पर अपना आदेश सुनाते हुए जस्टिस धूलिया ने कहा कि, "यह पसंद की बात है, कुछ ज्यादा नहीं, कुछ कम नहीं." जस्टिस सुधांशु धूलिया ने अपील की अनुमति देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया.
दूसरे जज हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों को खारिज कर दिया, जिसने राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के आदेश को बरकरार रखा था.
सुप्रीम कोर्ट के जजों की अलग-अलग राय के बाद हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला लागू रहेगा. क्योंकि एक जज ने याचिका को खारिज किया है और दूसरे ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. हाई कोर्ट का फैसला तब तक जारी रहेगा जब तक किसी बड़े बेंच का फैसला नहीं आ जाता है.
शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर ये पूरा विवाद कर्नाटक से शुरू हुआ था. ये मामला जब कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा तो 11 फरवरी को हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में किसी भी तरह के धार्मिक लिबास पहनने पर फिलहाल पाबंदी रहेगी.
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में अपील की थी कि हिजाब को महिलाओं का मौलिक अधिकार माना जाए, लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया था. इसके बाद कोर्ट ने सरकार इससे जुड़े आदेश पारित करने का अधिकार दिया.
शैक्षणिक संस्थानों हिजाब पहनने को लेकर ये मामला अक्टूबर 2021 से शुरू हुआ था. पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं के हिजाब पहनने पर विवाद शुरू हुआ था. 31 दिसंबर 2021 को उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज में कुछ छात्राएं हिजाब पहनकर आई थीं लेकिन 6 छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया.
इसके विरोध में कॉलेज के बाहर छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और मामला सुर्खियों में आ गया. 19 जनवरी 2022 को कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं, उनके अभिभावक और अधिकारियों के साथ बैठक की लेकिन इस बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला. उडुपी जिला इन सब के केंद्र में रहा. इस पूरे विवाद में यूपी में कई जगहों पर हिंसा की भी खबरें सामने आई.
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