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हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Floods) में कुदरत ने कहर बरपाया है. भारी बारिश के बाद बाढ़ और भूस्खसलन में अब तक कम से कम 71 लोगों की मौत हो चुकी है. अधिकारियों के अनुसार, शिमला के समर हिल्स इलाके में ढहे शिव बावरी मंदिर से 13 शव बरामद किए गए हैं. स्थानीय लोगों का अभी भी अनुमान है कि साइट पर 21 शव हो सकते हैं. बुधवार, 16 अगस्त को भी बचाव अभियान जारी है.
आपदा प्रबंधन के प्रमुख सचिव ओंकार चंद शर्मा ने बताया कि अभी तक 7,500 करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन हमारे पास आ चुका है, यह बढ़ सकता है. पिछले 3-4 दिनों में हमने 2,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया है.
शिमला के कृष्णा नगर में 4 से 8 घर बाढ़ के पानी में बह गए. सिर्फ शिमली ही नहीं, हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों की हालत ऐसी ही है. कांगड़ा में भी बारिश के बाद पॉन्ग डैम का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसे हालात हैं. यहां स्थिती संभालने और लोगों की मदद करने के लिए NDRF की 6 टीमों को तैनात किया गया है.
एयरफोर्स भी लोगों को एयरलिफ्ट करने में जुटी है. बांध में जल स्तर बढ़ने की वजह से गांव से संपर्क टूट गया है जिसके बाद कांगड़ा के निचले इलाकों से 800 से ज्यादा लोगों को निकाला गया.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद कांगड़ा के फतेहपुर और इंदौरा में एरियल सर्वे कर हालात का जायजा लिया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "हमारी सरकार प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित राहत और सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. हम साथ मिलकर इस चुनौती से पार पाएंगे और मजबूती से पुनर्निर्माण करेंगे."
इसके अलावा शिमला में राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री ने एक बैठक की है. पंजाब के रोपर जिले में भी कमोबेश यही हालात हैं. NDRF की टीमें बाढ़ प्रभावित लोगों को निकालने में जुटी हैं.
CM सुक्खू ने समाचार एजेंसी PTI से बात करते हुए कहा कि हम पहले ही 10,000 करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान का अनुमान लगा चुके हैं. उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि हिमाचल प्रदेश में ऐसी आपदा कभी नहीं आई है. मैंने संकट पर दो बैठकें बुलाई हैं और हम स्थिति को संभाल लेंगे."
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