Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News videos  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019NRC लिस्ट से नाम गायब, डर-डरकर जीने को मजबूर बंगाली हिंदू रिफ्यूजी

NRC लिस्ट से नाम गायब, डर-डरकर जीने को मजबूर बंगाली हिंदू रिफ्यूजी

‘पुख्ता सबूत’, कागजात ‘असली’, लेकिन सि‍र से ‘बांग्‍लादेशी’ का टैग नहीं हटा

त्रिदीप के मंडल
न्यूज वीडियो
Published:
‘पुख्ता सबूत’, कागजात ‘असली’, लेकिन सि‍र से ‘बांग्‍लादेशी’ का टैग नहीं हटा
i
‘पुख्ता सबूत’, कागजात ‘असली’, लेकिन सि‍र से ‘बांग्‍लादेशी’ का टैग नहीं हटा
(फोटो: त्रिदीप मंडल/ क्विंट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

NRC की फाइनल लिस्ट से लगभग 19 लाख लोगों के नाम गायब हैं और इनमें से हिन्दू बंगाली रिफ्यूजी भी शमिल हैं. उनका कहना है कि वो 60 के दशक में पूर्वी पाकिस्तान से भारत आए थे, यानी NRC कटऑफ डेट 1971 से कहीं पहले. अब भी उन्हें असम की NRC की में जगह नहीं मिल पाई है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ऐसा ही एक श्यामपद चक्रवर्ती का परिवार है, वो, उनकी पत्नी और उनकी दो बेटियां NRC लिस्ट में शामिल नहीं हो पाई हैं. श्यामपद के परिवार ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से भारत आने का फैसला इसलिए किए था, क्योंकि उन्हें वहां काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन एक अच्छी जिंदगी की आस में वो अपना घर छोड़कर भारत आ गए.

चक्रवर्ती का कहना है कि माइग्रेशन के वक्त तब के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पूर्वी पाकिस्तान से हिंदुओं को भारत में आमंत्रित किया था और उन्हें जगह देने की बात कही थी.

चक्रवर्ती का कहना है कि उनके पास 'पुख्ता सबूत' हैं, उनके कागजात 'असली' हैं. लेकिन उनके सि‍र से 'बांग्‍लादेशी' का नाम कभी नहीं हटा.

यहां के लोग (असम) हमें आज तक बांग्‍लादेशी बुलाते हैं, हम पूर्वी पाकिस्तान से आए हैं. बांग्लादेश 1971 में बना है, लेकिन हमें अब भी बांग्‍लादेशी बुलाया जाता है.
श्यामपद चक्रवर्ती, हिन्दू बंगाली रिफ्यूजी

'मैं बहुत डरी हुई हूं'

श्यामपद की पत्नी रत्ना चक्रवर्ती कहती हैं कि वो बहुत घबराई हुई हैं, खासकर इस बात से कि उनके पास केस लड़ने के पैसे नहीं हैं. इस परिवार को अपने बच्चों की ज्‍यादा चिंता है, क्योंकि उनके नाम भी लिस्ट से नदारद हैं. उन्हें लगता है कि उनके बच्चों का भविष्य बेरंग रह जाएगा.

ऐसे ही एक बंगाली हिन्दू रिफ्यूजी हैं डीनो कृष्णो दास, जो साप्ताहिक बाजार में अपनी दुकान लगाते हैं. अपने भविष्य की चिंता को लेकर वो कई बार बीमार पड़ गए हैं और अब उनका नाम NRC लिस्ट से गायब है. उन्होंने कहा कि हर वक्त बस NRC के बारे में ही सोचा करते हैं.

बीजेपी के नेता और असम के मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा कहते हैं कि पार्टी हर हिन्दू के साथ खड़ी है, जो कानूनी तरीके से इस देश में आया है. पार्टी उनके केस पर नजर भी रखेगी, ताकि बाद में उन्हें गैर-कानूनी और कानूनी तरीके से आए हिन्दू रिफ्यूजी में फर्क पता चल जाए.

उन्होंने आगे कहा कि शायद 'टेक्नि‍कल फॉल्ट' के चलते हिन्दू बंगाली रिफ्यूजी का नाम लिस्ट में नहीं आ पाया है. उन्‍होंने अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' को बताया कि राज्य सरकार री-वेरिफिकेशन के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT