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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
NRC की फाइनल लिस्ट से लगभग 19 लाख लोगों के नाम गायब हैं और इनमें से हिन्दू बंगाली रिफ्यूजी भी शमिल हैं. उनका कहना है कि वो 60 के दशक में पूर्वी पाकिस्तान से भारत आए थे, यानी NRC कटऑफ डेट 1971 से कहीं पहले. अब भी उन्हें असम की NRC की में जगह नहीं मिल पाई है.
ऐसा ही एक श्यामपद चक्रवर्ती का परिवार है, वो, उनकी पत्नी और उनकी दो बेटियां NRC लिस्ट में शामिल नहीं हो पाई हैं. श्यामपद के परिवार ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से भारत आने का फैसला इसलिए किए था, क्योंकि उन्हें वहां काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन एक अच्छी जिंदगी की आस में वो अपना घर छोड़कर भारत आ गए.
चक्रवर्ती का कहना है कि उनके पास 'पुख्ता सबूत' हैं, उनके कागजात 'असली' हैं. लेकिन उनके सिर से 'बांग्लादेशी' का नाम कभी नहीं हटा.
श्यामपद की पत्नी रत्ना चक्रवर्ती कहती हैं कि वो बहुत घबराई हुई हैं, खासकर इस बात से कि उनके पास केस लड़ने के पैसे नहीं हैं. इस परिवार को अपने बच्चों की ज्यादा चिंता है, क्योंकि उनके नाम भी लिस्ट से नदारद हैं. उन्हें लगता है कि उनके बच्चों का भविष्य बेरंग रह जाएगा.
ऐसे ही एक बंगाली हिन्दू रिफ्यूजी हैं डीनो कृष्णो दास, जो साप्ताहिक बाजार में अपनी दुकान लगाते हैं. अपने भविष्य की चिंता को लेकर वो कई बार बीमार पड़ गए हैं और अब उनका नाम NRC लिस्ट से गायब है. उन्होंने कहा कि हर वक्त बस NRC के बारे में ही सोचा करते हैं.
बीजेपी के नेता और असम के मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा कहते हैं कि पार्टी हर हिन्दू के साथ खड़ी है, जो कानूनी तरीके से इस देश में आया है. पार्टी उनके केस पर नजर भी रखेगी, ताकि बाद में उन्हें गैर-कानूनी और कानूनी तरीके से आए हिन्दू रिफ्यूजी में फर्क पता चल जाए.
उन्होंने आगे कहा कि शायद 'टेक्निकल फॉल्ट' के चलते हिन्दू बंगाली रिफ्यूजी का नाम लिस्ट में नहीं आ पाया है. उन्होंने अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' को बताया कि राज्य सरकार री-वेरिफिकेशन के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएगी.
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