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ऑस्ट्रेलिया की टीम इन दिनों भारत (India vs Australia) के दौरे पर है. 3 टेस्ट मैच खत्म हो चुके हैं लेकिन पिच को लेकर जारी विवाद खत्म नहीं हो रहा. पहले नागपुर, फिर दिल्ली और इंदौर..तीनों में कोई भी टेस्ट 5 दिन तो छोड़िए पूरे 3 दिन भी नहीं चला. इससे कुछ अहम सवाल खड़े होने लगे हैं,
क्या टेस्ट क्रिकेट की साख के साथ खिलवाड़ हो रहा है? फिरकी में क्यों फंस रहा है भारत? क्यों एक्सपर्टस के निशाने पर है BCCI? इन सवालों पर तो चर्चा करेंगे ही लेकिन इतिहास के पन्ने पलट कर वो मौके भी देखेंगे जब भारत में पिच विवाद ने मैच ही रद्द करवा दिए थे.
सबसे पहले बात करते हैं पिच की जो इन दिनों अखाड़े से कम नहीं है. पहला टेस्ट नागपुर में था और ये मैच शुरू होने से पहले ही ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने पिच पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे. नागपुर और दिल्ली की पिच को ICC ने भी 'औसत' करार दिया और इंदौर की पिच को 'Poor' यानी 'खराब' कैटेगिरी में रखा. इसके अलावा भारत में भी कई एक्सपर्ट्स मुखर हो रहे हैं. दिलीप वेंगसरकर ने इंदौर पिच की हालत देख कर कहा कि, "इससे टेस्ट क्रिकेट का मजाक बनता है". पूर्व भारतीय सेलेक्टर सबा करीम ने कहा कि WTC फाइनल के लिए क्वालीफाई करने की हताशा में, हमने टेस्ट क्रिकेट की भावना खो दी है"
यहां सवाल दो तरह के हैं एक BCCI पर जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पिच की भूमिका में भागीदार है और दूसरा सवाल भारतीय खिलाड़ियों पर है जिन्हें देखकर लगता है कि ये स्पिन खेलना ही भूल गए हैं. स्पिन के खिलाफ दुनिया की सबसे बेहतर टीम मानी जाने वाली टीम इंडिया की हालत इन आंकड़ो में देखिए.
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरुआती 3 टेस्ट मैचों में भारत ने कुल 1673 स्पिन गेंदों का सामना किया, जिसपर 812 रन बनाए. इस दौरान औसत है सिर्फ 20.30 और स्ट्राइक रेट 48.54. भारत का हर बल्लेबाज, चाहे वो रोहित शर्मा हों, विराट कोहली या केएल राहुल, स्पिन के खिलाफ फ्लॉप रहे. पहले टेस्ट में भारत के 10 में से 8 विकेट स्पिनर्स ने लिए. दूसरे टेस्ट में भारत के 14 विकेट गिरे जिसमें 12 स्पिनर्स ने लिए.
ये सच है कि ऑस्ट्रेलिया के भी ज्यादातर विकेट स्पिनर्स के ही खाते में गए लेकिन भारतीय टीम की इस हालत को हम आंखें बंद करके स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि ये आम तौर पर स्पिन के खिलाफ दुनिया की सबसे बेहतर टीम मानी जाती थी.
हरभजन सिंह कहते हैं कि "जिस तरह से विकेट गिरे, मैं मानता हूं कि गेंद घूम रही थी और उछाल भी था, लेकिन शॉट चयन थोड़ा बेहतर हो सकता था. इस तरह की पिच पर भारतीय बल्लेबाजी को इतनी जल्दी नहीं कोलैप्स होना चाहिए था."
ये तो बात हुई पिच और प्रदर्शन की लेकिन इतिहास में ऐसे भी मौके हैं जब पिच ने विवाद ही खड़े नहीं किए बल्कि मैच भी रद्द करवाए. ऐसा ही ऐक मौका था 25 दिसंबर 1997 जब पहली बार खराब पिच के चलते कोई मैच रद्द करना पड़ा. भारत और श्रीलंका के बीच 3 ODI मैचों की सीरीज का दूसरा मैच इंदौर के नेहरू स्टेडियम में खेला जा रहा था. पिच एकदम ड्राय थी और उसपर मोटे-मोटे दरार देखे जा रहे थे.
बल्लेबाज ने अंपायर से पिच को लेकर शिकायत की. इसके बाद भारतीय कप्तान सचिन तेंदुलकर, श्रीलंका के कप्तान अर्जुन राणाथुंगा और अंपायर्स के बीच लगभग एक घंटे तक चर्चा के बाद पिच को अनसेफ मानते हुए मैच को रद्द करने का फैसला लिया गया.
ऐसा ही दूसरा मौका 2009 में आया जब भारत और श्रीलंका के बीच पांच वनडे मैचों की सीरीज का आखिरी मैच दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेला जा रहा था. कप्तान थे महेंद्र सिंह धोनी. उन्होंने टॉस जीतकर श्रीलंका को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया. जहीर खान गेंदबाजी करने आए और पहली ही गेंद पर उपल थरांगा की गिल्लियां बिखेर दीं. कोई गेंद सिर के ऊपर से गई तो कोई घुटने पर लग रही थी. श्रीलंका ने 23.3 ओवर तक जैसे-तैसे बल्लेबाजी की और फिर सबको अहसास हो गया कि ये पिच अब मैच के लिए खतरनाक है. इसके बाद अधिकारियों ने मैच रद्द करने का फैसला लिया और कहा कि "पिच पर असमतल उछाल है और ये आगे के खेल के लिए काफी खतरनाक है."
अब इतना जरूर कह सकते हैं कि पांच दिन का मैच 2 से 3 दिन में खत्म होने लगेगा तो ये टेस्ट क्रिकेट लिए 'खतरनाक' है.
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