advertisement
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अपार गुप्ता ने क्विंट से खास बातचीत में कहा कि डेटा प्रोटेक्शन बिल में कई खामियां हैं और इस कानून को लेकर बहस करना बहुत जरूरी है.
उन्होंने कहा कि ये बिल एक साथ 3-4 चीजों को कवर करना चाहता है. पर्सनल डेटा को बचाने के लिए कई कानून बनते हैं जिनका मकसद ये होता है वो आपको और आपके पर्सनल डेटा को बचाने की बात करते हैं.
इस बिल के अंदर प्राइवेट कंपनी आपका डेटा ले रही है, वो इसका इस्तेमाल कर के इकनॉमी को बढ़ाना चाहती है, और ये सारी चीजें अच्छी हैं जो की जा सकती हैं. लेकिन सिर्फ तब जब ये डेटा प्रोटेक्शन बिल के अंतर्गत की जाएं. हालांकि, ये बिल थोड़ा कन्फ्यूजन बढ़ाता है. इस बिल में होने वाले कंफ्यूजन की वजह से ऐसा कानून न तो आपको बचा पाता है और न ही व्यापार को बढ़ा पाता है और न ही सरकार के इस्तेमाल में आता है.
अपार गुप्ता कहते हैं, अगर इस बिल को हम को थोड़ा करीब से देखें, तो इस बिल में कहा गया है कि भारत में जो डेटा बनेगा वो भारत में ही रहेगा और इसके लिए ज्यादा एक्सप्लेनेशन नहीं दिया गया है, और माना गया है कि इस कदम से शायद भारत सरकार को लाभ होगा या भारतीय निजी कंपनियों को डेटा दिया जाएगा.
अगर डेटा की एक कॉपी हमेशा भारत में रखी जाएगी तो उसमें डेटा लीक का भी खतरा है. कुल मिलाकर सरकार को इसे लेकर और सोच-विचार करना चाहिए.
जैसे कि अभी कुछ वक्त पहले आपने सुना होगा कि Whatsapp में हैकिंग हुई है, इजरायल की NSO नाम की एक कंपनी ने एक सॉफ्टवेयर बनाया था जिसके माध्यम से वो हमारे स्मार्टफोन में घुस चुके थे. हर चीज कर सकते थे- जैसे कैमरा ऑन कर सकते थे, ऑडियो रिकॉर्ड कर सकते थे. हैकिंग की मदद से उन्होंने जो भारतीयों का डेटा लिया उसका कोई नियंत्रण, या जिक्र इस बिल से नहीं किया गया.
क्योंकि ये सिर्फ अभी का कानून नहीं है, ये हमारे भविष्य के लिए भी है और आगे भी रहेगा, ये आने वाले कल में भी काम आएगा. मुझे लगता है कि इसका सही रास्ता यही होगा कि एक ऐसी बॉडी, जैसे सेलेक्ट कमिटी से इसपर चर्चा की जाए, बहस हो इस बिल पर फिर इसमें आप और हम प्रस्ताव भेज पाएं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)