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'बुलडोजर' ने यूपी के कानपुर में एक मां और उनकी बेटी की जान ले ली. कानपुर देहात में सरकारी अमला अतिक्रमण हटाने आया था. लेकिन जिस झोपड़ी को गिराना था, उसमें आग लगी और मां-बेटी की जलकर मौत हो गई. पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने झोपड़ी में आग लगाई लेकिन पुलिस का दावा है कि महिलाओं ने खुद ही आग लगा ली. तो आखिर सच है क्या? घटना के समय का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें काफी कुछ समझ में आ रहा है.
मरने वालों के नाम प्रमिला दीक्षित, 44 और उनकी बेटी नेहा, 21 हैं. घटना के समय का एक वीडियो सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि परिवार डेमोलिशन का भारी विरोध कर रहा है. प्रमिला दीक्षित झोपड़ी का दरवाजा बंद कर लेती हैं. उस समय प्रमिला के पति कृष्ण गोपाल दीक्षित भी झोपड़ी में ही दिखते हैं. पुलिस वाले सबको बाहर आने को कहते हैं. थोड़ी देर बाद पुलिस वाले दरवाजा खुलवाते हैं. तभी महिला की आवाज आती है कि इन लोगों ने आग लगा दी. उसी वक्त एक पुरुष की भी आवाज सुनाई पड़ती है, जिसमें वो कह रहा - आग लग गई. इसके बाद चारों तरफ चीख पुकार मच जाती है. पुलिस वाले इधर उधर भागते हैं. महिलाओं को बाहर आने को कहते हैं लेकिन कोई उन्हें खींचकर बाहर नहीं लाता है. अभी तक आग छप्पर में ही लगी थी. थोड़ी सी कोशिश की जाती तो महिलाओं को बाहर निकाला जा सकता था. फिर वीडियो में दिखता है कि एक पुलिस वाला बुलडोजर को आगे बढ़ने का इशारा करता है. बुलडोजर जलती हुई झोपड़ी को गिराने लगता है. और फिर पूरी झोपड़ी स्वाहा हो जाती है और साथ में दो जिंदगियां भीं.
पुलिस ने इन मौतों के बाद 39 लोगों पर हत्या, हत्या की कोशिश आदि धाराओं में केस दर्ज किया है. इनमें 9 लोग नामजद हैं और 30 अज्ञात. नामजदों में SDM और SHO भी हैं. परिवार ने मुआवजे में 5 करोड़ रुपये, मकान और आजीवन पेंशन की मांग की है.
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