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शहीद के परिवार ने पूछा-हत्यारों के लिए ‘जय श्रीराम’ का नारा क्यों?

बुलंदशहर हिंसा: आरोपियों के रिहा होने पर जानें क्या बोले इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के परिजन  

एंथनी रोजारियो
न्यूज वीडियो
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इंस्पेक्टर की पत्नी ने  सवाल किया कि क्या ऐसे अपराधियों को महज छह महीने के अंदर आजाद कर देना सही है?
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इंस्पेक्टर की पत्नी ने सवाल किया कि क्या ऐसे अपराधियों को महज छह महीने के अंदर आजाद कर देना सही है?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज, वरुण शर्मा

इनका समाज से बहिष्कार होना चाहिए था. लेकिन इनको इज्जत मिल रही है. ये देखकर मेरे कदम पीछे हो गए. “जय श्री राम..वंदे मातरम” हर हिंदुस्तानी को कहने का अधिकार है. लेकिन अगर ये शब्द उन लोगों (आरोपियों) के सम्मान में इस्तेमाल किए जा रहे हैं तो इन शब्दों का कहीं न कहीं अपमान है.

ये शब्द इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की पत्नी रजनी सिंह के हैं. बुलंदशहर हिंसा के आरोपियों को जमानत मिलने पर वो बेहद दुखी हैं और खुद को टूटा हुआ महसूस कर रही हैं.

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पिछले साल दिसंबर में गोकशी की खबर को लेकर बुलंदशहर में हुई हिंसा के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध की भीड़ ने हत्या कर दी थी. इस मामले में 25 अगस्त को जीतू फौजी, बजरंग दल के पूर्व जिलाध्यक्ष उपेंद्र राघव, शिखर अग्रवाल समेत सात आरोपी जमानत पर रिहा हो गए. उनका फूल-मालाओं से स्वागत किया गया. इसका वीडियो वायरल होने के बाद इंस्पेक्टर सुबोध का परिवार नाराज है. उन्होंने सरकार से ऐसे अराजक तत्वों को सलाखों के पीछे ही रखने की मांग की है.

सुबोध सिंह की पत्नी ने कहा कि इन अपराधियों को फूल-मालाएं क्यों पहनाई जा रही है? आज इनके कामों को देखकर आगे कोई और ऐसा करेगा.

सिंह के बेटे श्रेय सिंह ने कहा कि अगर उनको(आरोपियों) लगता है कि किसी पार्टी से संबंधित हैं या किसी नेता का साथ है, तो ये बहुत गलत है. कानून अंधा नहीं होता.

इस बीच, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बुलंदशहर हिंसा के आरोपियों का स्वागत किए जाने की घटना का बीजेपी से कोई लेना-देना नहीं है.

“अगर कोई जेल गया और जेल से छूटकर आया, तो उसके समर्थक, उसके शुभचिंतक, उसका स्वागत, अभिनंदन करते हैं. इससे बीजेपी या सरकार का कोई लेना-देना नहीं. विपक्ष को बात का बतंगड़ नहीं बनाना चाहिए.”
केशव प्रसाद मौर्य, यूपी के उप मुख्यमंत्री

सुबोध सिंह के परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि रिहा हुए आरोपियों की जमानत को रद्द किया जाए और दोबारा जेल भेजा जाए.

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