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अमरावती ग्राउंड रिपोर्ट:मुंबई में संभली स्थिति गांवों का क्या हाल?

कोरोना से सुरक्षा में महाराष्ट्र मॉडल का डंका, लेकिन क्या है ग्रामीण क्षेत्रों की हालत?

ऋत्विक भालेकर
न्यूज वीडियो
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कोरोना से सुरक्षा में महाराष्ट्र मोडल का डंका, लेकिन क्या है ग्रामीण क्षेत्रों की हालत?
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कोरोना से सुरक्षा में महाराष्ट्र मोडल का डंका, लेकिन क्या है ग्रामीण क्षेत्रों की हालत?
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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इनपुट: नितिन राउत, अमरावती

वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम

देशभर में कोरोना की दूसरी लहर (COVID-19 Second Wave) से निपटने पर मुंबई मॉडल (Mumbai Model) का डंका बज रहा है. लेकिन महाराष्ट्र के ग्रामीण (Maharashtra's Rural Districts) जिलों में बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या राज्य सरकार के लिए अभी भी सिर दर्द बनी हुई है. दूसरी लहर का केंद्र बने अमरावती के सबसे प्रभावित में से दो गांवों की आज भी क्या स्थिति है ये क्विंट हिंदी ने जानने की कोशिश की है. इससे अंदाजा लगता है कि अब भी कोरोना से जंग बाकी है.

सुनीता घोरमाडे अपने पति सुनील घोरमाडे के मौत की दास्तान बयां करती है-

अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन नही मिला तो बाहर से ब्लैक में खरीदा. इंजेक्शन लगवाने पर तबीयत और भी खराब हो गई. उसके बाद डॉक्टर ने दूसरे अस्पताल ले जाने को कहा. देर शाम कहीं पर भी बेड नही था.अमरावती में हालात काफी खराब थे. सुबह दूसरे अस्पताल में भर्ती होने से पहले ही उन्होंने दम तोड़ दिया.

अमरावती जिले के मोर्शी गांव में एक महीने में कम से कम 12 लोगो की मौत हुईं है. यहां के घोरमाडे परिवार में एक ही घर के तीन सदस्यों को कोरोना की वजह से जान गंवानी पड़ी है. 54 साल के सुनील घोरमाडे के साथ दीपक घोरमाडे (50) और संदेश घोरमाडे (34) भी संक्रमित हुए थे. इलाज के दौरान लगभग महीने भर में दीपक और संदेश ने भी दम तोड़ दिया.

कुछ 30 किमी दूर वरूड तालुका के शेंदुर्जनाघाट गांव में दो सगे भाइयों की मौत हो गई. 37 साल के दीपक हुरमाडे नगर परिषद में काम करते थे और 35 साल के प्रवीण पेट्रोल पंप पर कर्मचारी थे. घर के दोनों कमाने वालों की कोरोना से हुई मृत्यु के बाद उनकी बहन सरोज नागले हताश और बेबस है. साथ ही माता - पिता का भी कुछ दिन पहले देहांत हुआ था. लेकिन उनकी मौत कोरोना से हुई या नही इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है.

सरोज बताती है कि-

मार्च और अप्रैल में माता और पिता की मृत्यु हुई था. उसके बाद दोनों भाई को बुखार था. डॉक्टर से दवाई लेते थे और ठीक लगने पर काम पर वापस लौटते थे. तबीयत बिगड़ने पर तालुका अस्पताल में ले गए तब पता चला ऑक्सीजन लेवल कम हो गई थी. फिर वहां से अमरावती के अस्पताल ले जाना पड़ा. वहां वेंटीलेटर नही था. तो दूसरी जगह भर्ती किया. 27 अप्रैल को मझले भैया की मौत हुई उसके 3 दिन बाद बड़े भैया भी गुजर गए.
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महाराष्ट्र में लॉकडाउन के बाद अब दूसरी लहर काबू में आती दिख रही है. कोरोना के कम हो रहे आंकडे सुधरती स्थिति बयान कर रहे हैं. लेकिन महाराष्ट्र के शहरों से ग्रामीण इलाकों मे फैल रहा संक्रमण अब भी सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. क्योंकि मई महीने में शहरों की तुलना में ग्रामीण जिलों में पॉजिटिविटी और डेथ रेट दोनों में काफी बढ़त दर्ज हुई है.

राज्य के स्वास्थ्य विभाग के जरिये जारी साप्ताहिक रिपोर्ट के मुताबिक 18 मई तक 35 जिलों में से 19 जिले अभी भी रेड जोन में आते हैं. जिसका मतलब है कि राज्य के पॉजिटिविटी रेट से ज्यादा इन जिलों का पॉजिटिविटी रेट है.

जहां महाराष्ट्र का पॉजिटिविटी रेट 29% से घटकर अब 16% तक आ गया है. वहीं ग्रामीण जिलों में पॉजिटिविटी रेट 16% से 32% के बीच पाया जा रहा है. 20% से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट दर्ज हुए जिलों में विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र और कोकण के ग्रामीण जिलों की संख्या ज्यादा है.

ज्यादा पॉजिटिविटी रेट के ग्रामीण जिले:

  • सिंधुदुर्ग - 21.36%

  • सातारा - 20.02%

  • रत्नागिरी - 19.22%

  • रायगड - 18.21%

  • कोल्हापुर - 16.85%

  • उस्मानाबाद - 16.22%

  • पुणे - 16.16%

  • सांगली - 15.47%

  • हिंगोली - 15.43%

  • बीड - 13.48%

  • अमरावती - 12.86%

  • ठाणे - 11.91%

  • अकोला - 11.74%

  • गडचिरोली - 10.75%

  • नाशिक - 10.17%

(27 मई, 2021 तक)

साथ ही राज्य के ग्रामीण जिलों में मृत्यु दर भी एक बड़ा चिंता का विषय बनता जा रहा है. क्योंकि पिछले हफ्ते भर में 18 मई तक राज्य का मृत्युदर 2.7% है तो वहीं कुछ ग्रामीण जिलों में दोगुना हो चुका है. राज्य के टास्क फोर्स ने इन जिलों पर विशेष ध्यान देने को कहा है.

ज्यादा मृत्युदर के ग्रामीण जिले :

  • नांदेड़ - 9.17%

  • नंदुरबार -7.74%

  • हिंगोली - 5.46%

  • भंडारा - 4.92%

(19 मई, 2021 तक)

जबकि सबसे घनी आबादी वाले शहर मुंबई का पॉजिटिविटी रेट अब 5% तक पहुंच गया है. लेकिन ग्रामीण इलाके में चरमराई बुनियादी स्वास्थ्य व्यवस्था और लोगों में कोविड प्रोटोकॉल के प्रति उदासीनता के कारण संक्रमण को काबू में लाना एक बड़ा मसला बन गया है. इसीलिए अब राज्य की टास्क फोर्स ने मुंबई - पुणे मॉडल की हुई प्रशंसा के बाद अब अपना मोर्चा ग्रामीण जिलों की तरफ बढ़ा दिया है.

महाराष्ट्र में पिछले एक हफ्ते में लगातार कोरोना के आंकड़े नीचे फिसलते जा रहे हैं. 3 जून को महाराष्ट्र में 15,229 नए केस दर्ज हुए, वहीं 307 लोगों की मौत हुई है.

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Published: 03 Jun 2021,10:03 PM IST

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