Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News videos  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Mahatma Gandhi से जुड़े इन भ्रामक दावों को आपने भी सच तो नहीं मान लिया?

Mahatma Gandhi से जुड़े इन भ्रामक दावों को आपने भी सच तो नहीं मान लिया?

महात्मा गांधी की फेक तस्वीरें और उनसे जुड़ी फर्जी मनगढ़ंत कहानियों का पूरा सच यहां मिलेगा

सिद्धार्थ सराठे
न्यूज वीडियो
Updated:
<div class="paragraphs"><p>महात्मा गांधी से जुड़े वॉट्सऐप पर वायरल दावों का पूरा सच</p></div>
i

महात्मा गांधी से जुड़े वॉट्सऐप पर वायरल दावों का पूरा सच

फोटो : Quint Hindi

advertisement

वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी के साथ सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही है कि वहां इतिहास लिखने के लिए न तो फैक्ट्स पता होने जरूरी हैं.  न ही कोई डिग्री. वहां कोई भी अपना इतिहास लिख सकता है. बिना सिर पैर का. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) से जुड़े ऐसे कई भ्रामक दावों का सोशल मीडिया पर अंबार लगा हुआ है. इस वीडियो में उन्हीं दावों का सच आपको बताएंगे.

गांधी और महिला की तस्वीर

एक महिला के साथ गांधी जी की तस्वीर शेयर कर अश्लील दावा किया जाता है सच ये है कि ये एडिटेड है. असली फोटो में गांधी पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ हैं. ये समझना मुश्किल नहीं है कि कैसे एमके गांधी की फोटो को क्रॉप करके महिला की फोटो के साथ जोड़ा गया.

महात्मा की उपाधि किसने दी?

अब जब मैं मोहन दास करमचंद गांधी जी का नाम ले रहा हूं. तो महात्मा भी लगा रहा हूं. हम सभी लगाते हैं. कुछ लोगों को इस महात्मा शब्द से भी दिक्कत है. ये दावा किया जाता है कि उन्हें महात्मा की उपाधि अंग्रेजों ने दी थी. ये दावा भी सच नहीं है. लेकिन सच ये है कि 1937 में हुए चुनावों में कांग्रेस ने 7 प्रोविंस में जीत हासिल की थी, यहां कांग्रेस की सरकार बन गई थी. इसी क्रम में सेंट्रल प्रोविंस की कांग्रेस सरकार ने ये आदेश जारी किया था कि एमके गांधी के नाम के आगे महात्मा लगाया जाए.

इतिहासकार रामचंद्र गुहा अपनी किताब 'India After Gandhi' में लिखते हैं-''आम धारणा यही है कि नोबल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर ने एमके गांधी जी को सबसे पहले महात्मा कहा. लेकिन सबसे पहले 1915 में गांधीजी के मित्र प्रांजीवनदास मेहता ने उनको लिखे एक पर्सनल लेटर में उन्हें महात्मा कहकर संबोधित किया था. ''

कुल जमा बात ये है कि गांधी को महात्मा का खिताब ब्रिटिश हुकूमत ने नहीं भारतीयों ने ही दिया था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ब्रिटिश आर्मी के फोटो का सच

एक फोटो को ब्रिटिश आर्मी के साथ खड़े महात्मा गांधी का बताकर शेयर किया जाता है. असल में ये फोटो 1913 की है और इसमें गांधीजी फुटबॉल क्लब ‘Passive Resisters’ टीम के साथ खड़े हैं, न कि ब्रिटिश आर्मी के साथ. इस क्लब को खुद महात्मा गांधी ने बनाया था.

शहीद भगत सिंह की फांसी रुकवाने की कोशिश नहीं की?

फेक न्यूज की फेक अदालत में महात्मा गांधी पर सबसे बड़ा आरोप ये लगता है कि उन्होंने भगत सिंह की फांसी रुकवाने की कोई कोशिश नहीं की. ये सरासर गलत है.

ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि गांधी ने वाइसरॉय लॉर्ड इरविन से न सिर्फ दो बार भगत सिंह की फांसी स्थगित करने की रिक्वेस्ट की थी. बल्कि 23 मार्च, 1931 को पत्र लिखकर फांसी पर एक बार फिर विचार करने को भी कहा था.

वीडियो में दिखाए गए पत्र में महात्मा गांधी ने लॉर्ड इरविन से कहा है कि अगर जरा भी गुंजाइश हो तो फांसी के फैसले को रद्द करने के बारे में सोचें. फांसी ना रुकने से हिंसा भड़कने को लेकर आगाह भी किया था और आगे महात्मा गांधी ने कहा था कि उनकी मौजूदगी जरूरी हो तो वो खुद भी आ सकते हैं.

यहां ये फैक्ट बता देना जरूरी है कि महात्मा गांधी ने ये पत्र फांसी की निर्धारित तारीख 24 मार्च से एक दिन पहले 23 मार्च को लिखा था. लेकिन बाद में ये सामने आया था कि ब्रिटिश हुकूमत ने भगत सिंह को एक दिन पहले ही फांसी दे दी थी. लेकिन ये गांधी का आखिरी प्रयास था इसके पहले उन्होंने कई बार इरविन से बातचीत के दौरान फांसी स्थगित कराने की कोशिश की थी.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9540511818 , या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 30 Jan 2023,12:01 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT