advertisement
'जब शुरू में हम साथ में खेलते थे तो उसका तभी से नेचर था कि वो लंबे शॉट मारता था, लगता था कि ये आगे जा कर खेलेगा. लेकिन ये नहीं सोचा था कि इंडिया के लिए खेलेगा या टीम इंडिया का कप्तान बनेगा'- ये कहना है धोनी के दोस्त राजेश झा का.
भारतीय क्रिकेट के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक महेंद्र सिंह धोनी ने 15 अगस्त की शाम रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया. इस तरह भारत को दूसरा वर्ल्ड कप जिताने वाले क्रिकेट के सबसे शानदार और सफल कप्तानों में से एक धोनी ने अपने 15 साल के क्रिकेट करियर पर पर्दा गिरा दिया.
रांची में धोनी के कोच चंचल भट्टाचार्य से खास बातचीत में उन्होंने हमें बताया- ‘धोनी 12 साल का था. सबसे पहला मैच उसने रांची में खेला था और उसके बाद भी एक मैच था’
रांची के ही रहने वाले धोनी के दोस्त बताते हैं कि धोनी रोजाना 8 घंटे की ड्यूटी में 4 घंटे ड्यूटी करते थे और 4 घंटे मैच खेलते थे. ये रेल के नियम के हिसाब से था. उन्हें मुश्किल होती थी, लेकिन उन्होंने किसी तरह मैनेज किया.
रांची से ही धोनी के दूसरे दोस्त गौतम उपाध्याय कहते हैं-
धोनी के सफर को याद करते हुए उनके कोच और उनके दोस्त कहते हैं कि- धोनी ने अपने पहले इंटरनेशनल मैच से हर दिन अपने आप को आगे ही बढ़ाया, हर दिन बेहतर किया, उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा
भारत के लिए खेलने के बाद धोनी में कितना बदलाव आया है? इस सवाल पर उनके कोच कहते हैं- 'कोई बदलाव नहीं आया है.’
धोनी के सन्यास पर उनके दोस्त गौतम उपाध्याय का कहते हैं कि उन्हें नहीं लगता धोनी स्पोर्ट्स से दूर रह पाएंगे, 'स्पोर्ट्स के लिए ही धोनी है और धोनी के लिए ही स्पोर्ट्स है.'
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)